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पिछले दिनों मीडिया में, ख़ास तौर पर सोशल मीडिया भारतीय क्रिकेट बोर्ड (जिसमें ज्यादा चर्चा आईपीएल की थी) की आमदनी पर इनकम टैक्स की छूट का बड़ा जिक्र हुआ। असल में इस सारे मामले को सही तरह से समझने की जरूरत है। अगर एक लाइन में इनकम टैक्स एपेलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) के फैसले को लिखना हो तो वह था- बीसीसीआई को इनकम टैक्स छूट से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वे पैसा कमाने वाली आईपीएल का आयोजन करते हैं। अब इसी पर और बात करते हैं :

ये केस है क्या?

बीसीसीआई को 1996 में एक चैरिटेबल (धर्मार्थ) संस्थान के तौर पर रजिस्टर्ड किया गया था। इससे पहले के सालों में बोर्ड की कमाई की किसी ने कोई ख़ास चिंता नहीं की थी क्योंकि वास्तव में पैसा कहाँ था? पैसा तो आया जब ब्रॉडकास्ट अधिकार और स्पॉन्सरशिप के रास्ते खुले। एक वक्त तो वह था जब बोर्ड पैसा देता था दूरदर्शन को कि मैचों का सीधे टेलीकास्ट करो।

वक़्त बदला और उसे इनकम टैक्स वालों ने भी पहचाना- तय कर दिया कि क्रिकेट बोर्ड (जिसे तब तक देश की सबसे खेल संस्था कहा जाने लगा था) को वित्तीय वर्ष 2008-09 से इंडियन प्रीमियर लीग, टेलीविजन अधिकार की बिक्री, टिकट और स्पॉन्सरशिप आदि से होने वाली आमदनी पर इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए कहा जाएगा। तब से आज तक बोर्ड और इनकम टैक्स के बीच आँख मिचोली का खेल चल रहा है।

ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड बोर्ड, धर्मार्थ संस्था होने का दावा कर इनकम टैक्स छूट का फायदा उठा रहा था। बोर्ड का उद्देश्य- देश में क्रिकेट को बढ़ावा देना। इस परिभाषा के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए, वित्त मंत्रालय ने 2008 के बजट में चैरिटी की परिभाषा में संशोधन कर दिया- किसी भी कमर्शियल गतिविधि के लिए इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं। बोर्ड को इस नई परिभाषा के दायरे में ले लिया।

ये सब चल रहा था कि बोर्ड का मामला आईपीएल फिक्सिंग विवाद की वजह से सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया। कोर्ट ने जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए कहा और आदेश दिया कि मेमोरंडम ऑफ़ एसोसिएशन (MoA) को फिर से लिखो और उसमें शामिल करो कि बोर्ड कोई भी ऐसी एक्टिविटी या आयोजन कर सकता है जिससे उसे मुनाफा हो। नया एमओए बना दिया और बोर्ड ने इसके रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर दिया। इनकम टैक्स विभाग ने अब बोर्ड को धर्मार्थ संस्थान के तौर पर रजिस्टर करने से इनकार कर दिया। मौजूदा केस सिर्फ बोर्ड को धर्मार्थ संस्थान के तौर पर रजिस्टर करने का है- इनकम टैक्स विभाग ने कहा कि वास्तव में बोर्ड,आईपीएल के लिए फ्रेंचाइजी समझौतों की बदौलत क्रिकेट को कमर्शियल बना चुका है और उपयोग कर रहा धर्मार्थ उद्देश्य का- इसलिए बोर्ड को धर्मार्थ संस्था के तौर रजिस्टर करने से इंकार कर दिया।

बोर्ड ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया

बीसीसीआई को 2016-17 में रेवेन्यू डिपार्टमेंट से तीन कारण बताओ नोटिस मिले- मामला वही था कि जब आईपीएल से पैसा कमा रहे हो तो धर्मार्थ संस्था के नाम पर जो छूट का दावा कर रहे हो, वह गलत है। अगर बोर्ड को धर्मार्थ संस्था के तौर रजिस्टर कर लिया जाता तो ऐसा न होता। इसीलिए बोर्ड ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया कि रजिस्ट्रेशन करो। अब देखिए क्या हुआ :

  • बोर्ड की सबसे बड़ी दलील- इनकम टैक्स वालों ने सिर्फ आईपीएल को देखा, बोर्ड की सभी एक्टिविटी को नहीं, जो गलत है।
  • आईटीएटी ने नोट किया कि एमओए में जो भी बदलाव किए गए- सुप्रीम कोर्ट के कहने पर किए गए और सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि बोर्ड ऐसे काम करता है जिससे पूरी जनता जुड़ी है और उनकी हर एक्टिविटी पर इस नाते नजर रहती है।

  • इस तरह, एमओए में बदलाव का मतलब ये नहीं कि बोर्ड का खेल को बढ़ावा देने का मूल उद्देश्य खत्म हो गया।

इस तरह ट्रिब्यूनल ने मान लिया कि बोर्ड का उद्देश्य क्रिकेट को बढ़ावा देना है और इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए उन्हें आईपीएल जैसे मुनाफे वाले आयोजन का अधिकार है। क्रिकेट को बढ़ावा देने का उद्देश्य बरकरार है और इसलिए इनकम टैक्स में छूट दी जानी चाहिए।

छूट मिलेगी और कितनी ये एक अलग किस्सा है। हाल फिलहाल बोर्ड की अपील थी धर्मार्थ संस्थान के तौर पर नए रजिस्ट्रेशन की और उसकी मंजूरी मिल गई। ट्रिब्यूनल ने कहा बोर्ड को एक धर्मार्थ इकाई के रजिस्ट्रेशन से वंचित नहीं किया जा सकता है, ये वजह बताकर कि आईपीएल और अन्य कमर्शियल एक्टिविटी के लिए अपने मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में संशोधन किया है। ट्रिब्यूनल ने ये भी कहा कि यदि भविष्य में बोर्ड के उद्देश्य में कोई कमी मिली तो रजिस्ट्रेशन रद्द करने का रास्ता हमेशा खुला है ।

बीसीसीआई को वास्तव में इनकम टैक्स में छूट मिलेगी या नहीं- इसकी कई अलग शर्तें है और ये हर साल का अलग हिसाब है।

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “हाल फिलहाल मुद्दा सिर्फ ये तय करना था कि क्रिकेट बोर्ड को धर्मार्थ संस्थान के तौर पर रजिस्टर करें या नहीं ?”
  1. सरजी सोनेकी चिडीया बी सी सी आय के बारे मे गेहरा जानकारी मिली 👍👌👌

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