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न्यूजीलैंड के विरुद्ध सेमी फाइनल ख़त्म होने तक इस क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के प्रभुत्व का अंदाजा, इसके क्रिकेटरों के रिकॉर्ड से ही हो जाता है- सबसे ज्यादा रन विराट कोहली (711), सबसे ज्यादा 6 रोहित शर्मा (28), सबसे ज्यादा विकेट मोहम्मद शमी (23) और सबसे ज्यादा जीत (10)। ऐसा नहीं कि अन्य दूसरी टीम के क्रिकेटर कुछ ख़ास नहीं कर पाए पर ये टीम इंडिया के एक नहीं, खिलाड़ियों के प्रभुत्व का सबूत है। इसीलिए भारत सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली टीम था और कोई हैरानी की बात नहीं कि फाइनल खेल रहे हैं और फेवरिट हैं।

भारत की बल्लेबाजी का जिक्र करें तो सच ये है कि ऐसा तो टीम इंडिया के समर्थकों ने भी नहीं सोचा था। टॉप 5 ने एक साथ ऐसा क्लिक किया कि मिलकर इस टूर्नामेंट में 2570 रन बना दिए हैं- औसत 67.6 और इस संदर्भ में भी टॉप (उनके बाद : 2007 में ऑस्ट्रेलिया के 65.2)। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध तीन 0 के साथ टूर्नामेंट की शुरुआत करने के बाद से औसत देखें तो ये 73 है।

फाइनल का नतीजा चाहे जो रहे- क्रिकेट में मैच के दिन जैसा खेलो उसका बड़ा रोल रहता है। लगभग हर बड़े मैच में, विराट कोहली जब कप्तान थे, तो हार के स्पष्टीकरण पर यही कहा जाता था कि कुछ मिनट की खराब क्रिकेट ने ‘आउट’ कर दिया। तब भी टीम इंडिया की इस बार की क्रिकेट हमेशा एक केस स्टडी रहेगी। ‘इगो क्लैश’ की दलील पर बार-बार कप्तान, कोच या सलेक्टर बदलना- ऐसा कुछ नहीं किया। सब जानते हैं कि टीम के प्रदर्शन में, क्रिकेट बोर्ड की मजबूती और सपोर्ट की झलक मिलती है- इस समय पाकिस्तान इसकी बहुत अच्छी मिसाल है। बोर्ड के पास जो पैसा आया उसे क्रिकेट पर भी खर्च किया- आज क्रिकेट सीजन में दुनिया के अन्य किसी भी देश से कहीं ज्यादा घरेलू मैच यहां खेलते हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारा, कोच को बेहतर कोचिंग की ट्रेनिंग दी और प्लेयर्स फीस में गजब के सुधार से क्रिकेट एक करियर के तौर पर सामने आया- नतीजा बेंच स्ट्रेंथ के पूल में दिख रहा है।

  • 4 साल में 66 वनडे में 50 खिलाड़ी खेले।
  • मार्च 2023 तक 24 को शार्ट लिस्ट कर लिया था
  • अक्टूबर 2023 तक 15 की लिस्ट तैयार थी।

ऐसा नहीं कि आलोचना नहीं हुई- टीम इसके उलट वर्ल्ड कप एक स्कीम की तरह खेली जिसमें हर खिलाड़ी की एक ख़ास भूमिका और उसे निभाने के लिए पूरा सपोर्ट। देख लीजिए- पहले 6 मैच में श्रेयस अय्यर ने क्या किया पर टीम सपोर्ट उसके साथ था और नतीजा जल्दी ही सामने आ गया। खुद रोहित शर्मा ने अपने रिकॉर्ड की चिंता किए बिना टीम को फ्लाइंग शुरुआत देने का रोल निभाया और मिडिल आर्डर पर दबाव कम हो गया।

ऐसे में अगर एक वर्ल्ड इवेंट में सबसे ज्यादा 11 जीत का ऑस्ट्रेलिया (2003 एवं 2007) का रिकॉर्ड बराबर करने के कगार पर हैं तो कोई हैरानी की बात नहीं। कोई तो ख़ास बात है- तभी तो इस वर्ल्ड कप में 10 जीत और 2003 में 9 जीत के साथ टीम इंडिया ही दूसरे नंबर पर है। ऐसी प्रभावशाली क्रिकेट कि रिकॉर्ड एक के बाद एक टूटते जा रहे हैं- विराट कोहली अब टॉप स्कोरर और तेंदुलकर के 673 रन इतिहास बन गए, विराट एक वर्ल्ड कप टूर्नामेंट (711) में 700+ रन और 8 बार 50+ स्कोर बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। रोहित शर्मा के 50 छक्के और एक वर्ल्ड कप टूर्नामेंट (28) में सबसे ज्यादा छक्के तथा शमी के वर्ल्ड कप में सिर्फ 17 मैच में सबसे तेज 50 विकेट अगर प्रभुत्व नहीं बताते तो और क्या करना होगा?

कप्तान की आपसे तुलना बेकार की बात है- रोहित शर्मा की सबसे बड़ी खूबी रही टीम को बांधना। जब विराट कोहली हटाए गए थे तो ये शक जाहिर करने वाले कम नहीं थे कि रोहित शर्मा को उनसे वह सपोर्ट नहीं मिलेगा जो जरूरी है। सच ये है कि रोहित शर्मा की कप्तानी में वे अपनी सबसे बेहतर फार्म दिखा रहे हैं। टीम को एक नए नजरिए की जरूरत थी जो नए कप्तान के साथ मिला।

टीम इंडिया एक नए इतिहास के कगार पर है। दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम टीम इंडिया का इंतजार कर रहा है 19 नवंबर को नया इतिहास लिखने के लिए। दूसरे सेमी फाइनल से पहले सट्टा बाजार में तीन टीम का भाव भारत: 4/9, ऑस्ट्रेलिया: 4/1 और दक्षिण अफ़्रीका: 11/2 चल रहा है। क्या अब भी ये बताने की जरूरत है कि 19 नवंबर को वर्ल्ड कप टूर्नामेंट ट्रॉफी किस कप्तान के हाथ में होनी चाहिए?

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “टीम इंडिया- अब नहीं तो कब?”

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