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भारत में सैटेलाइट टीवी के युग में एंट्री की बात करें तो जिस चैनल का जिक्र सबसे पहले होगा- जी टीवी। वे आज भी ख़बरों में हैं और ख़ास तौर क्रिकेट में भी पर अलग-अलग वजह से। उन्हीं का जिक्र करते हैं सिलसिलेवार :

  • खबर : मद्रास हाई कोर्ट ने एमएस धोनी के विरुद्ध ज़ी मीडिया की अपील खारिज कर दी। ये क्या किस्सा है? 

एमएस धोनी का नाम आईपीएल 2013 के दौरान मैच फिक्सिंग में आया था- इस आरोप को हवा दी ज़ी मीडिया ने और इसीलिए धोनी ने जी पर मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। धोनी ने केस किया मद्रास हाई कोर्ट में और ज़ी मीडिया ने अपील की कि बहुत साल हो गए और ये केस खत्म किया जाए। कोर्ट ने अपील नहीं मानी यानि कि जी झटके के लिए तैयार रहें। 
जस्टिस आर महादेवन और मोहम्मद शफीक की बेंच का कहना है- एक दशक से ज्यादा सम्मान के साथ भारत की टीम में खेलने वाले इस विश्व प्रतिष्ठित क्रिकेटर पर आरोप लगाने से पहले मीडिया हाउस को मालूम होना चाहिए था कि जो वे कर रहे हैं- उसका नतीजा क्या हो सकता है? उन्हें याद दिलाया कि आरोप की खबर दर्शकों के सामने रखने से पहले, उसकी जांच की जिम्मेदारी चैनल की थी।

मीडिया ग्रुप ने बिना आधार क्रिकेटर की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाया। आपको याद होगा कि धोनी की आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को सट्टेबाजी के आरोप में बीसीसीआई ने दो साल के लिए सस्पेंड किया पर उनके कप्तान पर कोई आरोप नहीं लगा। तब भी जी ने इसे नजरअंदाज कर दिया और क्रिकेटर की आस्था पर सवाल उठाना भारी पड़ गया। धोनी न सिर्फ आरोप पर सफाई मांग रहे हैं- 100 करोड़ रुपये का हर्जाना भी।

  • खबर : डिज़्नी और ज़ी के बीच 1.5 अरब डॉलर के आईसीसी टीवी अधिकार सौदे पर खतरे के बादल मंडराने की बात अब लगभग एक सच्चाई है। ये क्या किस्सा है?

डिज्नी स्टार और ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के बीच 1.5 अरब डॉलर का आईसीसी टीवी अधिकार सौदा पिछले कुछ दिनों से खबर में इसलिए है क्योंकि इस महीने से नए मीडिया अधिकार का राउंड शुरू हो गया है पर सवाल न सिर्फ ज्यों के त्यों हैं- सौदा लगभग टूट चुका है। ये सौदा हुआ था अगस्त 2022 में पर अभी तक इसकी शर्तें पूरी नहीं हुई हैं और इनमें से सबसे बड़ी है- ज़ी ने बैंक गारंटी नहीं दी है डिज्नी स्टार को। मजे की बात ये है कि ये सौदा देरी की वजह से और पेचीदा होता गया। इस देरी में जो सबसे ख़ास बात हुई वह है स्टार इंडिया और वायाकॉम 18 के संभावित मर्जर की खबर। इस बारे में वॉल्ट डिज़नी और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के बीच मर्जर की शर्तों पर बातचीत और वेल्युएशन तय करने की हर चर्चा में आईसीसी टीवी सौदे पर सवाल उलझन बनता गया।

आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप 2024, 19 जनवरी से शुरू हो रहा है दक्षिण अफ्रीका में और ये नए मीडिया अधिकार राउंड में पहला टूर्नामेंट है। डिज्नी स्टार ने 2024-2027 में भारत के लिए टीवी और डिजिटल अधिकार 3 बिलियन डॉलर में हासिल किए। उसके बाद सभी को हैरान करते हुए, हमेशा जिन्हें प्रतिद्वंदी माना- उन्हीं जी को (डिजिटल अधिकार अपने पास रखकर) अंडर-19 क्रिकेट सहित अन्य कुछ ग्लोबल आयोजन के टीवी अधिकार का सब-लाइसेंस दे दिया।

डिज्नी स्टार ने जिन अधिकार के लिए 3 अरब डॉलर की बिड की, उन्हें हासिल करने के दावेदार में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (एसपीएनआई) और वायाकॉम 18 भी थे पर ये दोनों तो इससे आधा पैसा भी नहीं दे रहे थे। सिर्फ 1.3-1.4 अरब डॉलर की बिड थी इनकी। इतनी बड़ी बिड के बाद डिज्नी स्टार को एक पार्टनर की सख्त जरूरत थी और इसीलिए सब लाइसेंस दे दिया और हालात भांपते हुए आईसीसी ने भी उन्हें इसकी इजाजत दे दी। जी ने खुद तो इस सौदे के लिए जरूरी और तय शर्त में से एक- बैंक गारंटी नहीं दी पर इसके मिलने की उम्मीद इस धारणा पर बनी रही कि सोनी और जी का मर्जर मंजूर हो चुका है और सोनी ने भी कहा कि एक बार ये मर्जर हो जाए तो वे बैंक गारंटी दे देंगे। न अभी तक सोनी-जी मर्जर हुआ और न बैंक गारंटी मिली और मौजूदा स्थिति ये है कि ये मर्जर खुद एक सवाल बना हुआ है।

इसी चर्चा में, अंडर 19 वर्ल्ड कप आ गया और आसार बन गए कि डिज्नी स्टार ही ब्रॉडकास्टर होंगे और आईसीसी को अगले 4 साल में पूरे 3 बिलियन डॉलर देने का जिम्मा अकेले उन का हो जाएगा। अब इस अनुमान को वास्तविकता ही कहेंगे। अब सब जानते है कि ये मीडिया अधिकार डिज्नी स्टार के लिए नुकसान वाले होंगे जिस वजह से डिज्नी स्टार का वैल्यूएशन गिरेगा। डिज्नी स्टार ने जोश में आईसीसी मीडिया और आईपीएल टीवी अधिकार खरीद तो लिए पर 6 बिलियन डॉलर देना मुसीबत बना हुआ है उनके लिए।

स्टार इंडिया और वायकॉम18 के मर्जर पर शर्तें लिखी जा चुकी हैं और बौखलाहट में डिज्नी स्टार ने ज़ी के टीवी सब-लाइसेंसिंग एग्रीमेंट की शर्तों को पूरा न करने पर  कानूनी कार्रवाई का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। ऐसा हुआ तो पहले से मुश्किल में फंसे जी ग्रुप की मुश्किल और बढ़ जाएगी। सोनी के साथ मर्जर के बिना, ज़ी के बस में नहीं है 1.5 अरब डॉलर के आईसीसी टीवी सौदे को पूरा करना। इस सौदे में घाटा तो वैसे भी नजर आ ही रहा है। 

भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता पर चाहे जो लिखा जाता रहे- भारत में क्रिकेट ब्रॉडकास्ट ज्यादातर मौके पर घाटे का सौदा रहा है। चैनल के पोर्टफोलियो में क्रिकेट होने से पैसा आता है, स्पांसर भी पैसा देते हैं और स्ट्रीमिंग में, नए यूजर मोबाइल डाटा की कीमत के जरिए पैसा दे जाते हैं- तब भी ब्रॉडकास्ट अधिकार महंगे होने से ये सब घाटे में बदल जाता है।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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