fbpx

ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों, एशेज का एक किस्सा आग की तरह सुलग रहा है। एशेज खत्म हो गई और अब तो चर्चा है वर्ल्ड कप की पर ऑस्ट्रलिया का मीडिया उस किस्से को ‘जासूसी’ का नाम दे कर हवा दे रहा है। सब जानते हैं कि एशेज में स्मिथ और मार्नस लाबुशेन वह फार्म दिखा ही नहीं पाए जिसके लिए वे मशहूर हैं। क्या ये किसी ख़ास स्कीम का नतीजा है? यही किस्सा चर्चा में है। हुआ क्या था?

इंग्लिश क्रिकेट सीजन 2023 में चुपचाप एक प्रयोग ऐसा किया गया जो भविष्य में क्रिकेट खिलाड़ियों के प्रदर्शन और पिच के मिजाज को जानने का तरीका ही बदल देगा। इंग्लैंड में ही ऐसे प्रयोग किए जाते हैं और फिर उन्हें क्रिकेट की दुनिया अपनाती है। ईसीबी की इस नई सोच का नाम है आईहॉक। वे तो एशेज टेस्ट के दौरान भी इसका इस्तेमाल करना चाहते थे पर हाल फिलहाल ऐसा नहीं किया। हां, एशेज में, इसकी स्टडी का इस्तेमाल किया। क्या है ये आईहॉक? इसके बारे में सबसे पहले सोचा ईसीबी के डायरेक्टर ऑफ़ क्रिकेट रॉब की ने और सेलेक्टर्स को थमा दिया जरूरत के हिसाब से सही खिलाड़ी चुनने का हथियार।

ये उस कैमरा सिस्टम का नाम है जिसे मैच में ग्राउंड के दोनों अंपायर ने गले में इस तरह पहना कि कैमरा नॉन स्ट्राइकर सिरे के अंपायर की छाती पर और सीधे स्टंप्स की लाइन में जो क्रिकेट हो रही है- उसे रिकॉर्ड कर रहा था। इंग्लैंड ने अपने इस प्रयोग को ज्यादा चर्चा नहीं दी क्योंकि पहले वे खुद ये देखना चाहते थे कि इस तमाशे और खर्चे से हासिल क्या हो रहा है?

इसीलिए इस सीजन में काउंटी चैंपियनशिप के पहले दो राउंड और फिर उन मैचों में इस सिस्टम का इस्तेमाल किया जो टीवी के लिए प्रोड्यूस नहीं किए गए। अंपायर इस प्रयोग में शामिल होने के लिए राजी हुए हालांकि पहले से वे बहुत कुछ अपने शरीर पर लाद रहे हैं- अब गले में एक कैमरा भी आ गया जिसने वास्तव में उनकी कोई मदद नहीं की। इस कैमरे ने जो रिकॉर्ड और रिले किया, उसका इस्तेमाल अंपायर के फैसलों में मदद के लिए नहीं, खिलाड़ियों (बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों शामिल) के खेल के विश्लेषण के लिए किया- रिपोर्ट टीम सेलेक्टर्स को मिली ताकि वे टीम चुनते हुए इस स्टडी का प्रयोग कर सकें। सीजन खत्म होते-होते ईसीबी ने एक एप भी बना दिया जिसमें पूरा रिकॉर्ड है और जिनके पास ईसीबी द्वारा जारी पासवर्ड है वे इससे जरूरत की जानकारी निकाल सकते हैं।

गेंदबाज की गेंद को मिल रही स्विंग और गेंद की तेजी, लाइन और लेंथ की जानकारी इस कैमरे से बेहतर कौन देगा? तो फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अंपायरों के कोट के सामने लगे इस छोटे, हाई टेक्निक कैमरे से गेंदबाज के सिरे से, गेंदबाज और बल्लेबाज का जो फुटेज लिया वह ये बता रहा है कि गेंद और पिच कैसे व्यवहार कर रहे हैं?

काउंटी मैचों की लाइव स्ट्रीम सालों से हो रही है पर फर्क ये कि इनमें स्टैंड पर लगे कैमरे प्रयोग होते हैं जबकि अंपायर की छाती पर लगा कैमरा वही दिखाता है जो देखना है- नए कैमरे से 120 फ्रेम प्रति सेकंड के हिसाब से पिक्चर रिले कर रहे हैं। हॉक-आई के बॉल-ट्रैकिंग सिस्टम की तरह से बता रहे हैं- गेंद कितनी स्विंग हुई, कितना हटी पिच से, कहां पिच हुई, स्टंप्स के कितने पास रही और ये कितनी तेज़ थी? ऐसी रिपोर्ट पर ही सबसे पहले गस एटकिंसन की गेंद की तेजी पर ध्यान गया- एक सीजन के दौरान ही यह गेंदबाज जिसे कोई नहीं जानता था, इंग्लैंड के लिए खेलने का दावेदार बन गया।

ऑस्ट्रेलिया में इसे ‘जासूसी’ का नाम दिया और आरोप है कि इन कैमरों का ख़ास तौर पर एशेज से पहले की काउंटी क्रिकेट में प्रयोग इसलिए किया क्योंकि, उन मैचों में कई बड़े ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी, इंग्लैंड के सीजन में कॉन्ट्रैक्ट की बदौलत खेल रहे थे- मसलन ससेक्स टीम में स्टीव स्मिथ और ग्लैमरगन टीम में मार्नस लाबुशेन। संयोग से एशेज में स्मिथ और मार्नस वह फार्म दिखा ही नहीं पाए जिसके लिए वे मशहूर हैं। तो क्या इन कैमरों से, इनकी बैटिंग की जो फुटेज मिली, उसकी बदौलत ऐसा डेटा इंग्लिश गेंदबाजों को मिला कि वे इन दिग्गज बल्लेबाज को रोकने में कामयाब रहे? ये है आने वाले दिनों की क्रिकेट में तैयारी!

-चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *