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नागपुर टेस्ट भारत के पारी के अंतर से जीतने के बाद, अगला टेस्ट सामने है और सबसे बड़ा सवाल भी- उस जीत के शायद अकेले ‘विलेन’ केएल राहुल (92 मिनट में 71 गेंद पर 20 और हर रन के लिए जूझते नजर आए) अब भी प्लेइंग इलेवन में होंगे? 46 टेस्ट, 51 वनडे और 72 टी20 इंटरनेशनल का अनुभव पर गड़बड़ है उनकी मौजूदा फार्म- लिमिटेड ओवर क्रिकेट से टेस्ट क्रिकेट तक।

2021-22 में दक्षिण अफ्रीका में आखिरी टेस्ट 100 (स्कोर 123) और आख़िरी 50 (स्कोर था 50) बनाया था और उसके बाद से एक 25 भी नहीं बना पाए हैं। दूसरी तरफ सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट का उन पर भरोसा ऐसा कि टेस्ट इलेवन में जगह तो क्या उप कप्तान (जरूरत में कप्तानी भी की) बना दिया।

46 टेस्ट के बाद 34.07 टेस्ट औसत, 2624 रन जिसमें 7 स्कोर 100 वाले- इतने टेस्ट के बाद भी इस औसत वाले बल्लेबाज को, आज के समय में, क्या कहेंगे? जो भारत के लिए, कम से कम 45 टेस्ट खेले और 2500 रन स्कोर किए, उनमें से सिर्फ फारूख इंजीनियर (31.08), कपिल देव (31.05), आर अश्विन (27.38), सैय्यद किरमानी  (27.05) और अनिल कुंबले (17.77) का बल्लेबाजी का औसत उनसे कम है पर शुद्ध बल्लेबाज में सबसे घटिया औसत केएल राहुल का है। इंटरनेशनल क्रिकेट में 8 साल और टीम मैनेजमेंट के पूरे विश्वास के साथ खेलने के बाद, ये बेहद घटिया/ साधारण प्रदर्शन है। तब भी इतने मौके- क्या ये हैरानी की बात नहीं? 

आज भारतीय क्रिकेट ‘डिमांड एंड सप्लाई’ के ऐसे दौर में है जिसमें कई बेहतर टेलेंट को भी खेलने के पूरे मौके नहीं मिल रहे। नागपुर टेस्ट- रोहित शर्मा के साथ राहुल ने ओपनिंग की और अपनी सबसे बेहतर फार्म में खेल रहे शुभमन गिल बैंच पर और सरफराज खान घर में बैठे रह गए। मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी उनसे ज्यादा हकदार हैं टेस्ट इलेवन के। श्रेयस अय्यर भी अब फिट हैं।

क्या राहुल महज भाग्यशाली हैं? अगर नागपुर टेस्ट सिर्फ इस दलील पर खेल गए कि उप कप्तान हैं तो टेस्ट इतिहास में ऐसी ढेरों मिसाल हैं जबकि उप कप्तान को टीम से बाहर किया गया। वैसे राहुल को उप-कप्तान क्यों बनाया? वे कोई टॉप कप्तान या उप कप्तान साबित नहीं हुए। अश्विन, पुजारा अथवा जडेजा कहीं बेहतर विकल्प हैं उप कप्तान के लिए। यहां तक कि इस मामले में राहुल द्रविड़ जैसे कोच की पॉलिसी को भी शक की निगाह से देखा जा रहा है। अगर राहुल खुद को विराट कोहली या रोहित शर्मा समझ रहे हैं तो गलत सोच है। वे बेहद भाग्यशाली हैं- औसत प्रदर्शन से भी काफी नीचे खेल कर टेस्ट क्रिकेटर हैं और इंडिया टेस्ट कैप सस्ती कर दी।

इस सब के बावजूद, विश्वास कीजिए टीम कैंप से जो खबर आ रही है, उसमें वे अब भी ओपनर हैं। क्यों? ऐसा माना जा रहा है कि राहुल एक ओपनर के तौर पर और मौके के हकदार हैं और दलील ये कि साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक लगाने वाले इकलौते भारतीय ओपनर हैं। इतना ही नहीं, अगर विराट कोहली को समय दिया जा सकता है, और उससे भी पहले, तेंदुलकर से लेकर द्रविड़, लक्ष्मण से लेकर सहवाग तक सभी को भी फार्म की तलाश में समय दिया जाता रहा है तो केएल राहुल को क्यों नहीं?

सेंचुरियन में कगिसो रबाडा एंड कंपनी के विरुद्ध 123 रन (जब दोनों टीम से कोई भी अन्य बल्लेबाज पूरे टेस्ट में इसके आधे से ज्यादा रन नहीं बना सका) के बाद- 10 पारियों में,सिर्फ 180 रन। मुश्किल मौजूदा दौर है। तब भी टीम मैनेजमेंट विदेशों में शतक को भाव दे रही है। क्या ये सही है? 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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