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एक तरफ सरफराज खान ने इंग्लैंड लायंस के विरुद्ध अहमदाबाद में, दो दिन के टूर मैच में 96 रन (110 गेंद, 11 चौके, 1 छक्का) बनाए तो दूसरी तरफ उनकी सीनियर टीम इंडिया में जगह की वकालत करने वालों के जख्म पर बीसीसीआई ने नमक लगाया- इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज के पहले दो टेस्ट की टीम की घोषणा के साथ। ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं कि टीम में सरफराज खान का नाम नहीं है, वे सेलेक्टर्स की स्कीम में नहीं और सेलेक्शन कमेटी में मुंबई के अजीत अगरकर के आने के बावजूद नजरिए में कोई बदलाव नहीं।

वजह जानने की उम्मीद, भारत में सेलेक्शन कमेटी से करना बेकार की बात है। अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा जैसे सीनियर के टेस्ट टीम से बाहर होने के बाद युवा यशस्वी जायसवाल और रुतुराज गायकवाड़ को चुना, सरफराज खान को नहीं। एक के बाद एक टूर/सीरीज निकलते जा रहे हैं।आकाश चोपड़ा ने तो कहा भी कि बीसीसीआई बताए कि सरफराज की लगातार अनदेखी के पीछे सही वजह क्या है- सरफराज को टीम में आने के लिए और क्या करना चाहिए?

क्या कोई स्पष्टीकरण देंगे- न देंगे और न है कि जिस बल्लेबाज का 2020 से फर्स्ट क्लास बल्लेबाजी औसत 88 है और लगातार रन बना रहे हैं वह टीम में क्यों नहीं? हां, अगर हर पारी को महत्वपूर्ण बनाने और उसमें रन बनाने की बात करें तो वह तो डॉन ब्रैडमैन ने भी नहीं किया। 2020 में, 5 साल बाद मुंबई टीम में वापसी के बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा है।

फिटनेस पर सवाल उठता है पर ये सिर्फ सरफराज के साथ नहीं है, किसी के भी साथ हो सकता है कि जब सही समय पर अगली पायदान पर खेलने का मौका न मिले तो गलती हो सकती है- फिटनेस के कारण 2016 में जिस आरसीबी ने उन्हें बाहर किया, उसी ने 2018 में वापस लिया तो कोई वजह तो रही होगी? रणजी या इसी तरह की अन्य क्रिकेट में लगातार बड़ी पारियां खेलना क्या बेहतर फिटनेस का सबूत नहीं? 2020 के बाद से सरफराज के कुछ बड़े रणजी स्कोर: 301, 226, 177, 275, 165, 153, 162 और कुल 100 देखें तो भी ज्यादातर नंबर 5 या उससे नीचे बल्लेबाजी में आए जबकि यहां से बड़ी पारी खेलना आसान नहीं रहता।

इस समय फर्स्ट क्लास क्रिकेट में, सिर्फ तीन खिलाड़ियों का बल्लेबाजी औसत सरफराज खान से बेहतर है :
डॉन ब्रैडमैन 95.14
विजय मर्चेंट 71.64
जॉर्ज हैडली 69.86
सरफराज खान 69.66

ये नहीं कहेंगे कि सरफराज बाकी तीनों के स्तर के बल्लेबाज हैं पर ये रिकॉर्ड कम से कम उन्हें सीनियर क्रिकेट में मौके का हकदार तो बनाता ही है।रणजी में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद सीनियर टीम इंडिया में मौका न मिलने वालों की लिस्ट बड़ी लंबी है। अगर इनमें से राजेंद्र गोयल और पदमाकर शिवालकर जैसे खिलाडियों का नाम हटा दें (जिनके करियर का सीधे टकराव किसी और ऐसे खिलाड़ी से रहा जिसकी तुलना में उन्हें मौका ही न दिया जा सका) तो भी हाल के सालों में जलज सक्सेना, हनुमा विहारी, अभिमन्यु ईश्वरन, प्रियांक पांचाल, अक्षय वाडकर और गौरव यादव जैसे नाम सामने हैं। भले ही एकदम टॉप स्तर पर नहीं, उन्हें परखने के लिए लगातार ए टीम में मौके तो दिए जा सकते हैं?

आलोचना की बात करें तो सरफराज की फिटनेस और व्यवहार में अकड़ जैसी शिकायत के अतिरिक्त और वजह गिनना कोई मुश्किल नहीं :

  • इंडिया ए के लिए अभी तक कोई 100 नहीं बनाया है।
  • इंडिया ए के लिए औसत 30+ है यानि कि रणजी वाली फार्म को यहां नहीं दोहराया।
  • इंग्लैंड लायंस के विरुद्ध मैच, महज एक टूर मैच था- फिर भी अपने 50 को 100 में नहीं बदल सके।
  • सेलेक्टर्स पर मौका देने का आरोप गलत है- रिकॉर्ड ये है कि जो-जो इंडिया ए के लिए सफल रहे- भारतीय टीम में भी आए।

सरफराज के खेल में जो सुधार है और रणजी से बाहर भी रन बना रहे हैं- अगर वही सिलसिला ए टीम के मैचों में चले तो सीनियर टीम में आना सिर्फ औपचारिकता जैसा रह जाएगा। यदि सेलेक्टर फर्स्ट क्लास क्रिकेट के रन को महत्व नहीं देते तो ये मुंह में खट्टा स्वाद आने जैसा ही तो है। सिर्फ वे नहीं, अभिमन्यु ईश्वरन भी हैं- एक और घरेलू स्टार जो रणजी ट्रॉफी में प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहे थे पर टेस्ट टीम से बाहर कर दिया। अभिमन्यु को सिर्फ एक टेस्ट के लिए टीम में लिया लेकिन आखिर में वाटरबॉय बने। अगले टेस्ट में मौका छोड़िए- टीम से भी बाहर। अब उनके पास न तो आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट है और न ही टेस्ट टीम में जगह तो किस करियर की बात करें- ऐसा लगता है कि अगर रणजी खिलाड़ियों के पास आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट नहीं है तो उनका कोई करियर नहीं। हर खिलाड़ी पुजारा नहीं होता।

अब ये बिल्कुल साफ़ होता जा रहा है कि अगर खिलाड़ियों की क्रिकेट में कमजोरियां/कमियां गिनकर, उनके प्लस नजरअंदाज करें और इंटरनेशनल क्रिकेट न खेलने दें तो घरेलू टूर्नामेंटों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का कोई फायदा नहीं है। यदि रिकॉर्ड (रन-विकेट की गिनती) से टीम चुननी है तो ये काम जिन्हें गिनतियों की बेहतर समझ है या कंप्यूटर बड़ी आसानी से कर सकते हैं। क्या उनके जैसे क्रिकेटरो के पास टेस्ट खेलने का वास्तव में कोई मौका है या ये सिर्फ आईपीएल ‘स्टार’ के लिए रिजर्व है? घरेलू प्रदर्शन को सही पहचान कब मिलेगी? सालों से लगातार अच्छा प्रदर्शन और फिर भी मौका नहीं मिलता तो ऐसा लगता है मानो खिलाड़ियों की फॉर्म की परवाह किए बिना टीम बना ली और ऐसे खिलाड़ियों को तभी मौका मिलेगा जब कोई अनफिट/उपलब्ध होगा।

अब अगर इंग्लैंड के विरुद्ध चुनी टीम ही देखें तो टीम में 3 विकेटकीपर हैं पर श्रेयस अय्यर और उनके फॉर्म के लिए कोई स्टैंडबाय नहीं है। यहां सरफराज की चूक की कहानी नजर आती है। इसी बात को इस तरह भी कह सकते हैं कि शायद बम्पर आईपीएल सीजन का इंतजार है। फॉर्मेट चाहे जो भी हो- टीम में जगह आईपीएल में प्रदर्शन से बनेगी। ध्रुव जुरेल, आईपीएल में चमके और टेस्ट टीम में आ गए- लेकिन उपेन्द्र और कुशाग्र जैसे घरेलू कीपर बल्लेबाजों को कॉल अप नहीं मिलेगा। रणजी, अब टेस्ट टीम में चयन का टूर्नामेंट नहीं रह गया है- ये सिर्फ खिलाड़ियों के लिए कुछ पैसे कमाने का टूर्नामेंट है।

सिर्फ सोच के लिए- इस समय ऑस्ट्रेलिया टेस्ट टीम में न्यू साउथ वेल्स के 5 खिलाड़ी हैं- स्मिथ, कमिंस, स्टार्क, हेजलवुड और लियोन और ये टीम में सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि एनएसडब्ल्यू के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलते हैं।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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