अबू धाबी टी 10 लीग शुरू हो चुकी है। एक खबर ध्यान देने वाली- सारा टेलर इसमें अबू धाबी टीम की असिस्टेंट कोच हैं। इस खबर की चर्चा इसलिए कि इंग्लैंड की महिला क्रिकेटर रही हैं सारा और अब पुरुष टीम (अबू धाबी) से जुड़ गई हैं। सवाल ये कि अगर महिला टीम के कोच पुरुष हो सकते हैं तो पुरुष टीम की कोच एक महिला क्यों नहीं? अपने समय में कई महिला क्रिकेटरों के बारे में कहा गया कि वे अपने देश की पुरुष टीम में खेलने की हकदार हैं- एक बार शांता रंगास्वामी और मिथाली राज के बारे में यही कहा गया था।
खैर सारा पर लौटते हैं। गज़ब का करियर- दो 50 ओवर वर्ल्ड कप और एक टी 20 वर्ल्ड कप जीता। 2019 में, फिट न होने के कारण, इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर होने से पहले इंग्लैंड के लिए 226 मैच खेले।अबू धाबी में चीफ कोच पॉल फारब्रेस की असिस्टेंट कोच हैं। टीम के कोचिंग स्टाफ में दक्षिण अफ्रीका के ऑलराउंडर लांस क्लूजनर भी हैं जो टी 20 वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान के चीफ कोच थे। इंग्लैंड के लियाम लिविंगस्टोन इस सीजन में फ्रैंचाइज़ी के आइकॉन प्लेयर जबकि जबकि क्रिस गेल को रिटेन किया है।
वैसे मीडिया में ये गलत लिखा गया कि सारा ऐसी ड्यूटी पहली बार कर रही हैं। वे इस साल में दूसरी बार किसी पुरुष टीम के साथ काम कर रही हैं- पुरुषों की काउंटी टीम ससेक्स के साथ विशेषज्ञ स्किल कोच के तौर पर काम किया था। उनसे पहले ऐसे ही जूलिया प्राइस को चर्चा मिली थी- ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग में कोच बनने वाली पहली महिला (2019 में ब्रिस्बेन हीट में असिस्टेंट कोच)।
सारा का कहना है कि मौका मिला तो ये ड्यूटी ले ली- ये साबित करने के लिए कि और दूसरी महिला उन्हें कोचिंग टीम में देखें तो महसूस करें कि ‘अगर वह ऐसा कर सकती है, तो मैं क्यों नहीं?’
टेलर ने कहा- मुझे पुरुष टीम के साथ काम में कभी कोई दिक्कत नहीं हुई और मैं तो चुनौती का मजा ले रही हूं। वे इसी टीम में गेल के होने से भी परेशान नहीं- वही गेल जो 2016 में एक सेक्सिज्म मामले में फंसे थे। एक लाइव टीवी इंटरव्यू के दौरान पत्रकार मेल मैक्लॉघलिन को कह दिया था – ‘हम बाद में ड्रिंक्स पर भी मिल सकते हैं- शरमाओ मत, बेबी।’ बाद में उन्होंने माफी मांगी और इसके लिए £4,900 का जुर्माना झेला।
सारा का करियर :
- 2006 में खेलना शुरू किया
- 2019 में रिटायर
- 10 टेस्ट, 126 वन डे इंटरनेशनल और 90 टी 20 इंटरनेशनल खेले।
- इस समर में पेशेवर क्रिकेट में वापसी की और द हंड्रेड और 2021 महिला टी 20 कप में खेलीं।
वैसे इस मामले में ऐसा नहीं है कि भारत में कुछ हुआ नहीं- फर्क इतना है कि उसे चर्चा नहीं मिलती।
- 44 साल की जैसिंथा कल्याण- विश्व की एकमात्र महिला क्यूरेटर। उनका भी मानना है कि महिलाएं वह सब कुछ कर सकती हैं जो एक पुरुष कर सकता है।
वे क्यूरेटर कैसे बनीं? वे तो कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन में एक रिसेप्शनिस्ट बन कर आई थीं। उसके बाद अकाउंट्स और टिकटिंग डिपार्टमेंट में काम किया। सारा काम बहुत अच्छी तरह से संभाला। इसी मैनेजमेंट से प्रभावित होकर, उन्हें 20 से ज्यादा ग्राउंड्समैन वाले
ग्राउंड्स डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया। बड़े मैचों के दौरान दो पुरुष क्यूरेटर की मदद करती हैं और अकेले स्थानीय लीग के मैचों के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के विकेट तैयार करती हैं- इंडिया ए के इंटरनेशनल मैचों के लिए विकेट तैयार कर चुकी हैं।
क्यूरेटर का काम आसान नहीं- न केवल विकेट बनाने होते हैं, बल्कि इसमें कई चीजें शामिल हैं और चिलचिलाती धूप में खड़ा होना पड़ता है।
- बैंगलोर की नवनिता गौतम आईपीएल फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) टीम की मसाज थेरेपिस्ट हैं। चीफ फिजियोथेरेपिस्ट इवान स्पीचली और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच शंकर बसु के साथ मिलकर काम कर रही हैं- खिलाड़ियों की फिटनेस से जुड़े हर पहलू पर।
आरसीबी ने निश्चित तौर पर एक नई शुरूआत की। नवनिता मूलतः कनाडा से हैं और ग्लोबल टी 20 लीग, कनाडा में टोरंटो नेशनल्स के साथ काम कर चुकी हैं। वह हमेशा क्रिकेट से जुड़ना और आईपीएल का हिस्सा बनना चाहती थीं और इसलिए 2017 में भारत को अपना बेस बना लिया।
नवनिता 2019 में एक स्पोर्ट्स मसाज थेरेपिस्ट के तौर पर आरसीबी में शामिल हुई थीं- आईपीएल की मौजूदा 8 टीम में से किसी के सपोर्ट स्टाफ का हिस्सा बनने वाली पहली महिला।
2019 में, नवनिता से पूछा गया कि क्या उन्हें आरसीबी में सपोर्ट स्टाफ का हिस्सा बनी अकेली महिला होने पर कोई घबराहट होती है? जवाब था- ‘बिल्कुल नहीं। हर समय 20 भाइयों के आसपास रहने में कैसी घबराहट? जब तक खिलाड़ी और सहयोगी स्टाफ आपके काम पर भरोसा करते हैं, तब तक काम कौन कर रहा है-इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सभी हेल्थ प्रोफेशनल हैं।’
- राजस्थान रॉयल्स टीम में यूथ डेवलपमेंट कोच ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट कप्तान लिसा स्थालेकर हैं।
- चरनपाल सिंह सोबती
वा क्या बढीया और गजभ की एक अलगसी जानकारी सरजी 👍👌👌