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भारत की कई क्रिकेटरों को सालों खेलने के बावजूद टेस्ट खेलना नसीब नहीं हुआ जबकि शफाली वर्मा ने तो दो टेस्ट खेल भी लिए। 2021 ऐतिहासिक साल रहा इस नज़रिए से और दो टेस्ट खेले भारत ने। कहाँ तो सालों से कोई टेस्ट नहीं खेला था और अब एक साल में दो टेस्ट। इतना ही नहीं, प्रेक्टिस के लिए लाल गेंद से बिना कोई एक से ज्यादा दिन का मैच खेले, दोनों टेस्ट में टीम ने जो क्रिकेट खेली, उसके लिए तारीफ हासिल की। इस सबके बावजूद भारत की टीम को ये नहीं मालूम कि अगला टेस्ट कब खेलेंगे?

ये बात सिर्फ टीम इंडिया पर ही नहीं, अन्य सभी पर भी लागू है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया नियमित टेस्ट खेलते हैं, पर तभी जब आपस में खेलते हैं।अन्य सभी ने तो टेस्ट खेलना बंद ही कर दिया है- इनके आयोजन का खर्चा उठाना उनके बस में नहीं रहा। इस तरह से तो इंग्लैंड,ऑस्ट्रेलिया और भारत भी महिला टेस्ट खेलना बंद कर दें तो टेस्ट क्रिकेट ख़त्म ही हो जाएगी। ये तीनों भी ये समझ लें कि अगर महिला टेस्ट क्रिकेट को लाइफ लाइन देनी है तो इसके आयोजन में ईमानदारी दिखानी होगी। आपने चमानी सेनेविरत्ना के बारे में नहीं सुना होगा- टेस्ट शतक बनाने वाली सबसे कम उम्र की महिला क्रिकेटर। वह श्रीलंका का पहला टेस्ट था: अप्रैल 1998 में पाकिस्तान के विरुद्ध जीत लेकिन उनके 23 सीजन के करियर में उनका आखिरी टेस्ट भी क्योंकि श्रीलंका टेस्ट नहीं खेल रहा। चमारी अटापट्टू, सोफी डिवाइन और डिएंड्रा डॉटिन के नाम कुल 613 कैप लेकिन लाल गेंद से एक भी नहीं। कुछ ख़ास मसले हैं इस संदर्भ में जिन पर ध्यान देना होगा :

5 दिन के टेस्ट क्यों नहीं खेलते ?

भारत ने इस साल जो दोनों टेस्ट खेले, उनमें अगर पांचवां दिन होता तो वे ड्रा न होते और स्पष्ट नतीज़ा निकलता। ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 59%, इंग्लैंड ने लगभग 65% और भारत ने लगभग 70% टेस्ट ड्रा किए। क्या समय की कमी जिम्मेदार है इन ड्रा के लिए?

एक आम दलील ये है कि लगातार 5 दिन खेलने की फिजीकल क्षमता नहीं महिला क्रिकेटरों में। हो सकता है कभी ये दलील सही रही हो पर आजकल फिजिकल फिटनेस पर जितना ध्यान दिया जा रहा है, उसमें ऐसी सोच क्यों? अगर वे पुरुषों के बराबर 100-ओवर वनडे और 40-ओवर टी 20 इंटरनेशनल खेल सकती हैं तो 5 दिन के टेस्ट क्यों नहीं?

ध्यान इस बात पर भी दीजिए :

  • भले ही 4 दिन का टेस्ट खेलती हैं महिलाएं पर 5 दिन वाले पुरुष टेस्ट की तुलना में लगभग 4.6 दिनों के बराबर खेलती है- पुरुष टेस्ट में एक दिन में 90 ओवर और महिला टेस्ट में 100 ओवर।
  • जिम्मेदारी बीसीसीआई की ।टीम के अच्छा खेलने के बावजूद वे उन्हें कितने मौके दे रहे हैं? सबसे जरूरी है घरेलू स्तर पर लाल गेंद वाली क्रिकेट के मैच हों। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि ऑस्ट्रेलिया में भी लाल गेंद की घरेलू क्रिकेट का कोई मैच नहीं होता।
  • पिछले दिनों का ऑस्ट्रेलिया- भारत टेस्ट, इन दोनों टीम के बीच 15 साल में पहला महिला टेस्ट था। ऑस्ट्रेलिया अगला टेस्ट, अगले साल 27 से 30 जनवरी तक मनुका ओवल में इंग्लैंड के विरुद्ध खेलेगा। ऑस्ट्रेलिया ने पिछले 10 सालों में सिर्फ पांच टेस्ट खेले हैं।
  • इस साल जब इंग्लैंड- भारत टेस्ट खेले तो ये सात साल में इनका आपसी पहला महिला टेस्ट था। इंग्लैंड 2022 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध टेस्ट का प्रोग्राम बना रहा है।
  • कुल 142 महिला टेस्ट- इनमें से ऑस्ट्रेलिया- भारत ऐसा सिर्फ सातवां था जिसमें तीन पारी समाप्त घोषित की गईं। 2,433 पुरुष टेस्ट में सिर्फ 6 टेस्ट में तीन घोषित पारियां हैं।
  • यदि 4 दिन के महिला टेस्ट ही खेलना चाहते हैं, तो ड्रॉ होने पर पहली पारी के आधार पर नतीज़ा तय करें- नहीं तो इसे 5 दिन का बना लें।
  • ऑस्ट्रेलिया में 2000 से अब तक महिला टेस्ट में विकेट लेने की तेजी- 64.44 गेंद प्रति विकेट। अगर 40 विकेट का टेस्ट चाहते हैं, तो इस हिसाब से 2578 गेंद की जरूरत लेकिन 4 दिन में 600 गेंद रोज़ के हिसाब से भी 30 ओवर कम होते हैं यानि कि 4.3 दिन चाहिए। पुरुषों के लिए ऐसी ही गणना करें तो 4.73 दिन निकलते हैं। इसलिए पुरुषों के लिए 5 दिन के टेस्ट सही- लेकिन महिला टेस्ट में भी स्पष्ट नतीज़ा चाहिए तो 5 दिवसीय टेस्ट की जरूरत है। जरूरत डीआरएस की

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि जब महिला एशेज में टेस्ट खेलेंगे तो डीआरएस का इंतज़ाम होगा- पहली बार ऑस्ट्रेलिया में दो टीम की सीरीज में इसे इस्तेमाल किया जाएगा। अब तक इसका उपयोग न्यूजीलैंड और इंग्लैंड में और साथ ही बड़े आईसीसी टूर्नामेंट में किया गया है। भारत के डे-नाइट टेस्ट में इसका इंतज़ाम क्यों नहीं था? कहा गया कि मैके और गोल्ड कोस्ट में मैचों को देरी से ट्रांसफर करने और बॉर्डर बंद होने जैसी मुश्किलों के कारण ये इंतज़ाम मुश्किल था। टेस्ट के दौरान जो हुआ, उससे साफ़ पता लगता है कि इसकी जरूरत थी। देखिए :

  • कप्तान मेग लैनिंग 38 रन पर आउट- जब पूजा वस्त्राकर की एक डिलीवरी उनके पैड पर लगी और अंपायर ने एलबीडब्ल्यू दे दिया। रिप्ले के अनुसार गेंद पहले बैट पर लगी थी।
  • दीप्ति शर्मा- तेज गेंदबाज स्टेला कैंपबेल ने 66 रन पर एलबीडब्ल्यू आउट किया। बॉल ट्रैकिंग ने दिखाया- डिलीवरी लेग स्टंप की लाइन के बाहर पिच हुई थी।
  • मैके में दूसरे वन डे में, जब निकोला कैरी ने झूलन गोस्वामी की गेंद को नो बॉल घोषित किया तो ग्राउंड पर उस फैसले को चुनौती देने का कोई रास्ता नहीं था।

डीआरएस की कमी का मतलब था कि थर्ड अंपायर ब्रॉडकास्ट रिप्ले का उपयोग कुछ मुद्दों के लिए कर सकते थे, जैसे कि रन आउट, स्टंपिंग, क्लीन कैच और नो बॉल। डीआरएस पिछले कई साल से पुरुष इंटरनेशनल क्रिकेट का का हिस्सा है- इसका उपयोग पहली बार 2017 वन डे वर्ल्ड कप के दौरान महिला क्रिकेट में किया गया। पिछले दो ICC महिला टी 20 वर्ल्ड कप में इसका इंतज़ाम था पर शायद ही कभी दो टीम की सीरीज में इसका इंतज़ाम किया।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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