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भारत ने केपटाउन में दूसरे दिन ही दक्षिण अफ्रीका में सीरीज बराबर करने के लिए, टेस्ट इतिहास में सबसे तेज जीत दर्ज की- मेहमान टीम के लिए न्यूलैंड्स में सिर्फ 79 रन लक्ष्य था जो वास्तव में इस टेस्ट की पहली तीन पारी के खेल को देखते हुए आसान नहीं था। इस तरह सिर्फ 642 गेंद में टेस्ट जीत का रिकॉर्ड बना- गेंद की गिनती में अब तक की सबसे छोटी टेस्ट जीत (1932 के रिकॉर्ड से 14 गेंद कम और तब भी हार दक्षिण अफ्रीका को मिली थी- मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध)। टेस्ट में जिन 4+ सैशन में खेले- औसतन हर 20 गेंद पर कम से कम एक विकेट गिरा।

इतिहास में इस टेस्ट को कैसे याद रखेंगे- क्या भारत की जीत के लिए जिसने सेना (वास्तव में- SENA यानि कि दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में मुश्किल जीत के रिकॉर्ड में एक और जीत जोड़ दी? रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ दोनों के प्रोफाइल के लिए ये जीत ख़ास है- दक्षिण अफ्रीका से टेस्ट सीरीज हारे बिना लौटे। अगर आने वाले सालों में इस जीत को इन रिकॉर्ड से ज्यादा पिच के मिजाज और उससे बड़ी बात ये कि पिच पर, आईसीसी को चुनौती देते हुए रोहित शर्मा की स्टेटमेंट के लिए चर्चा मिले तो कोई हैरानी नहीं होगी।

नोट कीजिए दक्षिण अफ्रीका के रिटायर हो रहे कप्तान डीन एल्गर ने क्या कहा- ‘हमारे लिए पिच मुश्किल चुनौती रही। हम पॉजिटिव थे लेकिन पहली पारी में बैट से… और उसके बाद भारत की अच्छी गेंदबाजी और परिस्थितियों का सही फायदा उठाने ने, टेस्ट हमसे छीन लिया। विकेट पर बाउंस था- नंगी आंखों से देखने पर अच्छा विकेट लेकिन जैसा सभी ने सोचा था वैसा न खेला। हम टेस्ट को पहले सैशन में ही हार गए थे।’ टॉस जीतने के बाद 55 का स्कोर बने तो कोई भी टीम जीत की उम्मीद के माइंडसेट से कैसे खेलेगी?

इसकी तुलना में पिच पर रोहित शर्मा बेबाक बोले- ‘इस पिच पर सवाल पूछे जाएंगे। ऑफिशियल्स को यह तय करना होगा कि क्या मैच का इतनी जल्दी ख़त्म होना बल्लेबाजी में गलती की वजह से था या पिच की वजह से? भारत में टेस्ट में भारत की बिना वजह आलोचना को देखते हुए, इस पिच के मिजाज का भी सही रिव्यू होना चाहिए।’ बदलते बाउंस और गेंद की तेजी ने परिस्थितियों को खतरनाक बना दिया था और ये संयोग ही रहा कि किसी को चोट नहीं लगी।

वे आगे बोले- ‘हमें इसके बावजूद ऐसी पिच पर खेलने में कोई दिक्कत नहीं पर तब तक, जब तक ये नहीं मान लेते कि भारत में भी पिच पहले दिन से ही टर्न लेंगी। भारत में, पहले ही दिन शोर होने लगता है कि पिच धूल का गुबार है। हमें न्यूट्रल रहने की जरूरत है- खासकर मैच रेफरी को। मैं ये देखना चाहूंगा कि इस पिच को कैसी रेटिंग दी है? मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि वर्ल्ड कप फाइनल की पिच को सामान्य से भी नीचे आंका गया।’ अगर कल को विदेशी मीडिया में कोई रोहित शर्मा पर भी आईसीसी का कोड ऑफ कंडक्ट तोड़ने का आरोप लगा दे तो कोई हैरानी नहीं होगी।

कई ख़ास बात रहीं इस टेस्ट केपटाउन टेस्ट में  :

  • पहले दिन 23 विकेट गिरे और तब ही डीन एल्गर ने पिच को ‘सबसे अजीब’ कह दिया था। वे खुद दिन में दो बार आउट हुए- अपने आख़िरी टेस्ट में बड़ा स्कोर बनाने/जीत का उनका सपना अधूरा रह गया। पहले बल्लेबाजी करते हुए दक्षिण अफ्रीका, इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी के बाद से अपने सबसे कम स्कोर, 23.2 ओवर में 55 रन पर आउट।
  • भारत जवाब में एक समय 153-4 पर था लेकिन चाय के बाद बिना कोई रन जोड़े 6 विकेट गंवा दिए जिससे दक्षिण अफ्रीका को मैच में वापसी का मौका मिल गया। ये, 4 विकेट के बाद, सबसे खराब पारी पतन का नया रिकॉर्ड है।
  • क्या नोट किया- हर पारी के बाद पिच पर भारी रोलर चला और इसने पिच की तेजी/बाउंस को कुछ कम कर दिया लेकिन जैसे ही इसका असर कम हुआ- बल्लेबाजी फिर से मुश्किल हो गई
  • पहले दिन दक्षिण अफ्रीका दूसरी पारी में 62-3 पर था और अभी भी 36 रन से पीछे थे। इन्हीं में एल्गर भी थे- खराब पिच पर एक दिन में दो बार आउट।
  • पिच अजीब थी- यहां तक कि दोनों सिरों से अलग-अलग बाउंस मिल रहा था- एक तरफ से कम। दोनों टीम के पास जबरदस्त पेस अटैक था और ऐसे में बल्लेबाजी एक मौके की तरह थी- सुबह 55 रन में 10 विकेट गिरे, इसके बाद दोपहर में भारत ने 111 रन में 4 विकेट गंवाए पर आख़िरी सैशन में 104 रन पर 9 विकेट गिर गए। एल्गर ने इसे टेस्ट क्रिकेट का एक पागलपन भरा दिन कहा।
  • मोहम्मद सिराज ने अच्छी लेंथ पर शॉट लगाना मुश्किल कर दिया- बाउंस और मूवमेंट दोनों हासिल किए और 25 रन देकर 6 विकेट लिए- ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध स्टुअर्ट ब्रॉड के 8-15 के बाद, लंच से पहले दूसरा सबसे बेहतर प्रदर्शन।
  • प्रोटियाज दूसरी पारी में 176- ये अकेले एडेन मार्कराम की कोशिश की बदौलत बने। 103 गेंद में 106 रन लेकिन नोट कीजिए उनके बाद अगला टॉप स्कोर सिर्फ 12 रन था और सिर्फ तीन और बल्लेबाज दो गिनती के स्कोर तक पहुंचे। ऐसी पहली मिसाल जिसमें एक बल्लेबाज ने तो 100 बनाया पर टीम में कोई और 20 तक भी नहीं पहुंच पाया।
  • जसप्रीत बुमराह ने 61 रन देकर 6 विकेट लिए।
  • मैच में स्पिन की एक भी गेंद नहीं फेंकी गई।

पिच के मिजाज पर सवाल पूछे जाएंगे और जरूरी भी हैं। पूरे टेस्ट के दौरान पिच पर असाधारण सीम मूवमेंट और बदलता बाउंस नजर आया। क्या रोहित शर्मा की बात मानकर मैच रेफरी अपने कान/आंख खुले रखेंगे? मेजबान टीम के कोच कॉनराड ने भी पिच की आलोचना की और अपने खिलाड़ियों को दोष नहीं दिया। क्या प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवार्ड पिच को नहीं मिलना चाहिए था?

चरनपाल सिंह सोबती

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