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रणजी ट्रॉफी सीजन 2022-23, सीजन में टॉप गेंदबाज की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम है जलज सक्सेना (ऑलराउंडर- दाएं हाथ के बल्लेबाज और लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज) का- 7 मैच में 50 विकेट। तब भी क्या सेलेक्टर्स ने सीजन के दौरान, उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए चुनना तो दूर, उनके नाम की चर्चा भी की? जवाब है- नहीं।  फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 133 मैच, 410 विकेट और 6567 रन। 2014-15, 2015-16 और 2017-18 में लाला अमरनाथ अवार्ड (सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर), एक ही मैच में दो बार 100 रन और 8 विकेट तथा अनिल कुंबले के अलावा रणजी ट्रॉफी मैच में 16 विकेट लेने वाले एकमात्र खिलाड़ी। जिन बड़े नाम की, रणजी ट्रॉफी या घरेलू क्रिकेट में, शानदार प्रदर्शन के बावजूद, टेस्ट न खेलने की चर्चा होती है- उनमें टॉप कुछ की लिस्ट में जलज का भी नाम होना चाहिए।

इन दिनों क्रिकेट में, पूरे देश में, सबसे फेवरिट टॉपिक है मुंबई रणजी टीम के सरफराज खान को एक दुर्भाग्यशाली भारतीय क्रिकेटर साबित करना। शायद वे भी उन बदकिस्मत भारतीय क्रिकेटरों में से एक हैं जो फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ढेरों रन बनाने के बावजूद कभी  इंटरनेशनल  क्रिकेट नहीं खेले। इस समय रिकॉर्ड : 37 मैच, 3505 रन, 79.65 औसत, 13 शतक, 9 अर्द्धशतक और 301* सबसे बेहतर स्कोर। इसमें रणजी ट्रॉफी में पिछले 3 सीजन में- 928 ,982 और 556 रन। तब भी, अभी सरफराज के लिए ये स्टेटमेंट बदल सकती है क्योंकि उम्र उनके साथ है पर जलज तो 36+ हैं।

सच ये है कि वे ऐसे पहले नहीं जो इस तरह के बेहतर रिकॉर्ड के बावजूद कभी भारत के लिए  इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेले। देवेंद्र बुंदेला (145), अमोल मजुमदार (136), मिथुन मन्हास (135), रश्मी परिदा और राजिंदर गोयल (123) ने भारत का प्रतिनिधित्व किए बिना सबसे ज्यादा रणजी ट्रॉफी मैच खेले- तो इनकी निराशा का अंदाजा लगाइए ! घरेलू क्रिकेट में गजब के रिकॉर्ड के बावजूद कभी इंटरनेशनलय क्रिकेट न खेलने वालों की भारतीय लिस्ट बनाएं तो टॉप पर राजिंदर गोयल (खब्बू स्पिनर) का नाम रखना कोई गलत नहीं कहेगा। फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 157 मैच में 750 विकेट- रणजी में सबसे ज्यादा विकेट (637) और करियर 27 साल का। 1964-65 में सीलोन के विरुद्ध एक अनौपचारिक टेस्ट खेला पर बिशन सिंह बेदी के साथ तुलना में पीछे रह गए और एक भी टेस्ट न खेला।

बेदी युग में यही पद्माकर शिवालकर (खब्बू धीमे स्पिनर) के साथ हुआ। फर्स्ट क्लास क्रिकेट रिकॉर्ड 124 मैच में 589 विकेट- मुंबई के लिए 361 रणजी विकेट (रिकॉर्ड) पर तब सबसे बेहतर खेले, जब बिशन सिंह बेदी छाए हुए थे। भारतीय टेस्ट कैप के सबसे करीब- जब 1973-74 में श्रीलंका गए और कुछ टूर मैच खेले। 26 साल का करियर रहा।

इन दिनों कोचिंग कर रहे अमोल मजुमदार (दाएं हाथ के बल्लेबाज) का फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 171 मैच में 11167 रन जिसमें 30 शतक, दूसरे सबसे ज्यादा रणजी रन (9205) का रिकॉर्ड पर टेस्ट कैप नसीब नहीं हुई। 1994 में इसके बड़े करीब थे पर किस्मत ने साथ नहीं दिया।

बीते जमाने के दिग्गजों में अमृतसर गोविंदसिंह ‘एजी’ राम सिंह (आलराउंडर- बाएं हाथ के बल्लेबाज/धीमे खब्बू ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज) भी ऐसे ही थे। फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 56 मैच में 265 विकेट/3314 रन तथा रणजी ट्रॉफी में 1000 रन बनाने और 100 विकेट लेने वाले दूसरे क्रिकेटर। 1935-36 में इंग्लैंड के टूर में दो अनौपचारिक टेस्ट खेले और 1945 में सीलोन भी गए लेकिन इंडिया कैप नहीं मिली। कई इतिहासकार उन्हें भारतीय क्रिकेट में, इस संदर्भ में, सबसे खराब किस्मत वाला क्रिकेटर गिनते हैं।

भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबालकर (दाएं हाथ के बल्लेबाज, विकेटकीपर, फ़ास्ट-मीडियम गेंदबाज) को तो 400 के स्कोर के बावजूद मौका नहीं दिया। फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 80 मैच, 4841 रन,टॉप स्कोर 443*- रणजी ट्रॉफी में सबसे बड़ा स्कोर। 1949-50 में कॉमनवेल्थ इलेवन के विरुद्ध अनौपचारिक मैच खेले पर कोई टेस्ट मैच नहीं खेला।

अब ऐसे कुछ जो हमेशा घरेलू क्रिकेट के लिए चर्चा में रहे और कोई नहीं जानता कि क्यों वे सेलेक्टर्स की चर्चा में नहीं आए? अमरजीत केपी (दाएं हाथ के बल्लेबाज) का फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 117 मैच में 7894 रन जिसमें 27 शतक तथा रिटायर होने के समय, वह रणजी इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। बहुत बदकिस्मत मानना चाहिए उन्हें। ऐसे ही कंवलजीत सिंह (दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज)- फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 111 मैच में 369 विकेट जिसमें 1999-2000 सीज़न में 62 विकेट का रिकॉर्ड बनाया। 1994/95 में इंडिया ए-इंग्लैंड ए मैच खेले, अच्छा प्रदर्शन किया पर तब राजेश चौहान पहली पसंद वाले ऑफ स्पिनर थे। 40 की उम्र के बाद भी 113 विकेट लिए और तब भी उनमें टॉप क्रिकेट खेलने की इच्छा थी।

पांडुरंग सालगांवकर (दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज) तो उस दौर में खेले जब देश में तेज गेंदबाज थे कहां पर उन्हें नहीं खिलाया। फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 63 मैच में 214 विकेट और 1970 के दशक में घरेलू सर्किट में सबसे तेज गेंदबाजों में से एक थे। तब 1974 में श्रीलंका के विरुद्ध अनऑफिशियल टेस्ट खेला, वेस्ट जोन की जो टीम 1974-75 में वेस्टइंडीज से खेली उसमें चमके तो मदन लाल और सैयद आबिद अली को टक्कर दी, 1975 वर्ल्ड कप टीम के लिए भी बुलाया पर चुना नहीं।

ऐसे ही हरि गिडवानी (दाएं हाथ के बल्लेबाज) थे। फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 119 मैच में 6805 रन और 1986-1988 के बीच लगातार 5 रणजी ट्रॉफी मैचों में शतक बनाए। वेस्टइंडीज के विरुद्ध टूर मैच में 46 और श्रीलंका के विरुद्ध शतक बनाया। 1975-76 में भारत की टीम के सबसे करीब थे जब मेहमान श्रीलंकाई टीम के विरुद्ध शतक बनाया था।

इसी लिस्ट में जलज सक्सेना हैं। 2013 में इंडिया ए में चुना। 2021 में रवींद्र जडेजा इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के लिए चोटिल हुए तो उन्हें बुलाया पर खिलाया अक्षर पटेल को। ऐसे और भी कई नाम हैं।   – चरनपाल सिंह सोबती

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