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जब भी एशेज का जिक्र हो तो इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया पुरुष क्रिकेट टीम के बीच टेस्ट सीरीज की बात होती है। 1882 में ओवल में ऑस्ट्रेलिया की पहली टेस्ट जीत के साथ ये किस्सा शुरू हुआ आज तक ये दोनों टीम एशेज के लिए खेल रही हैं।

संयोग से इन दिनों ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट टीम भी इंग्लैंड में सीरीज खेल रही है और अगर मीडिया रिपोर्ट को नोट करें तो इस सीरीज को भी एशेज ही कहा जा रहा है। जी हां, ऑफिशियल तौर पर ये भी एशेज सीरीज है। जब 1934 में इंग्लैंड ने पहली बार एक महिला टीम ऑस्ट्रेलिया भेजी थी तो वह सीरीज एशेज के लिए नहीं खेली थीं। ये रिकॉर्ड में दर्ज है कि इंग्लिश कप्तान, बेट्टी आर्चडेल ने कहा- वे सिर्फ क्रिकेट से लगाव की वजह से खेल रही हैं और उन्होंने तो मैचों को ‘टेस्ट’ का दर्जा दिए जाने से इंकार कर दिया था।

ये ऐसी बात थी कि इन दोनों महिला टीम की आपसी सीरीज को, उसके बाद एशेज या और कोई ट्रॉफी देने पर सोचा भी नहीं। 1998 में, इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया महिला टीम की सीरीज को भी आखिरकार एक ट्रॉफी मिली और ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं कि एशेज के ऐतिहासिक महत्व का फायदा उठाने के लिए- इसे भी एशेज का नाम दे दिया। शुरू के सालों में ( 2013 तक) इस एशेज में भी सिर्फ टेस्ट खेले पर उसके बाद इसमें पॉइंट सिस्टम शुरू हो गया और सीरीज में टेस्ट, वनडे और टी20 इंटरनेशनल भी आ गए। ज्यादा पॉइंट हासिल करने वाली टीम एशेज विजेता। इस रिपोर्ट के लिखने तक इस एशेज में टेस्ट खेल चुके हैं जिसे ऑस्ट्रेलिया ने जीता। ये एक ऐतिहासिक टेस्ट मैच रहा। कुछ ख़ास बात नोट कीजिए :

  1. ये ऐसा पहला एशेज टेस्ट था जिसे इंग्लैंड में पुरुष क्रिकेट के नियमित टेस्ट सेंटर ट्रेंट ब्रिज में खेले। पहले दिन 5500 लोगों की भीड़ थी स्टेडियम में और अगर ये स्कूल डे न होता तो और भी ज्यादा लोग क्रिकेट देखने आते।
  2. पहले दिन रन रेट 3.85 था- महिला टेस्ट की पहली पारी में सबसे तेज़ रन-रेट। पहले दिन के स्कोर में 43 चौके भी एक रिकॉर्ड हैं।
  3. ये लाल ड्यूक गेंद से खेला पहला महिला एशेज टेस्ट था। पिछले साल तक, ड्यूक ने महिला क्रिकेट में मान्य छोटे आकार गेंद ही नहीं बनाई थी- इसलिए मैच कुकाबुरा से खेले। इस ड्यूक ने भी स्विंग या सीम मूवमेंट में कोई ख़ास मदद नहीं की।

अब एक सबसे ख़ास बात। ट्रेंट ब्रिज में टेस्ट का फैसला पांचवें दिन हुआ- ये ऐसा पहला महिला टेस्ट है जिसमें पांचवें दिन खेल हुआ। इससे पहले, सिर्फ एक बार 1992 में सिडनी टेस्ट 5 दिन का रखा था पर उसमें तीसरा पूरा दिन बारिश की भेंट चढ़ गया और ऑस्ट्रेलिया ने एक पारी से जीत हासिल की- इसलिए वास्तव में उसमें 4 दिन ही खेले थे। इस तरह एक नई शुरुआत हुई और इसकी जरूरत को कई साल से महसूस किया जा रहा था। टीम इंडिया को इसका नुकसान भी हो चुका है। तब भी ये तय नहीं कि क्या आगे महिला टेस्ट 5 दिन के ही होंगे?

ऑस्ट्रेलिया में अगले साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका का टेस्ट है- उसके प्रोग्राम में 4 दिन ही लिखे हैं। दिसंबर में भारत में भी टेस्ट है पर बीसीसीआई ने अभी उसका प्रोग्राम नहीं बनाया है। फिर भी ये उम्मीद जरूर कर सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में अगला एशेज टेस्ट 5 दिन का होगा। इस बदलाव का विरोध करने वाले कह सकते हैं कि अगर ट्रेंट ब्रिज में भी हर रोज खेल कुछ मिनट ही ज्यादा होता तो ये टेस्ट भी 4 दिनों में ख़त्म हो सकता था क्योंकि पांचवीं सुबह पहले सैशन में ही फैसला हो गया। ये बहरहाल ऐसी बहस है जिसका कोई अंत नहीं। रोमांच देखिए- पांचवीं सुबह जब खेल शुरू हुआ तो सभी चार नतीजे संभव थे। इस संदर्भ में एलिसा हीली के सुझाव का जिक्र जरूरी है- एक रिजर्व दिन रख दो वर्ल्ड  टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल की तरह से यानि कि टेस्ट 4 दिन का खेलो पर 4 दिन में हार-जीत न मिले तो रिजर्व दिन खेल लो।

गार्डनर ने एक ऐतिहासिक टेस्ट खेला। 165 रन पर 12 विकेट कोई मजाक नहीं। एलिसा हीली ने हाथ की टूटी हुई उंगली के साथ विकेटकीपिंग की और 5 कैच और स्टंपिंग भी दर्ज की। 5 दिनों में बढ़िया क्रिकेट, तेज स्कोरिंग, किसी भी महिला टेस्ट में कुल मिलाकर सबसे ज्यादा रन और सबसे ख़ास रिकॉर्ड तो ये कि पुरुष या महिला टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड ऐसी पहली ऐसी टीम है जिसके लिए मैच में दोहरा शतक और 10 विकेट के प्रदर्शन का रिकॉर्ड बना पर वे टेस्ट हार गए। हार के बावजूद, हीदर नाइट ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी टीम ने मैच देखने आए 23,117 दर्शकों का मनोरंजन किया। महिला क्रिकेट को इसी की जरूरत है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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