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बीसीसीआई की नए चीफ सेलेक्टर की तलाश, तरह-तरह की मुश्किल का सामना करते हुए किस मुकाम पर पहुंच चुकी थी (पढ़ें https://allaboutcric.com/news/hindi/selection-of-indias-chief-selector/) इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नार्थ जोन से नया सेलेक्टर ढूंढना ही बंद कर दिया। अचानक ही अजीत अगरकर नए चीफ सेलेक्टर की रेस में सबसे आगे हो गए- 26 टेस्ट,191 वनडे और 4 टी20 इंटरनेशनल खेलने तथा एक बड़ी क्रिकेट एसोसिएशन के सेलेक्शन पैनल के चीफ रहने का अनुभव उनकी सबसे बड़ी क्वालिफिकेशन है। वे इस पैनल के अकेले सदस्य हैं जो आईपीएल और टी20 क्रिकेट खेले हैं। मजे की बात ये है कि ये वही अगरकर हैं जिन्हें कुछ साल पहले बीसीसीआई की सीएसी ने एप्लाई करने के बावजूद सेलेक्शन पैनल में भी नहीं लिया था।  

वैसे तो बीसीसीआई का दावा है कि बदलते समय के साथ वे अब पेशेवर स्टाइल में काम करते हैं पर सच ये है कि जैसे ही बीसीसीआई के ऑफिस में, अगरकर को एप्लाई करने से भी पहले चीफ सेलेक्टर बनाने की खिचड़ी पकी- खबर मीडिया में आ गई थी और उनका इंटरव्यू/अपॉइंटमेंट तो महज एक औपचारिकता रह गया था। वे सबसे पहले दिल्ली कैपिटल्स के कोचिंग स्टॉफ से अलग हुए और आख़िरी तारीख से एक दिन पहले  29 जून की शाम को एप्लाई किया। सीएसी (सुलक्षणा नाइक, अशोक मल्होत्रा और जतिन परांजपे) ने सिर्फ एक केंडिडेट अगरकर का इंटरव्यू लिया और नतीजा सबके सामने है। 
उम्र 45 साल, सेलेक्शन पैनल के सबसे अनुभवी मेंबर (बड़ी सफाई से बीसीसीआई ने अपनी जरूरत में  5 साल पहले वाली कंडीशन को मोड़ दिया- 5 साल पहले आख़िरी मैच खेला हो या 5 साल पहले रिटायर) और सेलेक्शन कमेटी में पुरानी, सभी 5, जोन के एक-एक प्रतिनिधि की परंपरा को भी तोड़ दिया। यहां बीसीसीआई ने अपने नए संविधान की कंडीशन का फायदा उठाया जिसमें ये नहीं लिखा कि हर जोन का प्रतिनिधि जरूरी है, फिर भी ऐसा चला आ रहा था। चूंकि वेस्ट जोन से सलिल अंकोला पहले से पैनल में हैं- इसलिए अब वेस्ट से पैनल में दो सेलेक्टर हो गए। अब नार्थ और नार्थ-ईस्ट जोन से कोई भी पैनल में नहीं है। शिव सुंदर दास, एस शरथ और सुब्रतो बनर्जी अन्य तीन सेलेक्टर हैं और इनमें से सबसे ज्यादा इंटरनेशनल अनुभव की बदौलत, दास अब तक काम चलाऊ चीफ थे।

तो सेलेक्शन पैनल के साथ बीसीसीआई के प्रयोग जारी हैं। चेतन शर्मा के मामले में एक चीफ को दो बार पैनल में लेने और चीफ बनाने से परंपरा को तोड़ा। उसके बाद स्टिंग ऑपरेशन में उनके सेलेक्शन कमेटी की बातों को मीडिया में बताने के बावजूद उन पर कोई एक्शन नहीं लिया- वे खुद इस्तीफा देकर अलग हुए और नतीजा ये है कि बीसीसीआई की इस गलती का फायदा उठाकर, वे जोनल सेलेक्शन पैनल के चीफ के तौर पर काम कर रहे हैं।

बीसीसीआई के कैंप से अब दो और खबर आ रही हैं –

  1. सेलेक्शन पैनल और इसके चीफ के काम की फीस बढ़ाएंगे- ये वायदा किया है अगरकर को। उन्हें चीफ बनाने से पहले बीसीसीआई ने इस बारे में घोषणा नहीं की क्योंकि वे इस शर्त पर अगरकर को राजी करने की बदनामी से बचना चाहते थे। आखिरकार अगरकर ने आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ा तो उसकी बेहतर भरपाई के वे हकदार हैं। वे साथ में, मीडिया में भी काम कर रहे थे।
  2. अब चूंकि सलिल अंकोला और अगरकर एक साथ, वेस्ट जोन से सेलेक्शन पैनल में हैं- जल्दी ही सलिल अंकोला पैनल से हटेंगे। नार्थ जोन से तब किसी को सेलेक्ट करेंगे। अंकोला को शायद इसी इंतजाम में हिस्सेदार बनने की रजामंदी का पहला इनाम दे दिया है- टूर सेलेक्टर बनाकर वेस्टइंडीज भेज दिया।     

यहां ये भी जरूरी हो जाता है कि मुंबई के चीफ सेलेक्टर के तौर पर उनके काम को देखें- उन्हें कुछ साहसिक फैसले लेने के लिए मशहूरी हासिल है। खराब फॉर्म पर कई बड़े नाम वाले भी टीम से बाहर कर दिए थे- इस लिस्ट में जैसे सूर्यकुमार यादव, धवल कुलकर्णी, अखिल हेरवाडकर, आदित्य तारे और अरमान जाफ़र जैसे नाम भी हैं। इस पर एमसीए में तूफान सा आ गया। ऐसा माहौल बन गया था कि लग रहा था कि उनके नेतृत्व वाले पैनल को बर्खास्त कर दिया जाएगा। बहरहाल इसकी नौबत नहीं आई और पैनल ने खुद ही इस्तीफा दे दिया।  

टीम इंडिया इस समय बदलाव के दौर में है और जो पहली टीम (वेस्टइंडीज टूर के लिए टी20 सीरीज की) इस पैनल ने चुनी, उस से भी यही साबित हुआ। साथ में आईसीसी वर्ल्ड कप नजदीक है। ऐसे में अगरकर के पैनल पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। क्या अगरकर इसके लिए सही व्यक्ति हैं? अगरकर की प्रतिष्ठा ने उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए नंबर 1 पसंद बना दिया। वे इंटरनेशनल क्रिकेट में 350 से ज्यादा विकेट लेने के अलावा, 1997 और 2007 के बीच भारतीय टीम का एक खास हिस्सा थे। टीम इंडिया के साथ अनुभव कैसा रहेगा ?

  • चरनपाल सिंह सोबती

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