fbpx

कौन सा फैक्टर किसी टूर्नामेंट को सबसे बेहतर बनाता है? इसके जवाब में बेहतर बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग का तो नाम लेंगे ही पर जब टूर्नामेंट वर्ल्ड कप हो तो उसे सबसे बेहतर कहने के लिए कुछ और मसाला भी चाहिए। आईसीसी के सिर्फ 12 पूर्ण सदस्य लेकिन 8 टी20 वर्ल्ड कप में 6 चैंपियन। टूर्नामेंट में इस बार 16 टीम थीं- अगले टी 20 वर्ल्ड कप में 20 टीम खेलेंगी। ये सभी गिनती क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता का तो सबूत हैं ही- इस बात का भी सबूत कि किसी एक टीम के प्रभुत्व वाली कोई बात नहीं।

इस बार लगभग 29 प्रतिशत मैचों में मुकाबला करीबी रहा और इस नजरिए से रोमांच का फैक्टर अन्य किसी भी टी20 वर्ल्ड कप से ज्यादा रहा। इससे पहले सिर्फ 2014 के बांग्लादेश टी20 वर्ल्ड कप में ही 25 प्रतिशत की गिनती पार हुई थी। वैसे, आगे ये बताना बड़ा मुश्किल हो जाएगा कि क्यों टूर्नामेंट को 2016 और 2021 के बीच साढ़े पांच साल तो खेले ही नहीं और अब दो साल में दो वर्ल्ड कप खेल लिए।

इस बार के टी20 वर्ल्ड कप को रोमांचक बनाने में एसोसिएट सदस्य देश की टीमों ने बराबर हिस्सेदारी निभाई- पहले 4 टी20 वर्ल्ड कप में, एक एसोसिएट सदस्य के टेस्ट टीम को हराने की सिर्फ दो मिसाल (नीदरलैंड ने इंग्लैंड और आयरलैंड ने बांग्लादेश को हराया- दोनों 2009 में)। 2016 और 2021 में ऐसे 2-2 मैच जबकि 2014 में गिनती 3 हो गई। 2022 में 4- नामीबिया ने श्रीलंका, स्कॉटलैंड ने वेस्ट इंडीज, नीदरलैंड ने जिम्बाब्वे और दक्षिण अफ्रीका को हरा दिया। इसी में जिम्बाब्वे के पाकिस्तान और आयरलैंड के इंग्लैंड को हराने को भी जोड़ लीजिए। इससे सबसे ज्यादा ये पता चलता है कि टेस्ट देशों और एसोसिएट्स के बीच की खाई लगातार कम हो रही है।

टूर्नामेंट शुरू होने के समय कोई फेवरेट नहीं था- जिन्हें फेवरेट बताने का जोखिम उठाया भी वे तो फाइनल की लाइन-अप में भी नहीं थे। सुपर 12 में 11 टीम ने कम से कम एक मैच जीता और कम से कम एक मैच हारे- अफगानिस्तान टीम बिना जीत लौटी पर वे सिर्फ 3 मैच खेले। आखिरी दिन तक, कोई नहीं जानता था कि ग्रुप 2 से, 5 में से कौन सी 2 टीम क्वालीफाई करेंगी, जबकि ग्रुप 1 में तो आखिर तक मुकाबला चलता रहा और नेट रन रेट से ही फैसला हुआ। ऐसा नजदीकी मुकाबला, इससे पहले किसी टी20 वर्ल्ड को में देखने को नहीं मिला था।  

मार्केटिंग के नजरिए से भी टी20 वर्ल्ड कप की सेमीफाइनल लाइन-अप कोई खराब नहीं थी। आम तौर पर माना जाता है कि मेजबान और मौजूदा चैंपियन सेमीफाइनल जरूर खेलें। उस नजरिए से ऑस्ट्रेलियाई टीम ने निराश किया और उम्मीद से पहले ही बाहर हो गए। मेजबान के लिए दूसरा झटका ये था कि न्यूज़ीलैंड को ट्रांस-तस्मान प्रतिद्वंद्विता के नाते वे आख़िरी 4 में नहीं चाहते थे पर वे खेले।

इस पूरे वर्ल्ड कप के दौरान, सोशल मीडिया पर जिस मुद्दे की सबसे ज्यादा चर्चा हुई वह था पिछले कई वाइट बॉल टूर्नामेंट से अलग-अलग तरह की समानता की तलाश। एक मजेदार समानता- भारत 2011 वर्ल्ड कप में ग्रुप राउंड में सिर्फ एक मैच हारा (दक्षिण अफ्रीका से) और इस बार भी ऐसा ही हुआ- इसलिए महेंद्र सिंह धोनी की तरह रोहित शर्मा भी वर्ल्ड कप जीतेंगे। आयरलैंड के इंग्लैंड को हराने वाली समानता की भी खूब चर्चा होती रही। फ़ाइनल से पहले की लिस्ट ही देख लीजिए :

  • तब भी मेजबानी ऑस्ट्रेलिया ने की थी (न्यूजीलैंड के साथ)।
  • 1992 की तरह ही, पाकिस्तान टीम एमसीजी में अपना पहला मैच हारी- ग्रुप राउंड में भारत से।
  • तब भी आख़िरी दिन तक ये तय नहीं था कि पाकिस्तान ने सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है।
  • ऑस्ट्रेलिया तब भी आख़िरी 4 टीम में नहीं था।   जैसे इस वर्ल्ड कप से पहले- पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया ने पिछले उसी स्टाइल की क्रिकेट के वर्ल्ड कप (2021) के सेमीफाइनल में हराया था, वैसे ही 1987 वनडे वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को हराया था।
  • इंग्लैंड के लिए तब भी बैटिंग में तुरुप का इक्का स्टंप के पीछे थे- एलेक स्टुअर्ट और इस बार जोस बटलर।
  • तब भी इंग्लंड टीम से एक टॉप बल्लेबाज गायब था- 1992 में माइक गेटिंग (दक्षिण अफ्रीका के रिबेल टूर की वजह से लगे प्रतिबंध के कारण) और इस बार जॉनी बेयरस्टो।

इतनी समानता के बावजूद नतीजा बदल गया।

जैसे ही ये तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान सेमीफाइनल में हैं- टूर्नामेंट को वह टॉनिक मिल गया जिसकी बाजार में कामयाबी के लिए सख्त जरूरत थी। आईसीसी सहित सभी ने खचाखच भरे एमसीजी में भारत- पाकिस्तान फाइनल की संभावना पर लार टपकाना शुरू कर दिया। तभी सेमीफाइनल में मेन इन ब्लू के बाहर होने से झटका लगा और रिपोर्ट ये बताती हैं कि फाइनल को लेकर उत्साह एकदम कम हो गया। तब भी, इस मुकाम तक तक पहुंच चुके थे कि विज्ञापन में कटौती के बावजूद, ये टी20 वर्ल्ड कप ब्रॉडकास्टर के लिए मुनाफे का सौदा ही रहा है।

भारत के क्वालीफाई करने का असर ये होता है कि स्लॉट एकदम महंगे हो जाते हैं- खासकर नॉक आउट में और प्रीमियम पर बेचे जाते हैं। भारत ने क्वालीफाई किया तो प्रीमियम और भी  ज्यादा। टूर्नामेंट के दौरान 10-सेकंड स्लॉट के लिए औसत विज्ञापन रेट लगभग 10 लाख रुपये था, भारत-पाकिस्तान मैच में 18 लाख रुपये और 20 प्रतिशत प्रीमियम सेमीफाइनल/फाइनल  के लिए सोचा जा रहा था। पॉलिसी ये है कि ब्रॉडकास्टर 60-70 प्रतिशत इन्वेंट्री एडवांस में बेचते हैं और उसके बाद टीम के ग्राफ के हिसाब से रेट कार्ड बदलता रहता है। इस नाते भारत के सेमीफ़ाइनल में बाहर होने से झटका तो लगा पर ज्यादा नुक्सान नहीं हुआ।

पिछले साल तो हालत और भी खराब रही थी- टीम इंडिया टी20 वर्ल्ड कप से जल्दी बाहर होने से इवेंट के ब्रॉडकास्टर और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए विज्ञापन कमाई बड़ी कम हो गई थी।  इस बार रेट बढ़ने की एक और वजह ये भी थी कि भारत ने लंबे समय के बाद क्वालीफाई किया। 23 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान मैच के स्ट्रीमिंग को Disney+ Hotstar पर 18 मिलियन दर्शकों ने देखा। इससे एकदम फायदा मिला। सेमीफाइनल में दर्शकों की गिनती ज्यादा तो थी पर भारत-पाकिस्तान मैच जितनी नहीं। हां, अगर भारत और पाकिस्तान फाइनल खेलते तो बात ही कुछ और होती।

रिपोर्ट तो ये भी बताती हैं कि भारतीय प्रशंसक सेमीफाइनल में हार के बाद फाइनल के अपने टिकट बेच रहे थे- औने-पौने दामों पर। एक प्रशंसक ने तो कहा- टिकट लो, साथ में बीयर फ्री।  एक और का ऑफर- टिकट खरीदने वाले को मैच के लिए स्टेडियम तक पहुंचाना फ्री।

टूर्नामेंट को आख़िरी तड़का मौसम ने लगाया और फ़ाइनल से पहले जितनी चर्चा दोनों टीम की क्रिकेट की थी- उतनी ही बरसात की। ये ऐसा टी20 वर्ल्ड कप भी था जिसमें बरसात की सबसे ज्यादा चर्चा हुई। आखिर में बरसात ने मेहरबानी की और संडे ‘सुपर’ बन गया।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *