तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 13 साल बिताने के बाद, अनुभवी भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इतिहास फिर से लिख दिया दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में एक्शन से भरपूर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे टेस्ट में- अपना 100 वां टेस्ट खेल कर। भारत से ये रिकॉर्ड सीनियर बल्लेबाज विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जैसों के नाम है- 100 टेस्ट मैच खेलने वाले 13वें भारतीय क्रिकेटर बन गए। पिछले 12 में से किसी ने भी, अपने 100वें टेस्ट में 100 का स्कोर नहीं बनाया और सुनील गावस्कर ने चाहा कि पुजारा यह रिकॉर्ड बनाएं। ये रिकॉर्ड बने या न बने- एक मेहनती बल्लेबाज के तौर पर पुजारा के योगदान का आंकलन हमेशा ख़ास रहेगा।
कोच द्रविड़ ने कहा- ‘यह किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए टैलेंट की जरूरत है, तो साथ ही बहुत सी अन्य चीजों की भी। यह लंबी उम्र, बेहतर फिटनेस, आपका लचीलापन, सफलता और असफलता को झेलने की क्षमता की पहचान है।’ ये वास्तव में तय है कि 100 टेस्ट तक के करियर में,उतार-चढ़ाव जरूर देखे होंगे। 100 टेस्ट खेलने के लिए कम से कम 10 साल चाहिए और पुजारा 13 साल से खेल रहे हैं। दिल्ली टेस्ट शुरु होने से पहले रिकॉर्ड- 99 टेस्ट में 7021 रन। 2010 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया और आज के दौर में भी शुद्ध टेस्ट बल्लेबाज क्योंकि इतने साल खेलने के बावजूद सिर्फ 5 वनडे ही खेले हैं।
उनकी पहचान रही मुश्किल में टीम के लिए क्रिकेट खेलना और उसे एक नहीं, कई बार दिखाया। 206* और 41* विरुद्ध इंग्लैंड, अहमदाबाद, 15-19 नवंबर 2012 ऐसे ही थे। पहला दोहरा शतक सिर्फ 6 वें टेस्ट में और तब जबकि भारत को सीरीज में सही शुरुआत की जरूरत थी। 206(389 गेंद)- 21 चौके, लगभग साढ़े आठ घंटे में और भारत का स्कोर 521/8 रहा। इंग्लैंड ने फॉलोऑन किया। अपनी दूसरी पारी में कुछ मुकाबला किया पर कोई बड़ी चुनौती नहीं दे पाए और भारत ने टेस्ट 9 विकेट से जीत लिया। इसमें भी पुजारा के 41 थे। उस समय भारत को राहुल द्रविड़ की तरह दबाव झेलने और पिच पर टिकने वाले बल्लेबाज की तलाश थी और पुजारा ने, वहां से ऐसे बल्लेबाज का टाइटल ले लिया।
इसी का सबूत उनके 145* विरुद्ध श्रीलंका, कोलंबो, 28 अगस्त-1 सितंबर 2015 बने। पुजारा ने सीरीज के निर्णायक टेस्ट में ओपनिंग की और टॉप और मिडिल आर्डर के लड़खड़ाने के बाद, निचले बल्लेबाजों के साथ 312 के स्कोर तक पहुंचाने में मदद की- अमित मिश्रा के साथ आठवें विकेट के लिए 104 रन जोड़े थे (14 चौके) और सुनील गावस्कर, वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ के बाद, पारी शुरू कर आखिर तक आउट न होने वाले सिर्फ चौथे भारतीय बल्लेबाज बन गए (289 गेंद में 145*)। भारत ने 117 रनों से मैच जीत लिया- भारत से बाहर जीत का बेसब्री से इंतजार था।
132* विरुद्ध इंग्लैंड, साउथेम्प्टन, 30 अगस्त-2 सितंबर 2018 तो इंग्लैंड वालों ने देखे। इंग्लैंड 246 पर आउट- इस पिच पर खेलना आसान नहीं था। तब भी पुजारा ने अनुशासित बल्लेबाजी की- 257 गेंद,16 चौके और स्कोर 132* (इंग्लैंड में उन का एकमात्र टेस्ट शतक)। भारत की पारी 181-4 से 195-8 तक पहुंच गई थी पर पुजारा के शतक ने बढ़त दिला दी- स्कोर 273 रन और इस बार साथ दिया ईशांत और जसप्रीत बुमराह ने। तब भी भारत ने इसका फायदा नहीं उठाया और इंग्लैंड ने 60 रन से टेस्ट जीत लिया।
ऑस्ट्रेलिया तो शायद उनके ‘बेस्ट’ की पहचान है। 123 और 71, एडिलेड, 6-10 दिसंबर 2018 तब बने जब दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड से उन्हीं की पिचों पर हार के बाद टीम इंडिया खेली उस ऑस्ट्रेलिया में जहां भारत ने कभी टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी। पुजारा ने दुनिया के सबसे मजबूत गेंदबाजी लाइन-अप में से एक के सामने 123 रन की शानदार पारी खेली- भारत के 250 में आधे से ज्यादा रन उनके थे।
दूसरी पारी में 71 रन बनाकर टीम को 307 तक पहुंचाया- दोनों पारियों में भारत के टॉप स्कोरर। इसी से ऑस्ट्रेलिया को 323 रन का लक्ष्य दिया और भारत को जीत मिली। पुजारा सीरीज जीत में टॉप स्कोरर (521) थे और प्लेयर ऑफ़ द सीरीज का अवार्ड जीते।
2021 में इससे भी आगे निकले। 50 और 77, सिडनी, 7-11 जनवरी और 25 और 56, ब्रिस्बेन, 15-19 जनवरी। सीरीज भारत ने एडिलेड में शर्मनाक 36 रन पर आउट होने के साथ शुरू की जबकि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को अपने ही पास रखने की चुनौती के सामने किसी चमत्कार की जरूरत थी। ऐसे में, पुजारा ने भी इसे संभव बनाने में हिस्सा दिया और टेस्ट में पांचवें दिन के दबाव के सामने दो शानदार पारियां खेलीं।
सिडनी में- 205 गेंद में 77 रन ने ड्रॉ में मदद की। ऋषभ पंत का साथ दिया और इनके 148 रन के स्टैंड ने बड़ी ख़ास भूमिका निभाई- लगभग 5 घंटे टिके रहे।
ब्रिस्बेन में- 211 गेंद पर 56 रन जिसमें असमान पिच पर गजब की हिम्मत दिखाई और गेंद को सिर, छाती, जांघों से लेकर बांहों तक पूरे शरीर पर झेला- शुभमन गिल (91) के साथ तीसरे विकेट के लिए 114 रन और पंत (89*) के साथ पांचवें विकेट के लिए 61 रन की पार्टनरशिप से भारत को जीत के करीब पहुंचाने में मदद की। तीन विकेट की जीत ने भारत को एक बड़ी सीरीज जीत दिला दी जो भारत के टेस्ट इतिहास में ख़ास है।
- चरनपाल सिंह सोबती