fbpx

क्या श्रीलंका के पहले टेस्ट कप्तान का नाम याद है? एक तकनीकी तौर पर सही ओपनर, वर्नपुरा 1982 में कोलंबो में पी सारा ओवल में इंग्लैंड के विरुद्ध पहले टेस्ट में श्रीलंका के कप्तान थे। बाद में, रिबेल टूर पर दक्षिण अफ्रीका जाने से करियर ख़त्म हो गया- सिर्फ तीन और टेस्ट और 12 वन डे मैच खेले।श्रीलंका ने इस टूर के लिए उन्हें कभी माफ़ नहीं किया।

खबर ये रिकॉर्ड नहीं, ये है कि बंडुला वर्नपुरा की डायबटीज़ बीमारी के कारण दाहिनी टांग कट गई है- मरने की हालत में थे और बचाने के लिए टांग काटना जरूरी हो गया था। वह अभी अस्पताल में हैं- कोलंबो के नवालोक अस्पताल में आईसीयू में। वर्नपुरा को हाल ही में उनके ब्लूमफील्ड क्लब का प्रेसीडेंट चुना गया था और पिछले अप्रैल के श्रीलंका क्रिकेट चुनाव में वाईस प्रेसीडेंट के उम्मीदवार थे पर बाद में चुनाव से हट गए।

क्या आप जानते हैं कि इस खबर उन्हें सबसे पहला संदेश किसका आया- इंग्लैंड से पुराने फर्स्ट क्लास क्रिकेटर/कोच एंडी मोल्स का- वही मोल्स जो न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड टीम के कोच रहे और अफगानिस्तान के खिलाड़ियों के साथ भी काम किया। उन्होंने न सिर्फ बंडुला वर्नपुरा को हर संभव मदद की पेशकश की, ये भी कहा- ‘आगे सब अंधेरा दिखाई देगा पर हमेशा याद रखें कि लोग आपसे भी बुरी हालत में जी रहे हैं।’ ऐसा क्यों?

असल में ये वही मोल्स हैं जिनकी अपनी टांग, उन्हें बचाने के लिए काट दी गई थी- ‘जब पहली बार बताया गया कि टांग कटनी है तो लगा था कि ऐसे कैसे ज़िंदा रहूँगा- फिर मैंने उन मुश्किलों के बारे में सोचना शुरू किया जो दुनिया भर में लोग रोज़ भुगत रहे हैं।’ एंडी मोल्स के पैर में इंफेक्शन हो गया था- हालत ये हुई कि टांग काटनी पड़ी आपातकालीन सर्जरी में।

मोल्स 2008 में कीवी टीम के कोच बने थे- जॉन ब्रेसवेल की जगह। इंग्लैंड में वार्विकशायर के लिए खेले- लगभग 15,000 रन और 29 सेंचुरी। 1994 सीजन में तीन ट्राफियां जीतने वाली वार्विकशायर टीम में वे भी थे और एलन डोनाल्ड, ब्रायन लारा और डरमोट रीव के साथ खेले। जब अफगानिस्तान क्रिकेट के डायरेक्टर थे पैर में इंफेक्शन हुआ अबू धाबी में 47 डिग्री गर्मी में 5 किमी पैदल चलने से- अफगान टीम वहां बांग्लादेश टूर की तैयारी कर रही थी। इलाज़ कराया और जब उसके बाद टीम आयरलैंड के विरुद्ध खेलने भारत आई तो वे साथ थे- यहीं हालत बिगड़ी और इलाज़ के लिए टूर के बीच से दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। पहले तो पैर का अंगूठा काट दिया पर ठीक नहीं हुए तो एक टांग। इलाज़ और नकली टांग लगाने का खर्चा प्रोफेशनल क्रिकेटर्स ट्रस्ट ने दिया- बाद में उन्होंने चेरिटी से ट्रस्ट के लिए खूब पैसा इकट्ठा किया ताकि औरों की भी मदद हो सके।

वैसे इस तरह टांग कटने को देखने वालों में क्रिकेट में सिर्फ इन दोनों का ही नाम नहीं है। क्रिकेटर रॉब फ्रैंक्स का नाम तब पता लगा जब उन्होंने सर्जरी के लिए हजारों पाउंड जमा करने के लिए ऑनलाइन अपील की- वे हैम्पशायर में क्रिकेट खेल रहे थे तो बाएं घुटने पर एक ट्यूमर हुआ और टांग कटी। वे तो बाद में मिडिलसेक्स डिसेबिलिटी क्रिकेट क्लब के लिए खेले भी। बुरी तरह दर्द था और इलाज़ के लिए क्राउडफंड से मदद ली क्योंकि एनएचएस ने इस इलाज़ से इंकार कर दिया था।

भारत में भी मिसाल मौजूद है। सुनील गावस्कर के साथ खेलने वाले इंदर राज की भी गैंगरीन से इंफेक्शन वाले पैर के लिए टांग कटी। वे भी पैसे के लिए जूझते रहे। आज क्रिकेटर आईपीएल से करोड़ों कमा रहे हैं- पुराने क्रिकेटरों की हालत देखिए। इंदर राज 60 के दशक के अंत में आंध्र और हैदराबाद रणजी टीमों का हिस्सा रहे थे, मोइन-उद-दौला गोल्ड कप में वीएसटी के लिए सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ, सैयद किरमानी जैसे खिलाड़ियों के साथ खेले। कहते हैं गावस्कर भी उनकी बैटिंग की तारीफ करते थे। ये भी कहा जाता है कि अगर इंदर राज ने बैंक की नौकरी नहीं छोड़ी होती तो उस दौर के सहवाग होते। इसके बाद दुर्दशा ऐसी हुई कि उनके भाई, गोविंद राज (उस भारतीय टीम के खिलाड़ी जिसने 1971 में इंग्लैंड में पहली बार टेस्ट सीरीज जीती) मदद के लिए हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के चक्कर लगा लगा कर थक गए थे।

इंग्लैंड के एक और क्रिकेटर लियाम थॉमस की मिसाल। वे इंग्लैंड फिजिकल डिसएबिलिटीज टीम और पाकिस्तान के बीच एक मैच खेल रहे थे- फील्डिंग के दौरान थॉमस की प्रोस्थेटिक लेग निकल गई- तब भी हार नहीं मानी और बाउंड्री नहीं होने दी। इतना ही नहीं, बाउंड्री बचाने के बाद भी थॉमस गेंद लेने एक पैर पर कूद गए और रन बनाने से रोकने के लिए गेंदबाज की तरफ फेंक दिया।

राहुल द्रविड़ ने अपना करियर बनाने के लिए जिन कोच का बार जिक्र किया वे रमाकांत आचरेकर, परांजपे, हनुमंत और तारापुर हैं। तारापोर को कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन ने फीस दी लेकिन बड़ी मामूली और बैंगलोर यूनाइटेड क्रिकेट क्लब से उन्होंने कुछ भी नहीं लिया। सारी जिंदगी मेहनत की और तबीयत ख़राब रहने लगी- आखिर में वैरिकाज़ वैंस में गड़बड़ के कारण उनकी टांग काटनी पड़ी।

इतिहास में ‘वन-आर्म्ड बनाम वन-लेग्ड क्रिकेट मैचों ‘ का जिक्र मिलता है- एक टीम में सिर्फ एक बाजू वाले क्रिकेटर तो दूसरी टीम में सिर्फ एक टांग वाले क्रिकेटर। ऐसे मैच आम तौर पर इंग्लैंड में ग्रीनविच के उन नाविकों और सैनिकों ने खेले जो युद्ध के दौरान विकलांग हो गए थे। बात वहीं ख़त्म नहीं हुई और बीमारी के क्रिकेटरों को घेरने का सिसिला जारी है।

-चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *