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ऑस्ट्रेलिया ने 6वां महिला टी-20 विश्व कप टाइटल जीत लिया- इस खबर पर क्रिकेट की दुनिया में एक आम प्रतिक्रिया ये थी कि इसमें कौन सी ख़ास बात है? उन्होंने तो जीतना ही था। इस टीम का नाम लेते ही, उनकी जीत की झलक मिलती है और यही है न सिर्फ इस टीम के बेहतर होने- उनके, क्रिकेट में सबसे महान में से एक टीम कहलाने का सबूत। जिस तरह, इन सब सालों में भारत की टीम बार-बार गलती करती रहीं और जीत की स्थिति में होने के बावजूद जीत न पाए- उसी तरह ऑस्ट्रेलिया की इस टीम को आता है मुश्किल से निकलना। इसीलिए वे सर्वश्रेष्ठ हैं और मेग लैनिंग की टीम ने लगातार चौथी बार वाइट बॉल ट्रॉफी जीत कर इस स्टेटमेंट को और सही बना दिया। हर टूर्नामेंट के साथ ये टीम और बेहतर नजर आती है और इसका राज है- नई ऊंचाई तक पहुंचने की लगातार कोशिश।

अब इस साल के टी20 विश्व कप से ही देखिए :
बेथ मूनी- टॉप स्कोरर
मेगन शुट्ट- सबसे ज्यादा विकेट
एशले गार्डनर- प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट
6 मैच में- 5 अलग-अलग खिलाड़ी प्लेयर ऑफ़ द मैच
मैच सिर्फ स्कोर बनाने या विकेट लेने वाले नहीं जीतते- एलीस पेरी के सेमीफाइनल में भारत के विरुद्ध बिना विकेट 14 रन देना और सिर्फ दो रन बनाए पर नाजुक मौके पर जो दो बॉउंड्री बचाईं- वे 5 रन की जीत में सबसे ख़ास थीं।

न सिर्फ इस साल का विश्व कप मैच (जब भारत को 33 गेंदों में 6 विकेट के साथ 39 रन की जरूरत थी), पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडल मैच में भी तो भारत ने ऐसे ही जीत को हाथ से फिसलते देखा और सच ये है कि ये ऑस्ट्रेलिया टीम, पिछले लगभग डेढ़ दशक के दौरान कई मौकों पर ऐसा कर चुकी है। इस ऑस्ट्रेलिया टीम को हराना आसान नहीं है। मजे की बात ये है कि एक तरफ तो उन्हें सर्वकालीन सबसे बेहतर क्रिकेट टीम (पुरुष क्रिकेट को भी गिन कर) बताने की बात हो रही है तो दूसरी तरफ, इस टीम को, टीम ऑफ़ द ईयर के लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के लिए नॉमिनेट भी नहीं किया गया है। जिस टीम ने पिछले साल, 29 इंटरनेशनल मैचों में से सिर्फ एक में हार को देखा हो (वह भी सुपर ओवर में) तो उसे नॉमिनेट भी न करना- ये इस अवार्ड का नुकसान है।

टीम फिलॉसफी है- सब कुछ जीतना चाहते हैं। भले ही, उनकी कामयाबी के इस दौर में सबसे ज्यादा चुनौती भारत से मिली पर ऑस्ट्रेलिया वाले सबसे ज्यादा खुश इस बात से हैं कि इंग्लैंड ने भी मान लिया है कि वे बेहतर हैं। वे तो, 2000 के दशक की ग्रेट ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी रिकॉर्ड में चुनौती देते हैं। देखिए :

  • लगातार चौथा विश्व कप व्हाइट-बॉल टाइटल जीते (टी20 में 3 और 50 ओवर में 1- 2018 से) और साथ में कॉमनवेल्थ गेम्स टाइटल।
  • पिछले दो साल में पूरे खेले 46 वाइट बॉल मैचों में से 43 जीते।
  • मार्च 2021 से 22 टी20 इंटरनेशनल मैचों में, सिर्फ एक हार- वह भी मुंबई में भारत के साथ बराबरी के बाद सुपर ओवर में।
  • सितंबर 2021 में मैके में भारत से हार के बाद, अपने पिछले 15 वनडे मैच जीते हैं।
  • पिछले 42 में सिर्फ एक 50 ओवर मैच हारे हैं।
  • पिछले 9 साल में एक भी टेस्ट मैच नहीं हारा है।

और क्या सबूत चाहिए? नई खिलाड़ी आ रही हैं पर एलिसा हीली, बेथ मूनी, जेस जोनासेन, मेगन शुट्ट और एलिसे पेरी को देख कर, उन्हें सिर्फ उन जैसा बनने का लक्ष्य मिलता है। स्मृति मंधाना इन से बड़ी ‘स्टार’ जरूर हो सकती है- क्रिकेटर नहीं। हर खिलाड़ी, अपने खेल को अगले लेवल पर ले जाने की कोशिश में लगा है। कप्तान लैनिंग, जिसने कॉमनवेल्थ गेम्स टाइटल के साथ अपना 7वां विश्व कप विश्व कप जीता- इस टीम में सूत्रधार हैं। इसीलिए डब्ल्यूपीएल में वास्तव में सबसे ज्यादा कीमत इस टीम की क्रिकेटरों की लगी और उन्हें कप्तान बनाना इसी का सबूत है।

ये डब्ल्यूपीएल, भारत की युवा क्रिकेटरों के लिए इन से ‘क्रिकेट’ सीखने का बहुत अच्छा मौका है। वहां हर क्रिकेटर चुनौती में आगे बढ़ रहा है- और अंडर-11 या अंडर-15 टीम में आना ही चुनौती बन जाता है। किसी भी ऑस्ट्रेलियाई टीम में शामिल होने का अधिकार हासिल करना पड़ता है और उसके लिए अच्छा खेलना होगा। इंग्लैंड के कप्तान माइकल वॉन तो इस ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेट टीम को स्टीव वॉ और रिकी पोंटिंग की टीम से भी बेहतर मानते हैं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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