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ये समझ में नहीं आया कि ख़ास तौर पर वर्ल्ड कप के मौके पर ही सेलेक्टर्स की ‘तीसरी आंख’ क्यों खुलती है? अचानक ही 2011 की टीम में पीयूष चावला, 2015 की टीम में मोहित शर्मा, 2019 की टीम में विजय शंकर और 2023 में रविचंद्रन अश्विन टीम में आ गए। बिलकुल आख़िरी मुकाम पर वर्ल्ड कप टीम में अक्षर पटेल की जगह ली अश्विन ने- ऑफिशियल रिपोर्ट तो ये है कि अक्षर फिट नहीं थे। इस तरह विराट कोहली की तरह, वे भारत में दूसरा वर्ल्ड कप खेलेंगे और कुल मिलाकर तीसरा। जो किसी स्कीम में ही नहीं थे- वे ऐसा गजब का रिकॉर्ड बनाने वाले हैं।

आर अश्विन की बात करते हुए दो ख़ास रिकॉर्ड-

  • जुलाई 2017 से, ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पिछले दिनों की वनडे सीरीज से पहले, सिर्फ 2 वनडे खेले थे- पार्ल 2022 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध और प्रदर्शन था- 1/53 (10 ओवर) और 0/68 (10 ओवर)।
  • आईसीसी वनडे टूर्नामेंट में रिकॉर्ड : 
    • 2011 वर्ल्ड कप- 2 मैच में 4 विकेट, 23.25 औसत  
    • 2013 चैंपियंस ट्रॉफी- 5 मैच में 8 विकेट, 22.62 औसत 
    • 2015 वर्ल्ड कप- 8 मैच में 13 विकेट, 25.38 औसत 
    • 2017 चैंपियंस ट्रॉफी- 3 मैच में 1 विकेट, 167.00 औसत
  • ये रिकॉर्ड साफ़ इशारा है कि पिछले कई महीने नहीं, कई साल से वनडे स्कीम वे में क्यों नहीं थे? 

अब अचानक ही, जब वर्ल्ड कप सिर पर तो अश्विन को वर्ल्ड कप स्कीम में ले आए। क्यों- क्या ये सही है? एशिया कप के बाद, ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध घरेलू वनडे सीरीज के लिए वनडे टीम में वापस बुला लिया यानि कि जनवरी 2022 के बाद पहली बार वनडे खेले। अब टीम में कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा के बाद तीसरे स्पिनर हैं। मजे की बात- न संभावित वर्ल्ड कप टीम में थे, न एशिया कप टीम में और जिसे 2022 में दो वनडे में खिलाते हुए भी लगभग 5 साल में पहली बार खिलाया था उसे सीधे- वनडे टीम में नहीं, वर्ल्ड कप टीम में ले आए। ‘तीसरी आंख’ खुली कि वर्ल्ड कप में जीत की उम्मीद सिर्फ अश्विन के साथ ही पूरी होगी। घरेलू वनडे की बात करें तो जनवरी 2017 में कोलकाता के ईडन गार्डन्स के बाद अब 2023 में खेले हैं।

एशिया कप के बाद रोहित शर्मा ने कहा था कि अश्विन से बातचीत चल रही है और अब तो ये भी मालूम है कि वे तो एशिया कप के फाइनल के लिए भी अश्विन को बुलाना चाहते थे पर अश्विन तैयार नहीं थे। ऐसी क्या खूबी हैं जो टीम मैनेजमेंट और सेलेक्टर अब देख रहे हैं-  

  • वे स्पिनर-ऑलराउंडर हैं। 
  • अजीत अगरकर ने अनुभव को गिना- इसीलिए, न खेलने के बावजूद, अचानक ही टीम में जगह का दावेदार बना दिया।
  • रोहित शर्मा के हिसाब से- वनडे नहीं खेल रहे थे तो क्या हुआ, लगातार टेस्ट खेल रहे हैं और उनके पास काफी अनुभव है। ऐसे खिलाड़ी हमेशा दिमाग में रहते हैं।  

ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सीरीज, वर्ल्ड कप से पहले किसी भी टीम की आख़िरी सीरीज थी और दोनों टीम वनडे टीम रैंकिंग में नंबर 1 रैंकिंग के लिए मुकाबला कर रही थीं । इस तरह टीम इंडिया के लिए खास सीरीज और होना तो ये चाहिए कि जिनका वर्ल्ड कप में खेलना पक्का हो वे इसमें खेलें- अश्विन खेले और वर्ल्ड कप टीम में भी आ गए।

बड़ा मजेदार सवाल ये है कि अश्विन में जो पॉजिटिव, अब अचानक ही टीम मैनेजमेंट को नजर आए- वे अब तक क्यों नजर नहीं आए? 2010 दशक में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज, सभी ने कहा- सबसे बेहतर गेंदबाजों में से एक, आईपीएल खेले लेकिन अपनी लिमिटेड ओवर कैप वापस नहीं हासिल कर पाए। वजह साफ़ है- प्रदर्शन वैसा नहीं था जितना किसी स्ट्राइक गेंदबाज से उम्मीद करते हैं। अब रिकॉर्ड- 113 पारी में 33+ औसत और 40.2 स्ट्राइक रेट से 155 विकेट और क्या किसी फ्रंट-लाइन गेंदबाज के लिए ये सही रिकॉर्ड है? चहल और कुलदीप को विराट कोहली ने अश्विन की जगह चुना और अश्विन टेस्ट कैप से ही संतुष्ट होते रहे।

अब सोच बदली है। ऐसे गेंदबाजों की तलाश है जो बल्लेबाजी कर सकें- अश्विन रन बना सकते हैं पर क्या मैच विनर हैं? ये देखने के लिए- ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टीम में ले लिया। अश्विन का अनुभव, होशियारी और समझदारी, अक्षर के मुकाबले ज्यादा उपयोगी हो सकते हैं।

अश्विन अगर चेपॉक में खेले तो 3118 दिन बाद कोई वर्ल्ड कप मैच खेलेंगे (2015 सिडनी से 2023 चेपॉक) और नवजोत सिद्धू का 3027 दिन का भारतीय रिकॉर्ड (1987 वानखेड़े से 1996 कटक) तोड़ेंगे।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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