हैदराबाद में वर्ल्ड कप के तीन मैच थे- 6 अक्टूबर को पाकिस्तान-नीदरलैंड, 9 अक्टूबर को न्यूजीलैंड-नीदरलैंड और 10 अक्टूबर को पाकिस्तान-श्रीलंका। इन मैचों के बाद, चर्चा तो होनी चाहिए थी हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के बेहतर इंतजाम की पर हो रही है घटिया इंतजाम पर परोसी बेहतर बिरयानी की। हैदराबाद में मैच का जिक्र आते ही एकदम ख्याल तो यही आता है कि वहां क्रिकेट एसोसिएशन में मोहम्मद अजहरुद्दीन हैं अध्यक्ष के तौर पर और तब भी ऐसा हुआ। इसलिए पहला भ्रम तो ये दूर करना कि अजहरुद्दीन इस समय एसोसिएशन से बाहर हैं और मैच उस कमेटी ने आयोजित किए जो वहां एसोसिएशन का काम देख रही है। ऐसा क्यों हुआ उसी की चर्चा कर रहे हैं।
इस साल अगस्त में ही तो अजहरुद्दीन ने कहा था कि वे दूसरे टर्म के लिए एसोसिएशन का चुनाव लड़ेंगे- साथ ही भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया यानि कि यही वहां सबसे बड़ा मुद्दा है। अजहरुद्दीन 2019 में एचसीए चीफ बने थे और उनका टर्म इस साल फरवरी में नागेश्वरराव की नियुक्ति के साथ समाप्त हुआ- वजह थी एचसीए एपेक्स काउंसिल में अंदरूनी कलह और कोर्ट केस। हाई कोर्ट ने जस्टिस (रिटायर) एल नागेश्वर राव को एसोसिएशन का एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया। उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई उसमें ये भी था कि एसोसिएशन के नए चुनाव कराएं ताकि आगे से एसोसिएशन ही क्रिकेट चलाए। उसके बाद देखिए क्या हुआ :
- जस्टिस राव ने कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के आरोप में 57 क्लब को एचसीए चुनाव में हिस्सा लेने या वोट देने से रोक दिया। इस आदेश पर अजहरुद्दीन की स्टेटमेंट थी- ‘एसोसिएशन,क्लब सांठगांठ के कारण, काम नहीं कर पा रही थी। अब एसोसिएशन में काफी सुधार होगा। मैं किसी क्लब का मालिक नहीं हूं।’
- चुनाव की प्रस्तावित तारीख 15 सितंबर थी। बाद में ये 20 अक्टूबर तय हुई।
- एचसीए को फाइनेंशियल तौर पर आत्मनिर्भर बनाने, बीसीसीआई फंडिंग पर निर्भर न रहने, खेल और सुविधाओं को बेहतर बनाने जैसे वायदे अजहरुद्दीन ने किए। उन्होंने दावा किया कि मुश्किलों के बावजूद अपना काम मेहनत से किया पर ये भी माना कि ग्राउंड पर टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।
- ये सब चर्चा में ही था कि एडमिनिस्ट्रेटर ने खुद अजहरुद्दीन को ही चुनाव की वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया। अजहरुद्दीन को इसका पता 30 सितंबर को वोटर लिस्ट रिलीज होने पर चला। अजहरुद्दीन ने जो स्टेटमेंट (ऊपर लिखी) दी थी वह गलत निकली- डेक्कन ब्लूज़ क्रिकेट क्लब ने दावा किया कि वह उनके अध्यक्ष थे यानि कि वही कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट उनके नाम पर भी आ गया ।
- इस पर अजहरुद्दीन ने आरोप लगाया कि क्लब ने ‘जाली’ दस्तावेज दिया और उसके आधार पर उन्हें रोकना गलत है। अजहरुद्दीन कैंप का कहना था कि क्लब ने कभी भी, उन्हें अपना अध्यक्ष बनाने के लिए उनसे सहमति न मांगी- न ली। तो इस तरह अजहरुद्दीन खुद उसी मामले में फंस गए जिसे वे दूसरों पर आरोप लगाते हुए, उछाल रहे थे।
- इस डेक्कन ब्लूज़ क्रिकेट क्लब के सेक्रेटरी वही पीआर मान सिंह हैं जो 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के मैनेजर थे और वे कहते हैं कि अज़हरुद्दीन ने बातचीत में (2019 में) चार साल के लिए क्लब का अध्यक्ष बनने पर सहमति दी थी। क्या ये ‘ज़ुबानी’ सहमति सही मान सकते हैं?
- मान सिंह ने कहा कि भारत के पूर्व कप्तान गुलाम अहमद, डेक्कन ब्लूज़ के अध्यक्ष रहे थे और उन्हीं के सम्मान में अजहरुद्दीन को क्लब का अध्यक्ष बनाया। दस्तावेज के नाम पर डेक्कन ब्लूज़ ने 4 अक्टूबर को एचसीए को जो चिट्ठी लिखी थी, वही दे दी- ये जिस लेटरहेड पर थी उसके टॉप पर अध्यक्ष अजहरुद्दीन लिखा था। यही ‘सबूत’ मान लिया और अजहरुद्दीन क्लीन बोल्ड हो गए।
- मजे की बात ये कि क्लब की हैदराबाद के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज़ को 24 मार्च, 2021 को लिखी एक चिट्ठी सामने आई है जिसमें मान सिंह के बेटे विक्रम मान सिंह की जगह जी सत्यपाल रेड्डी को भविष्य के अध्यक्ष के तौर पर दिखाया है। अगर अजहरुद्दीन को चार साल के लिए क्लब का अध्यक्ष बनाया था (2019 से 2023) तो इस चिट्ठी में अजहरुद्दीन के नाम का जिक्र क्यों नहीं था? रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के ऑफिशियल रिकॉर्ड में डेक्कन ब्लूज़ के अध्यक्ष के तौर पर अजहरुद्दीन के नाम का जिक्र कहीं नहीं मिलता।
- 4 अक्टूबर को हैदराबाद पुलिस में दायर शिकायत में, अजहरुद्दीन ने क्लब की ‘जाली ‘ चिट्ठी पर एक्शन की मांग की।अनुरोध किया कि फर्जी लेटर हेड बनाने और उसे कानूनी दस्तावेज बनाने के आरोप में क्लब पर एक्शन लिया जाए।
- समय कम था। अजहरुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा दिया पर वहां भी राहत नहीं मिली और कोर्ट ने उनके नाम को बहाल करने से, हाल फिलहाल इनकार कर दिया है।
- 20 अक्टूबर को चुनाव हैं और अजहरुद्दीन के पास दूर से तमाशा देखने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं बचा है। 31अक्टूबर को केस की अगली सुनवाई है और उस दिन चाहे जो हो- 20 अक्टूबर के चुनाव तो निकल चुके होंगे।
- अजहरुद्दीन इस सब को अपने विरुद्ध साजिश का नाम देते हैं।
ये सब क्रिकेटरों को यह एहसास दिलाने के लिए बहुत है कि क्रिकेट एसोसिएशन में किसी बड़े पद पर आना उनके लिए जितना मुश्किल है- काम करना उससे भी ज्यादा मुश्किल है। सौरव गांगुली और अजहरुद्दीन इसकी नई और सही मिसाल हैं। यही वजह है कि हैदराबाद क्रिकेट को उसका खोया गौरव दिलाने की कोशिश में अजहरुद्दीन किसी दिन अपना काम नहीं कर पाए। इसी का सबूत है वहां मैचों के आयोजन में हो रही गलतियां और टीम की गिरती क्रिकेट प्रतिष्ठा। 13 मई, 2023 याद है क्या?
लखनऊ सुपरजाइंट्स-सनराइजर्स हैदराबाद आईपीएल मैच बीच में रोकना पड़ा था- एक नो-बॉल पर विवाद हुआ और भीड़ ने जो हाथ में आया उसे एलएसजी डगआउट की तरफ फेंकना शुरू कर दिया। मैच रुक गया। हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन पिछले साल सितंबर में भी बदनाम हुई थी- जिमखाना में भगदड़ हुई जहां भारत-ऑस्ट्रेलिया, तीसरे टी20 के टिकट बेचे जा रहे थे। पुलिस ने एसोसिएशन पर तीन मुकदमे दर्ज किए।
वर्ल्ड कप 2023 के मैच तो याद किए जाएंगे पर 29 सितंबर को पाकिस्तान- न्यूजीलैंड वर्ल्ड कप प्रैक्टिस मैच, स्टेडियम गेट बंद कर यानि कि खाली स्टेडियम में खेलना किसे याद रहेगा? टिकटिंग पार्टनर बुकमायशो ने उन सभी के पैसे लौटा दिए जो मैच के टिकट बुक करा चुके थे। शहर की पुलिस ने तो, सिक्योरिटी की कमी के चलते, एसोसिएशन से मैच न खेलने को कहा था पर ऐसा नहीं हुआ तो बिना दर्शकों के मैच खेले। ऐसा होना किसी भी एसोसिएशन के लिए कोई तारीफ़ वाली बात नहीं है। पुलिस तो राजीव गांधी स्टेडियम में 9 और 10 अक्टूबर के लगातार दो वर्ल्ड कप 2023 मैच भी न खेलने के लिए कह रही थी।
सुनील गावस्कर ने साफ़ लिखा कि स्टेडियम के बाहर लग ही नहीं रहा था कि कोई वर्ल्ड कप मैच यहां खेलने वाले हैं। ये है हैदराबाद में क्रिकेट की हालत।
- चरनपाल सिंह सोबती