चेतेश्वर पुजारा ने अलुर में सेंट्रल जोन के विरुद्ध दलीप ट्रॉफी सेमीफाइनल में वेस्ट जोन के लिए शतक लगाया- फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका 60वां 100 है ये। भारतीय रिकॉर्ड की लिस्ट में- विजय हजारे की बराबरी की। विजय हजारे के समय टेस्ट कम थे पर क्रिकेटर फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच ज्यादा खेलते थे। पुजारा भी इस गिनती पर इसलिए पहुंच सके हैं क्योंकि लिमिटेड ओवर क्रिकेट खेलते नहीं और उनके पास घरेलू और काउंटी चैंपियनशिप मैच खेलने की फुर्सत रही। भारत से, इनसे ज्यादा 100 सिर्फ राहुल द्रविड़ (68), सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर (81) के नाम हैं- इन तीनों ने टेस्ट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट दोनों में 100 बनाए पर आधुनिक दौर में पुजारा का इस गिनती पर पहुंचना किसी उपलब्धि से कम नहीं।
आपने ठीक नोट किया- इस लिस्ट में विराट कोहली नहीं हैं। वे (टेस्ट के अलावा) फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेलते नहीं और टेस्ट में अब पहले जैसी रन मशीन नहीं रहे तो 100 की गिनती का रिकॉर्ड कहां से बनेगा? सिर्फ 35 शतक और उसमें से 28 तो टेस्ट के। सच तो ये है कि विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा जैसे टॉप बल्लेबाज, मौजूदा दौर में भारत के टेस्ट 100 के सूखे के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार हैं।
इस साल का ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अहमदाबाद टेस्ट शुरू होने के समय भारत का रिकॉर्ड था- पिछले 29 टेस्ट में सिर्फ 13 शतक जिसमें रोहित शर्मा और ऋषभ पंत (3-3) टॉप पर थे। भारत में रिकॉर्ड 18 पारियों में सिर्फ 5 शतक। अब ओवल तक 31 टेस्ट में 15 और भारत में 19 पारी में 7 शतक बन चुके हैं। भारत के बल्लेबाजों को जो चर्चा मिलती है- उसके सामने ये रिकॉर्ड बड़ा साधारण सा है और यहां तक कि अपनी पिचों पर खेलने का भी कोई खास फायदा नहीं उठाया। अहमदाबाद में विराट कोहली और शुभमन गिल के शतक में बिलकुल बेजान पिच का पूरा योगदान था। अहमदाबाद से पहले- कोहली ने लगभग साढ़े तीन साल पहले बांग्लादेश के विरुद्ध टेस्ट शतक बनाया था कोलकाता में। इतना लंबा इंतजार कि उनका 100 न बनाना एक राष्ट्रीय चर्चा बन गया था। इतना लंबा दौर कि इस बीच दुनिया ने कोविड को झेल लिया, पेले, माराडोना और शेन वार्न जैसे अलविदा कह गए पर उनका 100 किसी ऐसे सीरियल जैसा हो गया था जिसकी स्टोरी लिखने वाले को कोई अंत ही नहीं सूझ रहा था। कहां तो उनके सचिन तेंदुलकर के 100 के रिकॉर्ड को तोड़ने की बात हो रही थी- अब कोई भी इसका जिक्र भी नहीं करता। फैब 4 में भी वे इस मामले में बड़े ‘कमजोर’ से हो गए हैं।
चार बल्लेबाज जो लगातार रन बना रहे थे- उनमें कोहली को टॉप पर रखते थे और जब कोलकाता में 100 बनाया था तो सबसे ज्यादा 100 की लिस्ट में एक्टिव बल्लेबाज के तौर पर स्टीव स्मिथ को पीछे छोड़ दिया था। स्मिथ क्या, जो रुट और विलियमसन ने रन और 100 की गिनती में उन्हें, इस दौर में, ऐसी चुनौती दी कि अब तो भारत में भी उनकी फैब 4 में गिनती पर सवालिया निशान लगाया जा रहा है।
लगभग 4 साल पहले 100 की लिस्ट में : कोहली 27, स्मिथ 26, केन विलियमसन 20 और जो रूट 16 शतक पर थे। आज, हेडिंग्ले टेस्ट में इंग्लैंड की दूसरी पारी शुरू होने तक : स्मिथ 32, रूट 30, कोहली और विलियमसन 28 शतक पर हैं। तब कोहली (7202) सिर्फ 90 रन पीछे थे जो रुट (7292) से- अब रूट हेडिंग्ले में दूसरी पारी शुरू होने पर 11215 रन पर हैं जबकि कोहली 8479 पर ही पहुंच पाए। उनका औसत 50-बेंचमार्क से नीचे आ चुका है। स्मिथ (9137) भी आगे निकल गए और विलियमसन (8124) रेस में बड़ी तेजी से ऊपर आ रहे हैं। और देखिए- ये तीनों इस दौर में सही फिटनेस के लिए जूझे तब भी इनकी, इस दौर में 48+ औसत से रन की तुलना में कोहली ने तो 26 की गिनती पार नहीं की।
मजे की बात ये है कि कोहली ने 100 नहीं बनाए तो टीम इंडिया के बाकी के बल्लेबाज भी इस मामले में कुछ ख़ास नहीं रहे- पिछले 31 टेस्ट में (2019-20 के बांग्लादेश के विरुद्ध कोलकाता टेस्ट से ओवल 2023 तक) 15 शतक जिसमें रोहित शर्मा और ऋषभ पंत (3) टॉप पर और भारत में 19 पारियों में सिर्फ 7 शतक यानि कि लगभग 3 पारी में एक शतक। इसकी तुलना में इन दिनों में रूटने 14, लाबुशेन ने 9, विलियमसन ने 8 और बाबर, ख्वाजा और करुणारत्ने ने 7-7 शतक बनाए। अब तुलना कीजिए-
- कोहली 26 टेस्ट की 45 पारी में 2 शतक
- पुजारा 29 टेस्ट की 53 पारी में 1 शतक
- रहाणे 21 टेस्ट की 38 पारी में 1 शतक
- मयंक अग्रवाल 13 टेस्ट की 24 पारी में 1 शतक
- श्रेयस अय्यर 10 टेस्ट की 16 पारी में 1 शतक
- हनुमा विहारी 9 टेस्ट की 16 पारी में 0 शतक
पुजारा ने भारत में आखिरी शतक 2017 में श्रीलंका के विरुद्ध नागपुर में बनाया था। 100 न बनाने या सही फार्म में न खेलने का दबाव तो सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और ब्रायन लारा जैसे बल्लेबाज ने भी झेला पर बहुत जल्दी फॉर्म में वापसी की। जो रूट ने भी 13 महीनों में एक भी 100 नहीं बनाया था पर इसके दबाव से खुद ही बाहर निकले- ‘इस बात की जितनी चर्चा हुई, उतना मेरे लिए नुकसानदेह रहा।’
अब एक नई टेस्ट सीरीज सामने है। पुजारा टीम से बाहर हैं पर कोहली और रहाणे तो हैं। शुभमन भी यह समझ लें कि भविष्य के स्टार की चर्चा से काम नहीं चलने वाला- 16 टेस्ट में 2 शतक से कहीं बेहतर रिकॉर्ड होना चाहिए था उनके नाम। सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि भारत के ये टॉप बल्लेबाज भारत की पिचों पर खेलने का भी फायदा नहीं उठा पाए। कप्तान रोहित शर्मा 100 न बनने से परेशान नहीं- ‘मैं यह नहीं देख रहा हूं कि रन किसने बनाए, हमने 400 रन बनाए- यही मायने रखता है। यह एक टीम खेल है, चाहे आपके नंबर 11 से रन मिलें या नंबर 1 से- इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम दिल्ली में मुश्किल में थे और स्कोर 139-7 था तब अक्षर पटेल और ऐश ने संकट से बाहर निकाला। इसलिए मैं यह नहीं देख रहा कि किसने रन बनाए- क्या हमें वह स्कोर मिला जो हम चाहते थे।’
रोहित शर्मा का एक कप्तान के तौर पर इस स्थिति को देखना शायद गलत नहीं पर टीम के टॉप बल्लेबाज भी 100 न बनाएं तो वे टीम में हैं किस लिए? वेस्टइंडीज की पिच इन मशहूर बल्लेबाज के बैट से कुछ ऐसा चाहती हैं जिसे याद रखा जाए।
- चरनपाल सिंह सोबती