इस रिपोर्ट के लिखने तक वर्ल्ड कप 2023 में 11 मैच खेल चुके हैं और सबसे ज्यादा, जिस रिकॉर्ड को चर्चा मिल रही है वह ये कि मैच की गिनती से ज्यादा तो 100 और 50 बन गए। और भी कई वर्ल्ड कप रिकॉर्ड बन चुके हैं और कोई नहीं जाता कि वर्ल्ड कप खत्म होने तक इनमें से कितने बचेंगे? हां, जो क्रिकेट हुई उससे इतना तो तय हो चुका है कि हाल फिलहाल फ्रेंचाइजी लीग को भूल जाइए- वनडे वर्ल्ड कप का अभी भी जवाब नहीं।
आलोचक कह रहे हैं कि अब इस फॉर्मेट के लिए कोई जगह नहीं, इसे खेलना बंद करो पर टॉप खिलाड़ी अभी भी जिस टाइटल को जीतने की सबसे ज्यादा चाह रखते हैं वह यही वर्ल्ड कप है। एक समय था जब वनडे इंटरनेशनल ही क्रिकेट में पैसा लाते थे- आज ये टेस्ट और टी20 क्रिकेट के बीच सेंडविच हैं और हजम नहीं हो रहे। तब भी, दुनिया भर के खिलाड़ियों से पूछें कि वे किस ट्रॉफी को जीतने की सबसे ज्यादा चाह रखते हैं तो जवाब वनडे वर्ल्ड कप ही होगा। विराट कोहली भी यही कहेंगे- वे आरसीबी के लिए आईपीएल से ज्यादा, भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतना चाहते हैं। 2023 वर्ल्ड कप में स्टार खिलाड़ियों का खेलना इसी का सबूत है :-
- वनडे से रिटायर होने के एक साल बाद, बेन स्टोक्स वापस लौटे ताकि इंग्लैंड ट्रॉफी पर कब्जा रख सके।
- ट्रेंट बोल्ट, अब एक फ्रीलांस क्रिकेटर, 10 महीने बाद न्यूजीलैंड टीम में लौटे। बोल्ट, दो वनडे वर्ल्ड कप फाइनल हारने वाले कुछ क्रिकेटरों में से एक हैं और उनकी राय- ‘वनडे वर्ल्ड कप वह बड़ा टूर्नामेंट है जिसका हिस्सा हर कोई बनना चाहता है।हालांकि ऐसा लगता है कि हर साल एक वर्ल्ड आयोजन होता है, लेकिन वनडे वर्ल्ड कप में हमेशा एक ख़ास एहसास होता है।’
- केन विलियमसन और जसप्रीत बुमरा उन लोगों में हैं जिन्होंने फिट होने के लिए गजब की तेजी दिखाई
- वर्ल्ड कप करियर का वह मुकाम है जिसके बाद ‘रेस्ट’ की चाह कई रखते हैं और वर्ल्ड कप के बाद बहुत से खिलाड़ी वनडे/इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर हो जाएं तो कोई हैरानी नहीं होगी। स्टोक्स और मोईन अली फिर कभी वनडे नहीं खेलेंगे, क्विंटन डी कॉक ने तो पहले ही कह दिया था कि ये टूर्नामेंट उनके आखिरी वनडे मैच वाला होगा। शाकिब भी नहीं खेलेंगे और शायद अश्विन भी नहीं।
अब तक 4600 से ज्यादा वनडे मैच हो चुके हैं और वर्ल्ड मैचों की गिनती इसमें बहुत ज्यादा नहीं पर वनडे वर्ल्ड कप का जिक्र करें तो पिछले 50 साल में विश्व क्रिकेट में हुए विकास का चार्ट आसानी से बना सकते हैं। हर वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम ने एक नए इतिहास को जन्म दिया। चार साल पहले इंग्लैंड की जीत ने इंग्लिश क्रिकेट के सबसे खराब दौर के अंत का संकेत दिया और टीम वाइट बॉल में ट्रेंडसेटर साबित हुई।
2023 टूर्नामेंट भी एक विरासत छोड़ेगा। ग्राउंड से बाहर देखें तो अकेले भारत में आयोजित होने वाला पहला वनडे वर्ल्ड कप और एक नई बात ये कि ये क्रिकेट और उससे परे देश की शक्ति को दर्शाता है। पहली बार जानकार वर्ल्ड कप को देश की शक्ति का प्रतीक देख रहे हैं और अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में उसका शुरू और खत्म होना- इसका सेंटर है। ये भारत में खेल के राजनीतिक महत्व को भी दर्शाता है। विदेशी मीडिया में इस बात की बड़ी चर्चा है कि इस वर्ल्ड कप पर बीसीसीआई के साथ-साथ राजनीति की भी नजर है। वनडे वर्ल्ड कप ट्रॉफी को जीतना किसी फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी को जीतने से कम नहीं, भले ही इसमें इस समय सिर्फ 10 टीम हिस्सा ले रही हैं।
जो हारते हैं उनका दर्द बताएगा कि ये वर्ल्ड कप क्या है? कप्तान एबी डिविलियर्स 2015 में न्यूजीलैंड के हाथों दक्षिण अफ्रीका की सेमीफाइनल में हार के बाद कई सालों तक खुद को अकेला/डिप्रेशन में महसूस करते रहे- शायद इसी ने उनके इंटरनेशनल करियर को छोटा कर दिया। भारत और पाकिस्तान 1987 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल की हार को कभी भूलेंगे नहीं। इस वर्ल्ड कप के लिए, क्वालीफाइंग टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद जिम्बाब्वे के क्रिकेटरों के उतरे चेहरों से पता चला कि वर्ल्ड कप में हिस्सा लेना ही कितना ख़ास होता है। इसी तरह वेस्टइंडीज की नाकामयाबी के बाद, गॉर्डन ग्रीनिज ने अफसोस जताया- उनके लिए तो ये वेस्टइंडीज क्रिकेट का सबसे ख़राब दौर है। आयरलैंड के लोर्कन टकर को ऐसा लगता है कि आईसीसी ने एक बड़ी पार्टी की जिसमें उन्हें नहीं बुलाया। वे ये कभी नहीं भूलते कि 2007, 2011 और 2015 के वनडे वर्ल्ड कप ने ही आयरलैंड को एक टेस्ट देश बनने में सबसे ज्यादा मदद की।
अब देखिए, वजह चाहे जो हो, क्रिकेट कैलेंडर एक मजाक जैसा हो गया- टी20 वर्ल्ड कप लगातार दो साल 2021 और 2022 में खेले, 2013-14 में लगातार एशेज खेले लेकिन वनडे वर्ल्ड कप के चार साल के राउंड के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। अभी तो वनडे वर्ल्ड कप का 13वां आयोजन शुरू हुआ है और इसे अब तक का, स्टेडियम के बाहर, सबसे ज्यादा देखा जाने वाला क्रिकेट आयोजन मान रहे हैं। क्रिकेट में और चाहे जो कुछ भी बदलाव हो, वनडे वर्ल्ड कप का आयोजन और इसे जीतना सबसे ख़ास ही रहना चाहिए।
विदेशी मीडिया तो इसे भारत में चुनाव अभियान से जोड़ रहा है और यहां तक लिख दिया कि अगर भारत ने टाइटल जीता तो बहुत संभव है कि जश्न के उत्साह का फायदा उठाने के लिए चुनाव समय से पहले ही करा दिए जाएं। इस समय बीसीसीआई क्या है- लगभग देश की सरकार के प्रतिनिधि ही तो हैं। पाकिस्तान में देश के प्रेसीडेंट, खुद पीसीबी को उसके बड़े अधिकारी के नाम देते हैं- भारत में बीसीसीआई के चुनाव में वही जीतता है जिस पर सरकार का आशीर्वाद होता है। अब बीसीसीआई का विश्व क्रिकेट पर बढ़ता प्रभुत्व , देश के बढ़ते गौरव का प्रतीक ही तो है। वनडे वर्ल्ड कप की लोकप्रियता इसमें ख़ास है।
- चरनपाल सिंह सोबती