ये भूल जाएं कि वर्ल्ड कप 2023 किसने जीता तो ये तो शुरू से आखिर तक टीम इंडिया का वर्ल्ड कप था :
सबसे ज्यादा रन – विराट कोहली
सबसे ज्यादा विकेट – मोहम्मद शमी
सबसे ज्यादा औसत – विराट कोहली
सबसे ज्यादा चौके – विराट कोहली
सबसे ज्यादा छक्के – रोहित शर्मा
सबसे ज्यादा 50 – विराट कोहली
सबसे बेहतर बॉलिंग फिगर – मोहम्मद शमी
सबसे ज्यादा बार 5 विकेट – मोहम्मद शमी
सबसे बेहतर गेंदबाजी स्ट्राइक रेट – मोहम्मद शमी
सबसे बेहतर गेंदबाजी औसत – मोहम्मद शमीप्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट – विराट कोहली
तब भी ट्रॉफी नहीं जीते? ये पहली बार नहीं हुआ जब कि व्यक्तिगत प्रदर्शन काम नहीं आया और क्रिकेट चूंकि एक टीम गेम है और फाइनल के दिन टीम इंडिया, टॉप टीम नहीं थी। निराशा अपनी जगह सही है- सबसे बेहतर टीम, गजब की क्रिकेट और नई/तेज पिचों पर बिना हार खेले पर टीम मैनेजमेंट का फिजूल में पिच में घुसना और घिसी-पिटी/धीमी पिच चुनना भारी पड़ गया। नतीजा- वह हार जिसने कई सपने तोड़ दिए।
टीम इंडिया का वनडे क्रिकेट का पिछले कुछ साल का रिकॉर्ड (2015 वर्ल्ड कप – सेमीफाइनल में हार, 2017 चैंपियंस ट्रॉफी – फाइनल में हार, 2019 वर्ल्ड कप – सेमीफाइनल में हार और अब 2023 वर्ल्ड कप – फाइनल में हार) वास्तव में 2013 से आईसीसी ट्रॉफी में टीम इंडिया के उस रिकॉर्ड का हिस्सा है, जो खुद हैरान करने वाला है :-
- 2014 में टी20 वर्ल्ड कप फाइनल हारे
- 2015 में वर्ल्ड कप सेमीफाइनल हारे
- 2016 में टी20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल हारे
- 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल हारे
- 2019 में वर्ल्ड कप सेमीफाइनल हारे
- 2021 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल हारे
- 2022 में टी20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल हारे
- 2023 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल हारे
- 2023 में वर्ल्ड कप फाइनल हारे
इसका मतलब है पिछले 10 साल में एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीते। तो ये है भारतीय क्रिकेट का वह सुनहरा दौर जिसकी चर्चा होती है, तारीफ़ मिलती है। क्रिकेट पंडित दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड को चोकर कह रहे थे पर सच्चाई ये है कि इस रिकॉर्ड को देखकर तो टीम इंडिया भी चोकर है। क्या उन पर चोकर का लेबल लगाना गलत होगा?
वर्ल्ड कप में सिर्फ चौथी बार फाइनल में, उस टीम को जीत मिली जिसने, उन्हीं दो टीम के बीच पहले खेले ग्रुप मैच में हार का सामना किया था : 1983 में वेस्टइंडीज, 1999 में पाकिस्तान, 2015 में न्यूजीलैंड और इस बार भारत ने ग्रुप राउंड में फाइनल की दूसरी टीम को हराया था पर फाइनल की मुश्किल चुनौती पार न कर पाए।
टीम इंडिया के लिए चोकर का लेबल वास्तव में एक नई चुनौती है- आखिरकार ऐसी क्या बात है कि लगातार जीत के दावेदार होने के बावजूद पिछले 10 साल में सीनियर क्रिकेट में एक भी टाइटल नहीं जीता। किसी एक नहीं- रिकॉर्ड तीनों फॉर्मेट में एक सा है। टाइटल के दरवाजे पर दस्तक देते रहे लेकिन उसे खोल न पाए।
ये हालत ठीक वैसी ही है जैसी कि 1982 और 1986 की ब्राजील फुटबॉल टीम की थी। वे भी फीफा वर्ल्ड कप जीतने के दावेदार थे पर चोकर साबित हुए। हर बड़ी हार के बाद वजह की लंबी लिस्ट बन जाती है, इस बार भी बनेगी और कुछ दिन बाद एक नए टाइटल को जीतने की उम्मीद में टीम इंडिया की चर्चा शुरू हो जाएगी।
टीम के खेल में कोई कमी नहीं- ऑस्ट्रेलिया से कहीं बेहतर थी रोहित शर्मा की टीम लेकिन जरूरत थी उस किलर इंस्टिंक्ट की जिससे टाइटल जीते जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया टीम के पास यही पंच था- इसीलिए 3 विकेट जल्दी गिरने के बावजूद मुकाबले में कमी नहीं थी जबकि टीम इंडिया ने तो मैच खत्म होने से बहुत पहले ही हथियार डाल दिए थे। क्रिकेट में चमत्कार को बिलकुल ही नजरअंदाज कर दिया- यही किलर पंच न होना, टीम को चोकर बना रहा है।
भारत सिर्फ अंडर 19 आईसीसी वर्ल्ड कप ही जीतने वाली टीम नहीं है पर इसे साबित करने के लिए चोकर के लेबल से बाहर आना होगा।
क्या ये ऑस्ट्रेलियाई टीम, सच में वर्ल्ड चैंपियन है- नहीं। क्या यह टीम इंडिया, वर्ल्ड चैंपियन टीम थी- हां। तब भी ट्रॉफी वे ले गए। मैक्सवेल के एक जादू (जो वास्तव में अफगानिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी) ने उन्हें सेमीफाइनल में पहुंचाया और ट्रैविस हेड की शानदार पारी ने उन्हें कप दिलाया। दूसरी तरफ एक ऐसी टीम, जो एक टीम की तरह खेली और जिसमें हर खिलाड़ी ने हर क्षण योगदान दिया। बेहतर टीम नहीं जीती- जिसका दिन बेहतर रहा वह जीता। ऐसे ही अपना दिन बेहतर करना टीम इंडिया को कब आएगा?
- चरनपाल सिंह सोबती