fbpx

मौजूदा दौर में, इतनी इंटरनेशनल क्रिकेट इतनी खेली जा रही है कि रणजी ट्रॉफी पर तो कोई ध्यान ही नहीं देता- ख़ास तौर पर, क्रिकेट प्रेमियों की मौजूदा पीढ़ी। वे ये विश्वास नहीं करेंगे कि मुंबई ने 41 बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप के तौर पर खेली जाने वाली रणजी ट्रॉफी को जीता है। मौजूदा दौर न उनका है और न ही दिल्ली, कर्नाटक और तामिलनाडु का- ये दौर सौराष्ट्र टीम का है। इस सीजन में रणजी ट्रॉफी जीत के बाद, नियमित कप्तान जयदेव उनादकट ने भी यही कहा- पिछले 10 साल सौराष्ट्र क्रिकेट के ही रहे हैं और रिकॉर्ड बताता है कि ये दावा निराधार नहीं है।

2012-13 में पहली बार रणजी फाइनल खेलने से गिनें तो कुल 5 फाइनल जिनमें सौराष्ट्र दो बार चैंपियन- 2019-20 में और अब 2022-23 में। इस बार, कोलकाता में बंगाल को फाइनल हराकर चैंपियन बने। जब, सौराष्ट्र के रवींद्र जडेजा दिल्ली में भारत की जीत में ख़ास भूमिका निभा रहे थे, उनकी घरेलू टीम, किसी भी बड़े नाम के बिना, लगभग 1,562 किलोमीटर दूर, चार साल में दूसरी बार रणजी चैंपियन बनी। बंगाल को कोलकाता में, उनकी अपनी पिच पर हराना, कोई साधारण बात नहीं।

कुछ दिन पहले, 50 ओवर की विजय हजारे ट्रॉफी जीते थे- इस तरह इस सीजन में दूसरा बड़ा टाइटल जीते। साथ में, इंटर-स्टेट अंडर 25 वनडे टाइटल (राष्ट्रीय ए चैंपियनशिप) भी जोड़ लें तो हैट्रिक हो गई। पिछले 10 साल में रणजी ट्रॉफी विजेता :

  • 2012-13 मुंबई (सौराष्ट्र को हराया)
  • 2013-14 कर्नाटक (महाराष्ट्र को हराया) 
  • 2014-15 कर्नाटक (तमिलनाडु को हराया) 
  • 2015-16 मुंबई (सौराष्ट्र को हराया) 
  • 2016-17 गुजरात (मुंबई को हराया) 
  • 2017-18 विदर्भ (दिल्ली को हराया) 
  • 2018-19 विदर्भ (सौराष्ट्र को हराया) 
  • 2019-20 सौराष्ट्र (बंगाल को हराया) 
  • 2020-21 आयोजन नहीं 
  • 2021-22 मध्य प्रदेश (मुंबई को हराया) 
  • 2022-23 सौराष्ट्र (बंगाल को हराया)

क्रिकेट सीजन के दौरान सौराष्ट्र के चेतेश्वर पुजारा और रवींद्र जडेजा सीनियर टीम में वापस लौटे पर सबसे बड़ी खबर जयदेव उनादकट के लिए टेस्ट और एक दिवसीय कॉल-अप रही। घरेलू क्रिकेट में सबसे कामयाब तेज गेंदबाजों में से एक, इस तेज गेंदबाज के लिए 10 साल से भी ज्यादा के बाद, सीनियर  टीम में जगह कोई मामूली बात नहीं।

सौराष्ट्र की ये सफलता सिर्फ पुजारा या रवींद्र जडेजा की नहीं है- सीजन में पुजारा ने तो सिर्फ 2 और रवींद्र ने 1 मैच खेले और न ही ये उनादकट की सफलता है जो 10 में से 4 ही मैच खेले- ये उनकी बैंच स्ट्रेंथ की सफलता है। शेल्डन जैक्सन, अर्पित वसावदा, धर्मेंद्रसिंह जडेजा और चिराग जानी जैसे क्रिकेटरों ने सौराष्ट्र को, देश में, नया क्रिकेट सेंटर बनाया है- इनमें से, जडेजा और जानी 5 में से 3 और उनादकट, जैक्सन और वसावदा तो सभी 5 फाइनल खेले हैं।  

नए युवा क्रिकेटर भी सामने आ रहे हैं। 

पार्थ भुट : क्वार्टर फाइनल में, इस सीजन के, किसी भी खिलाड़ी के, सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन में से एक दिखाया- पंजाब के विरुद्ध, 9वें नंबर पर, जब टीम 147-7 के स्कोर पर संकट में थी तो शतक बनाया और मैच में 8 विकेट- इनमें से दूसरी पारी में 5 विकेट।  

चेतन सकारिया : गुजरात के विरुद्ध, तीसरी पारी में टीम 15-5 पर और 67 की कुल बढ़त तो हार सामने थी। ऐसे में, इस नंबर 11 को नंबर 5 पर भेज दिया- 45 रन बनाए और 6 वें विकेट के लिए वसावदा के साथ 90 रन जोड़कर पारी में नई जान फूंक दी। सेमीफाइनल में- बेंगलुरु में कर्नाटक के विरुद्ध, जीत के लिए 115 रन की जरूरत और स्कोर हो गया 42-5 का।  सकारिया (24) ने तीन छक्के जड़कर दबाव हटा दिया और वसावदा के साथ छठे विकेट के लिए 62 रन जोड़ दिए। अगर नंबर 11 ऐसे खेले, तो टीम में अपने आप आत्म-विश्वास आ जाता है। फाइनल में- चेतन नाइट वॉचमैन थे पर अगली सुबह के पहले 15 ओवरों में जो गजब की बल्लेबाजी की उसने बंगाल की किसी चमत्कार की हर उम्मीद को खत्म कर दिया

अर्पित वसावदा : नॉकआउट के तीन मैचों में 407 रन- 81 (बंगाल के विरुद्ध फाइनल में), 202 और 47* (सेमीफाइनल में कर्नाटक के विरुद्ध) और 0 और 77 (पंजाब के विरुद्ध क्वार्टर फाइनल में)। सीजन में 10 मैच में 907 रन बनाए और सिर्फ मयंक अग्रवाल (990) ने उनसे ज्यादा रन स्कोर किए।  

सौराष्ट्र टीम स्टार के बिना खेली और उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं था। बस ये जानते थे कि मैच कैसे जीते जाते हैं? खिलाड़ियों पर टीम का भरोसा ज्यादातर मौकों पर सही रहा और इसी से 2018 के बाद से, ऐसा कोर ग्रुप एक साथ बना कि पिछले तीन सीज़न में, प्लेइंग इलेवन में सिर्फ दो डेब्यू करने वाले खिलाड़ियों को शामिल किया है- जय गोहिल और युवराज डोडिया। ख़ास ये कि जिसे मौका दे दें, उस पर पूरा विश्वास दिखाते हैं। इस सीजन में सिर्फ 18 खिलाड़ी प्रयोग किए। जयदेव उनादकट इस सब के पीछे, सबसे बड़ी सोच रहे। सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने भी अपने कप्तान में पूरा विश्वास दिखाया।

जब एसोसिएशन में सब सही हो तो उसका असर टीम के खेल पर साफ़ दिखाई देता है। टीम में खुशी का माहौल था- हर मैच से पहले टीम डिनर और ड्रेसिंग रूम ऐसा मानो परिवार हो। इसीलिए अब आगे से, बेहतर क्रिकेट की मिसाल के लिए, ‘सौराष्ट्र स्कूल ऑफ़ क्रिकेट’ का जिक्र ही होगा। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *