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वर्ल्ड कप को जो टेलीकास्ट और स्ट्रीमिंग आप देख रहे हैं- आईसीसी इसे , स्तर में, अपना सबसे बेहतर क्रिकेट ब्रॉडकास्ट मान रही है। आईसीसी का दावा है कि उनकी टीवी टीम लगातार अपने कवरेज को, क्रिकेट को चाहने वालों की पसंद के हिसाब से बनाने की कोशिश करती है- इसीलिए इस बार एक नई शुरुआत के तौर पर वर्टिकल वीडियो प्रोडक्शन लॉन्च किया।  इसलिए जो फीड आप देख रहे हैं उसमें पहली बार आईसीसी टीवी पर वर्टिकल वीडियो फ़ीड शामिल है- इसे मोबाइल फोन पर क्रिकेट देखने वाले ज्यादा पसंद कर रहे हैं।वर्टिकल फ़ीड में विशेष स्प्लिट-स्क्रीन ने इसे और बेहतर बना दिया।

क्या आपने नोट किया- वर्ल्ड कप मैचों के दौरान इसका प्रोमो एंथम लगभग गायब है- वजह ये कि इस बार बने एंथम को आज तक का सबसे घटिया क्रिकेट एंथम घोषित किया जा चुका है। गलती कहां हुई- ये सभी को अटपटा इसलिए लगा क्योंकि वर्ल्ड कप थीम एंथम को बॉलीवुड आइटम में बदल दिया- रणवीर सिंह बस चिल्ला रहे  हैं और नाच रहे हैं। ऐसा क्यों है कि जब भी भारत में कोई बड़ा खेल आयोजन होता है, जैसे कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स या आईपीएल उद्घाटन तो सिर्फ बॉलीवुड हस्तियों को ही सामने ले आते हैं- इसका मतलब है भारत के पास दिखाने के लिए और कुछ नहीं है। हैरानी है ये नहीं माना जाता कि 1.4 अरब की आबादी वाले देश में ऐसे मौके के लिए और टेलेंट भी है। शायद इस बारे में सोचते ही नहीं। नतीजा सामने है- 2011 का ‘दे घुमा के’ याद है, 2015 का बैकग्राउंड म्यूजिक याद है पर इस बार के एंथम को तो ज्यादातर ने पूरा भी नहीं देखा।  

खैर ब्रॉडकास्टर की कमाई की बात करें तो वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले अनुमान ये था कि टेलीविजन और स्ट्रीमिंग की बराबर हिस्सेदारी रहेगी और  डिज्नी स्टार को एड/स्पांसर से 2,000 करोड़ रूपये तो मिलेंगे ही। ग्रूप राउंड के दौरान 10 सेकंड का विज्ञापन स्लॉट 30 लाख रूपये का रहा- 2019 वर्ल्ड कप की तुलना में 40% ज्यादा महंगा। फोनपे और महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित कम से कम 21 बड़े एड देने वालों से कॉन्ट्रैक्ट रहा और इनमें से हर एक ने 150 करोड़ रूपये दिए। सऊदी अरामको, एमिरेट्स और निसान जैसे आईसीसी के ऑफिशियल पार्टनर के साथ-साथ कोका-कोला, गूगल पे और हिंदुस्तान यूनिलीवर ने भी खूब पैसा खर्च किया। क्या आपने नोट किया- आईसीसी पार्टनर ड्रीम11 को छोड़कर, एडटेक और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां गायब हैं।  
2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की एड कमाई के अनुमान की एक वजह ये भी थी कि वर्ल्ड कप को दीवाली जैसे बड़े त्योहार के दौरान खेला- इन दिनों में तो वैसे भी एड खर्च में बढ़ोतरी हो जाती है। दशहरा-दीवाली ने वर्ल्ड कप में रुचि और बढ़ा दी- अभी आंकड़े सामने नहीं आए हैं पर एड खर्च 2019 वर्ल्ड कप के मुकाबले दोगुना होने की उम्मीद है। बाजार के जानकार ये मानते हैं कि देश में पूरे साल एड पर जो पैसा खर्च होता है- उसका लगभग 40-45 प्रतिशत इस त्योहारी सीजन में खर्च होता है।

शुरू में अनुमान था कि वर्ल्ड कप के लिए टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म लगभग बराबर कमाई करेंगे पर जो संकेत हैं उनके अनुसार डिजिटल कमाई इस बार काफी ज्यादा रहेगी- पिछले वर्ल्ड कप से तो कम से कम 70 प्रतिशत ज्यादा। 2019 वर्ल्ड कप के दौरान डिजिटल एड कमाई 400-500 करोड़ रुपये के बीच थी। अभी तो डिजिटल एड का रेट टीवी एड से कम है लेकिन जिस तरह से हिस्सा बदल रहा है वह नोट करने वाला है। क्रिकेट की डिजिटल प्लेटफार्म पर लोकप्रियता बढ़ रही है और डिजिटल चैनल पर एड रेट कम होने से कई नए ब्रांड क्रिकेट से जुड़े हैं। क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 में डिजिटल एड खर्च लगभग 2023 आईपीएल के बराबर होने की उम्मीद है।

इस वर्ल्ड कप के लिए डिजिटल एड रेट 230-250 रुपये प्रति हजार इंप्रेशन या लागत प्रति मिल (सीपीएम) की लिमिट में था- 2019 वर्ल्ड कप के दौरान ये 140-150 रुपये प्रति हजार इंप्रेशन था यानि कि लगभग 60 प्रतिशत बढ़ोतरी।

अभी तक इस वर्ल्ड कप के पहले 26 मैच के जो आंकड़े सामने आए हैं उनके अनुसार इस बार मैच देखने वाले भारतीय पुरुष की गिनती घट रही है- 2019 वर्ल्ड कप के पहले 26 मैच की तुलना में 10% कम होकर 127 मिलियन हो गई है। क्या डिज्नी+हॉटस्टार की मुफ्त मोबाइल स्ट्रीमिंग इसके लिए जिम्मेदार है?

इस बार एक नया पहलू सामने आया है। अब तक तो कहते थे कि टीम इंडिया के मैच ब्रॉडकास्टर की कमाई बढ़ाते हैं- क्या आप विश्वास करेंगे कि ब्रॉडकास्टर का कहना है कि टीम इंडिया के मैचों के दौरान, एड रेट अन्य मैचों से ज्यादा होने के बावजूद, कमाई कम हो रही है। बड़ी मजेदार है इसकी वजह- एशिया कप के बाद से लगातार टीम इंडिया जिस तरह से हावी होकर खेल रही है और मैच जल्दी खत्म हो रहे हैं उससे मैचों के दौरान एड समय घट रहा है और उसी हिसाब से कमाई। वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा की टीम ने लगातार 9 मैच जीते- दर्शक बढ़ रहे हैं, कमाई कम हो रही है।

डिजिटल में, भारत-पाकिस्तान मैच में 35 मिलियन (किसी भी समय सबसे ज्यादा हिट) का रिकॉर्ड बना जो भारत-न्यूजीलैंड मैच में 43 मिलियन और उसके बाद भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच में 44 मिलियन था- जब विराट कोहली ने कोलकाता में शतक की गिनती में सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी की तो इससे भी ज्यादा हिट का रिकॉर्ड बना। इस सब से ब्रॉडकास्टर के खजाने को कोई मदद नहीं मिल रही क्योंकि ग्रुप मैचों में, औसतन भारतीय गेंदबाज ने दूसरी टीम को 30 से भी कम ओवर में आउट किया। स्पष्ट है- एड समय कम हो गया। पहले 5 मैच में पहले गेंदबाजी की पर खुद औसतन 39 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया- सीधे एड के लिए 11 ओवर चले गए।

एक 50 ओवर मैच में, औसतन 7000-7500 सेकंड एड समय मिलता है- मैच जल्दी ख़त्म तो सीधे इन्वेंट्री का नुकसान और ब्रॉडकास्टर की कमाई गई। यही वजह है कि टीम इंडिया के मैचों के दौरान, मैच के दौरान एड दिखाने की शर्त को पूरा करने के लिए, मैच ख़त्म होने के करीब एड की बौछार हो जाती थी। और मजेदार बात- मैच के बाद की प्रोग्रामिंग में, भले ही  भारत की जीत की चर्चा होती है- उसे देखने वाले एकदम कम हो जाते हैं। एक तरफ इन मैचों के दौरान एड रेट अन्य मैच से तीन गुना ज्यादा पर एड दिखाने का समय कम होने से कमाई घट गई। आगे की बात फाइनल के बाद के आंकड़ों से करेंगे। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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