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भारत में, बड़ी हार के बाद बदलाव की चर्चा कोई नई नहीं। यहां तो, हार के बाद, टीम के लौटने से पहले ही कप्तान बदलने की मिसाल मौजूद हैं। अब सेलेक्टर्स बदल रहे हैं। पैडी अप्टन की छुट्टी हो चुकी है। इसलिए अब अगर फॉर्मेट के हिसाब से, कप्तानी बांटने की चर्चा हो रही है तो कोई हैरानी की बात नहीं।

वैसे तो ये चर्चा भी नई नहीं पर शायद पहली बार इसे गंभीरता से ले रहे हैं और ये मान सकते हैं कि अब बीसीसीआई को भी लग रहा है कि जो दूसरी टीम कर रही हैं- वही सही है।बीसीसीआई ने अपनी सोच का, नए सेलेक्टर्स को, उनके बनने से पहले ही इशारा दे दिया है- इसी से ऐसा लग रहा है कि टीम इंडिया के लिए हर फॉर्मेट के लिए, अलग कप्तान देखने का वक्त आ गया है।

भारत के टी20 वर्ल्ड कप में एक बार फिर निराशाजनक प्रदर्शन के बाद दिग्गजों और विशेषज्ञों ने जिन कुछ बदलाव की मांग की- फॉर्मेट के हिसाब से कप्तानी बांटना उनमें शामिल है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया इस मामले में सबसे आगे रहे और बहुत पहले ही अलग-अलग कप्तानों वाली टीम मैदान में उतारी। उससे फर्क ये है कि  भारत में फॉर्मेट के हिसाब से कप्तानी की बात हो रही है जबकि वहां मैच गेंद के रंग से कप्तानी दी- सफेद और लाल रंग की गेंद से क्रिकेट के लिए अलग कप्तान।

भारत में सोच ये है कि रोहित शर्मा वनडे और टेस्ट क्रिकेट के लिए कप्तान जबकि टी20 क्रिकेट में हार्दिक पांड्या कप्तान। यूएसए और वेस्टइंडीज में 2024 टी20 वर्ल्ड कप में कुछ अच्छा खेलना है तो अभी से सही कप्तान चुनकर, उसे टीम बनाने का मौका देना होगा। वैसे भी रोहित शर्मा 36 साल के हो रहे हैं और कोई गारंटी नहीं कि तब तक टीम में भी होंगे। इस सोच को, हार्दिक पांड्या ने आईपीएल टाइटल जीतने से और मजबूती दे दी। रोहित शर्मा रेस्ट पर थे तो न्यूजीलैंड में भी टी20 सीरीज में पांड्या ही कप्तान थे और सीरीज भी जीते। ज्यादा पुरानी बात नहीं जब केएल राहुल और ऋषभ पंत को टी20 का कप्तान गिनते थे- वे अब आउट और हार्दिक पांड्या इन।

भारत में फॉर्मेट के हिसाब से कप्तान की मिसाल कुछ साल पहले एमएस धोनी की बदौलत अपने आप देखने को मिली थी- 2017 में लिमिटेड ओवर क्रिकेट टीम की कप्तानी छोड़ी जबकि 2014 में ऑस्ट्रेलिया टूर के दौरान टेस्ट कप्तानी छोड़ दी थी। इस तरह अपने आप कप्तानी बंट गई- तब भी वे इसे एक पॉलिसी बनाकर लागू करने के हिमायती नहीं। वीवीएस लक्ष्मण भी सभी फॉर्मेट में एक कप्तान को टीम के लिए बेहतर मानते हैं पर तब तक, जब तक कप्तान इस ड्यूटी को बोझ न समझे/दबाव में उसके प्रदर्शन पर असर न आए।

इस चर्चा में एक ख़ास मुद्दा है टीम की संरचना का। एक कप्तान वाली पॉलिसी यहां इसलिए भी चलती रही क्योंकि जो भी कप्तान बने वे आल फॉर्मेट क्रिकेटर थे- तेंदुलकर, गांगुली, द्रविड़, धोनी, कोहली और अब रोहित शर्मा भी। इंग्लैंड : वहां गेंद के रंग से कप्तानी बांटना काम कर गया क्योंकि उनके पास तीनों फॉर्मेट खेलने वाले खिलाड़ी ही नहीं रहे- जो रूट टेस्ट कप्तान थे तो सफेद गेंद क्रिकेट में नियमित नहीं या इयोन मोर्गन, सफेद गेंद क्रिकेट में कप्तान थे पर टेस्ट नहीं खेलते थे। अब भी बेन स्टोक्स टेस्ट कप्तान जबकि जोस बटलर सफ़ेद गेंद क्रिकेट टीम के कप्तान- स्टोक्स टी20 खेलते हैं, वनडे नहीं।

कपिल देव कहते हैं जैसे एक कंपनी के दो सीईओ नहीं- वैसे ही एक टीम के दो कप्तान नहीं। ये क्यों भूल जाएं कि प्रॉडक्ट अलग है- दो प्रॉडक्ट के लिए अलग-अलग यूनिट तो दोनों यूनिट के लिए अलग-अलग सीईओ हो सकता है।

भारत में सोच फॉर्मेट के हिसाब से बन रही है। ठीक है वनडे और टी20 भी अलग-अलग फॉर्मेट हैं पर दोनों को सफ़ेद गेंद से खेलते हैं और ये साबित हो चुका है कि मौजूदा दौर में, वनडे को टी20 स्टाइल में खेलने वाली टीम ही कामयाब हैं। इसलिए एक कप्तान इन दोनों तरह की क्रिकेट में टीम की स्ट्रेटजी बनाए तो फायदा होगा। धोनी ने भी तो कप्तानी छोड़ते हुए टेस्ट और पूरी लिमिटेड ओवर (यानि कि सफ़ेद गेंद वाली) क्रिकेट को अलग-अलग किया- फॉर्मेट नहीं चुने। भारत की तरह, अगर न्यूजीलैंड और पाकिस्तान भी एक कप्तान वाली पॉलिसी पर अटके हुए हैं तो सिर्फ इसलिए कि विलियमसन और बाबर तीनों फॉर्मेट खेलते हैं।

सोच बदलने की एक वजह ये भी है कि रोहित शर्मा पर तीनों फॉर्मेट की कप्तानी ने दबाव डाला और उनकी फार्म पर बुरी तरह से असर आ रहा है। संयोग से ,इस साल टी20 वर्ल्ड कप के दौरान विलियमसन और बाबर भी टी20 खेलते हुए एंकर ज्यादा थे और उनकी टीम को भी नुकसान हुआ। वहां भी सोच बदल रही है।

इसलिए बदलते समय और कप्तान पर दबाव को पहचानकर, कप्तानी को फॉर्मेट के हिसाब से बांटने की सोच गलत नहीं पर कहीं इस बांटने में गलती न हो जाए। ये मुद्दा भी उतना आसान नहीं जितना लगता है। उदहारण के लिए हार्दिक पांड्या को कप्तान बनाने में ‘जोखिम’ है उनकी फिटनेस। अगर एक बड़े टूर्नामेंट से ठीक पहले हार्दिक चोटिल हो गए तो क्या होगा? क्या इसके लिए प्लान बी है? यदि कोई अन्य कप्तान तैयार नहीं किया तो सब गड़बड़ हो जाएगा। इसलिए एक नहीं, हर फॉर्मेट में दो कप्तान खोजने की जरूरत है। सही विकल्प के बिना ही तो पिछले कुछ महीने में 8 कप्तान देख लिए।

बीसीसीआई के सूत्र ये इशारा दे रहे हैं कि रोहित कम से कम 2023 वर्ल्ड कप तक वनडे और टेस्ट में कप्तान बने रहेंगे। इस तरह उन पर कुछ दबाव तो कम होगा। वनडे क्रिकेट: रोहित शर्मा वर्ल्ड कप 2023 तक कप्तान और टेस्ट : रोहित शर्मा कम से कम मौजूदा डब्ल्यूटीसी राउंड तक कप्तान। टी20 की श्रीलंकाई सीरीज से पहले हार्दिक पांड्या को नियमित कप्तान घोषित किए जाने के पूरे आसार हैं। बाकी तो आखिरी फैसला सेलेक्टर करेंगे।   

चरनपाल सिंह सोबती

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