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रणजी ट्रॉफी सीजन 2022-23 शुरू हो चुका है- एक नई, खास एवं ऐतिहासिक बात के साथ। इस सीजन में मिलेंगे दो रणजी ट्रॉफी विजेता- ऐसा क्यों? इसके जवाब के लिए टूर्नामेंट की नई संरचना को समझना होगा।  

टूर्नामेंट दो अलग-अलग चैंपियनशिप की तरह से खेल रहे हैं- एलीट चैंपियनशिप और प्लेट चैंपियनशिप। इसका मतलब है इस बार दो अलग-अलग विजेता। ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ। बीसीसीआई को उम्मीद है कि इससे रणजी ट्रॉफी की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के तौर पर प्रतिष्ठा बनी रहेगी। पाकिस्तान की तो बात ही अलग है जहां लगभग हर सीजन में राष्ट्रीय चैंपियनशिप कायदे आजम ट्रॉफी की संरचना बदल जाती है- रणजी ट्रॉफी में बोर्ड ने हाल के सालों में ही ज्यादा बदलाव किए हैं।

रणजी ट्रॉफी की शुरुआत से 2001 सीज़न तक (1948-49 को छोड़ कर), टीमों को ज्योग्राफी से 4 या 5 जोन में बांटा गया- नार्थ, वेस्ट, ईस्ट और साउथ तथा 1952-53 में सेंट्रल जोन भी इनमें जुड़ गई। 1956-57 तक नॉक-आउट आधार पर ज़ोन के अंदर मैच खेलते रहे- उसके बाद लीग राउंड में खेलने लगे। हर जोन में विजेता एक नॉक-आउट टूर्नामेंट में खेले और उससे  रणजी ट्रॉफी के विजेता का फैसला हुआ। इसके बाद बदलाव हुआ 1970-71 और 1992-93 सीजन में। इसके उलट पिछले कुछ सालों में तो लगातार बदलाव हो रहा है संरचना में। हर बार उम्मीद तो यही करते हैं कि यही सबसे सही फॉर्मेट है पर जब खेलते हैं तो कोई न कोई गड़बड़ हो जाती है।

इस बार बदलाव क्यों किया? पिछले सीजन के दो मैच इसकी ख़ास वजह हैं। पहला- एक प्री-क्वार्टर फाइनल में झारखंड ने नागालैंड के विरुद्ध प्रथम श्रेणी क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ी लीड का रिकॉर्ड (1008 रन) बनाया। दूसरा- एक क्वार्टर फाइनल में मुंबई ने उत्तराखंड को 725 रन से हराया जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रन से सबसे बड़ी जीत है। ऐसे मैचों से चिंतित, बीसीसीआई ने ट्रॉफी को नई संरचना दे दी। अब एलीट टीम आपस में खेलेंगी- अपेक्षाकृत कमजोर प्लेट ग्रुप टीम के विरुद्ध नहीं। बीसीसीआई को उम्मीद है कि इससे बेहतर मुकाबले को बढ़ावा मिलेगा। देखिए नई संरचना :

  • एलीट ग्रुप : इसमें कुल 32 टीम जिन्हें 8-8 टीम के 4 ग्रुप में बांटा है। हर ग्रुप में टीमें आपस में मैच खेलेंगी और टॉप 2 टीम, क्वार्टर फाइनल में खेलेंगी। उसके बाद इनके सेमीफाइनल और फाइनल।
  • प्लेट ग्रुप : इसमें बची 6 टीम हैं। ये एक ही ग्रुप में हैं और हर टीम अन्य 5 टीमों से खेलेगी। लीग राउंड के बाद टॉप 4 टीम सेमीफाइनल में और बची 2 टीम आपस में नंबर 5/6 तय करने के लिए प्लेऑफ खेलेंगी। इसी तरह से नंबर 3 और 4 तय करने के लिए, एक और प्लेऑफ। इन सभी टीम को भी, एलीट टीमों की तरह बराबर 7 लीग मैच खेलने का मौका मिल जाएगा।

इस सीजन की क्रिकेट का असर अगले सीजन में भी नजर आएगा। इस बार के दो प्लेट फाइनलिस्ट, 2023-24 सीज़न के लिए, प्रमोशन से एलीट ग्रुप में खेलेंगे जबकि सभी चार एलीट ग्रुप की नीचे की दो-दो टीमों में से सबसे खराब 2 टीम को डिमोशन देकर, अगले सीजन में प्लेट टीमों वाले ग्रुप में डाल देंगे। रिकॉर्ड के लिए, इस बार ग्रुप इस तरह हैं :

  • एलीट चैंपियनशिप ग्रुप ए : बड़ौदा, बंगाल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड।
  • ग्रुप बी : आंध्र,असम, दिल्ली, हैदराबाद, महाराष्ट्र, मुंबई, सौराष्ट्र, तमिलनाडु।
  • ग्रुप सी : छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पुदुचेरी, राजस्थान, सर्विसेज।
  • ग्रुप डी : चंडीगढ़, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, पंजाब, रेलवे, त्रिपुरा, विदर्भ।
  • प्लेट चैंपियनशिप : अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम।

क्या ये रणजी ट्रॉफी के लिए बिल्कुल सही संरचना है? रणजी ट्रॉफी ने दशकों से देश में खेल के स्तर को ऊपर उठाया है और टीम इंडिया को बेमिसाल क्रिकेटर दिए। समय के साथ, जरूरत बदली तो टूर्नामेंट को बदलना भी जरूरी हो गया था। लंबे समय से रणजी ट्राफी में हैवीवेट और फेदरवेट टीमों के बीच कई मैच ऐसे बेमेल बन गए थे कि ट्रॉफी को दो डिवीजन में बांटना जरूरी हो गया था। दिल्ली-जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक-गोवा और बंगाल- त्रिपुरा जैसे बेमेल मैच सिर्फ नए -नए रिकॉर्ड सामने ला रहे थे। इंग्लैंड ने भी आखिरकार काउंटी चैंपियनशिप को 9-9 टीम के दो डिवीजन में बांटा। रणजी ट्रॉफी को भी आखिरकार एलीट और प्लेट ग्रुप में बांटा। तब भी, पहली पारी की लीड पर पॉइंट की बीमारी चलती रही।

1981-82 में कर्नाटक-दिल्ली रणजी ट्रॉफी फाइनल जिसमें पांच दिनों में भी पहली पारी के स्कोर ने कोई नतीजा नहीं दिया और दोनों टीम ने 700 से ज्यादा स्कोर बनाया था। ऐसे और भी मौके आए जब फैसला टॉस से हुआ क्योंकि पहली पारी के स्कोर ने भी फैसला नहीं दिया। 1945-46 में बॉम्बे ने चार दिन के मैच में दो से ज्यादा दिन लेने के बाद 645 बनाए। बड़ौदा ने विकेट बचाने पर जोर दिया और स्कोर 465-6 तक ले गए। मैच का फैसला टॉस से हुआ। उसके बाद अगला मजाक सुप्रीम कोर्ट के एक साथ कई टीम को रणजी ट्रॉफी में एंट्री देने के साथ हुआ।

हर मुश्किल ने रणजी ट्रॉफी की संरचना को बदला- इस बार भी वही हुआ।

–  चरनपाल सिंह सोबती

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