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मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने मुंबई और भारत के दो महान क्रिकेटरों- सुनील गावस्कर और ‘लॉर्ड ऑफ लॉर्ड्स’ दिलीप वेंगसरकर को उनके घरेलू मैदान- वानखेड़े स्टेडियम में अब वह पहचान दी है- जिससे उन्हें क्रिकेट प्रेमी हमेशा एक अलग अंदाज़ में याद रखेंगे। 72 साल के गावस्कर को उनके अपने नाम का हॉस्पिटैलिटी बॉक्स दिया जबकि दिलीप वेंगसरकर के सम्मान में नॉर्थ स्टैंड के एक सेक्शन ‘दिलीप वेंगसरकर स्टैंड’ का उद्घाटन किया। इस मौके पर गावस्कर और वेंगसरकर दोनों मौजूद थे। हालांकि गावस्कर और वेंगसरकर किसी परिचय के मोहताज़ नहीं पर उनके बारे में संक्षेप में :

सुनील गावस्कर : 06 मार्च 1971 को पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट करियर की शुरूआत और उसके बाद गिनती सबसे बेहतरीन ओपनर में। कप्तान रहे, कुल 125 टेस्ट और इस साल की शुरुआत में इंटरनेशनल क्रिकेट में 50 साल पूरे किए थे। वानखेड़े में 11 टेस्ट (कपिल देव और तेंदुलकर के बराबर) – इनमें कई यादगार प्रदर्शन पर वे 1979-80 में यहां टेस्ट में पाकिस्तान के विरुद्ध जीत को सबसे बेहतरीन मानते हैं क्योंकि भारत की 131 रन की जीत 17 टेस्ट और 27 साल बाद पाकिस्तान के विरुद्ध पहली जीत थी। ऐसे ही उन्हें उस वक्त का सन्नाटा भी याद है जब उन्हें यहां 1987 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में फिल डे फ्रेटस ने 4 रन पर बोल्ड कर दिया था।

दिलीप वेंगसरकर : भूतपूर्व सेलेक्टर और कप्तान- कुल 116 टेस्ट तथा अपने समय के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ में से एक। वानखेड़े में दो सेंचुरी – 1983-84 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध 100 और 1986-87 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 164* रन। अगर उन्हें यहां के अच्छे प्रदर्शन याद हैं तो हरियाणा के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी फाइनल में हार भी। वानखेड़े में 10 टेस्ट खेले।

इस मौके को ख़ास बनाने के लिए गुंडप्पा विश्वनाथ, जो इन दोनों के साथ खेले और गावस्कर के बहनोई भी हैं, सचिन तेंदुलकर, भूतपूर्व आईसीसी, बीसीसीआई और एमसीए चीफ शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एमसीए के कई बड़े अधिकारी मौजूद थे- इसी लिस्ट से अंदाज़ा हो जाता है कि ये कितना बड़ा मौका था।

सुनील गावस्कर का अपना हॉस्पिटैलिटी बॉक्स यानि कि वह मैचों के दौरान अपने मेहमानों को बुलाने के लिए आज़ाद। साथ ही एसोसिएशन ने ‘माधव मंत्री शताब्दी साल’ की भी शुरुआत की। वेंगसरकर को वह दिन आज भी याद है जब अपना पहला वानखेड़े टेस्ट इसी नॉर्थ स्टैंड से देखा था- 1974-75 की सीरीज का पांचवां और आखिरी टेस्ट, जिसमें क्लाइव लॉयड की टीम ने जीत हासिल की थी। उस समय ये स्टैंड बन रहा था। संयोग से ये गावस्कर के लिए भी यादगार टेस्ट था। उंगली की चोट के कारण नई दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई टेस्ट नहीं खेले और इसी टेस्ट से वापसी कर रहे थे।

इस मौके को यादगार तो बनाया उन भूली- बिसरी यादों ने जो इन दिग्गजों ने आपस में बांटीं। कम बोलने के लिए मशहूर विश्वनाथ 30 मिनट से भी ज्यादा बोलते रहे। तेंदुलकर ने भी माधव मंत्री सर, गावस्कर और वेंगसरकर की यादें ताजा कीं। देखिए सचिन तेंदुलकर ने क्या कहा :

माधव मंत्री के बारे में : अनुशासन के बारे में बात करते हैं,तो दिमाग में जो पहला नाम आता है, वह है माधव मंत्री सर का। उनके लिए एक पिता जैसे थे- इंग्लैंड टूर (1990) में, जब अपना पहला टेस्ट 100 बनाया तो सर बड़े खुश थे। वह 14 अगस्त का दिन था। पहली बार किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में गए तो हौसला बढ़ाने वे साथ थे।

सुनील गावस्कर के बारे में : 1987 वर्ल्ड कप के दौरान पहली बार गावस्कर से मिले थे- तब वे ड्रेसिंग रूम में बॉल बॉय के तौर पर काम कर रहे थे। जब सचिन को पहली बार रणजी ट्रॉफी टीम में लिया गया तो गावस्कर का नाम भी लिस्ट मे था पर गावस्कर के साथ खेलने का सपना अधूरा रह गया।

दिलीप वेंगसरकर के बारे में : कोच वासु परांजपे ने उन्हें पहली बार दिलीप वेंगसरकर से मिलवाया था। सचिन को आज भी याद है कि कि ग्रेट कपिल देव को उन्होंने टीम इंडिया के नेट्स पर सचिन के लिए गेंदबाजी करने बुला लिया था। सचिन भी 1991 रणजी ट्रॉफी फाइनल को भूले नहीं- उन्हें याद हैं वेंगसरकर की आंखों में आंसू। ये आज तक के सबसे रोमांचक रणजी फाइनल में से एक था।

मुंबई क्रिकेट ने अपने इतिहास में बहुत से दिग्गजों को देखा है पर जो सम्मान यहां गावस्कर को मिले और किसी को नहीं। इसी स्टेडियम में उनके लिए पहला अनोखा सामान वह था जब गावस्कर और उनकी पत्नी के लिए गरवारे पवेलियन में हमेशा के लिए दो सीट रिजर्व कर दी गईं। मजे की बात देखिए कि जब 2011 वर्ल्ड कप के समय स्टेडियम में रिनोवेशन का काम हुआ और नई सीटें लगीं तो फिर से गावस्कर के लिए दो सीट रिजर्व रखना सभी भूल गए।

2020 में इस गलती का एहसास हुआ और एमसीए एपेक्स काउंसिल के सदस्य और अनुभवी क्यूरेटर नदीम मेमन ने एपेक्स काउंसिल से दो सीटों को बहाल करने के लिए कहा। गावस्कर के 71वें जन्मदिन से एक दिन पहले एमसीए ने इन सीटों को बहाल कर दिया- इतना ही नहीं, अब तो गावस्कर और उनकी पत्नी के लिए प्रेसीडेंट्स बॉक्स में दो सीट रिजर्व कर दी गईं। अब बहरहाल गावस्कर को इनकी जरूरत नहीं क्योंकि अब तो उनके पास पूरा बॉक्स है।

भारत में किसी खिलाड़ी के नाम पर सीट रिजर्व करने की कोई और मिसाल नहीं है। हो सकता है कि अगली मिसाल वानखेड़े स्टेडियम में ही देखने को मिले- महेंद्र सिंह धोनी के नाम भी एक सीट रिजर्व करने का प्रस्ताव है। इसी वानखेड़े स्टेडियम में भारत को 2011 वर्ल्ड कप जीत दिलाने के लिए, श्रीलंका के विरुद्ध फाइनल में वह मशहूर छक्का लगाया था धोनी ने जिसे आज तक याद किया जाता है। एपेक्स काउंसिल के सदस्य अजिंक्य नाइक ने धोनी के लिए ट्रिब्यूट के तौर पर सुझाव दिया कि जहां 6 के शॉट वाली गेंद गिरी, उस सीट को एक अलग रंग में पेंट करें और धोनी के नाम से सजाकर रिजर्व कर दें।

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “वानखेड़े में गावस्कर और वेंगसरकर के सम्मान से कई यादें ताजा हुईं”

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