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बीसीसीआई ने दो टीम वाली सीरीज के मीडिया अधिकार का टेंडर जारी कर दिया है- इन्हें भी ई-ऑक्शन से बेचेंगे। कई महीने से इस टेंडर का इंतजार था पर शायद और देर नहीं कर सकते थे- नया राउंड शुरू होने में सिर्फ 50 दिन ही तो बचे थे (ऑस्ट्रेलिया से 3 वनडे की सीरीज है)- ये मैच वर्ल्ड कप के लिए ड्रेस रिहर्सल का काम करेंगे।

सब जानते हैं कि क्रिकेट के बाजार की मौजूदा सच्चाई ये है कि दो टीम वाले वाइट बॉल मैच की लोकप्रियता कम हो रही है और आईपीएल जैसे टूर्नामेंट एक अलग बाजार बना रहे हैं। भारत में टेस्ट भी एशेज जैसे रोमांचक तो होते नहीं। इसलिए अब नई कीमत की सच्चाई आईपीएल बताती है। जहां एक तरफ आईपीएल के मीडिया अधिकार महंगे होते जा रहे हैं- दो टीम वाली सीरीज के लिए बीसीसीआई भी मान रही है कि इस बार पिछले राउंड वाली कीमत भी नहीं मिलेगी। कुछ फैक्ट नोट कीजिए- 

  • पिछला अधिकार राउंड (2018-23) बीसीसीआई के लिए बड़े फायदे वाला था और वेल्युएशन थी 6138 करोड़ रुपये- उससे पिछले राउंड से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा। हर मैच 60.18 करोड़ रुपये का और ये आईपीएल के उस समय के एक मैच के अधिकार से लगभग 6 करोड़ रुपये ज्यादा था।
  • नए राउंड (2023-28) में, तीनों फॉर्मेट के मिलाकर, लगभग 100 मैच खेलने की उम्मीद है और अगर हर मैच पिछली 60 करोड़ रुपये की कीमत का ही रहे तो बीसीसीआई को 6000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं पर सवाल ये है कि क्या इतना पैसा मिलेगा? बीसीसीआई ने ऑक्शन में 6000 करोड़ की गिनती को अपने सम्मान से जोड़ दिया है और टेंडर फार्म में लिखा है कि अगर ऑक्शन में रकम इस गिनती तक न पहुंची तो वे ऑक्शन को ‘रद्द’ घोषित कर सकते हैं।
  • कुछ रिपोर्ट में 88 मैचों के खेलने की बात लिखी है- 25 टेस्ट, 27 वनडे और 36 टी20ई यानि कि पिछली बार से 14 मैच कम।
  • पिछले राउंड की तरह इस बार भी ई-ऑक्शन होगा हालांकि इस ऑक्शन के लिए बीसीसीआई के सलाहकार अर्न्स्ट एंड यंग ने उन्हें मौजूदा बाजार हालात देखते हुए ‘क्लोज बिड’ की सलाह दी थी पर बीसीसीआई ने पारदर्शी रहना चुना- भले ही पैसा कम मिले। ‘क्लोज बिड’ न चुनने की एक वजह ये भी है कि बाजार में अधिकार खरीदने के दावेदार ही बहुत कम हैं
  • टेलीविज़न और डिजिटल अधिकार अलग-अलग बेचे जाएंगे और डिजिटल के लिए बोली 25 करोड़ रुपये प्रति मैच और टीवी के लिए 20 करोड़ रुपये प्रति मैच से शुरू होगी। 25 करोड़ रुपये+20 करोड़ रुपये=45 करोड़ रुपये की ये कीमत कैसे तय की? ये वह कीमत है जो डिज्नी-स्टार इंडिया ने 2014-18 राउंड के अधिकार के लिए दी थी। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि भाव किस तरह से गिर रहा है।
  • डिजिटल के लिए वेल्युएशन टीवी से ज्यादा रखने का आधार आईपीएल मीडिया अधिकार बिक्री है जहां डिजिटल के लिए बिड, टीवी से ज्यादा रहे। सब जानते हैं कि डिजिटल कैनवास बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।

ये सब पढ़कर बदलते हालात का अंदाजा तो हो गया होगा। पिछले राउंड में अधिकार डिज्नी स्टार के पास थे और ऐसे संकेत हैं कि हाथ जला कर वे तौबा कर चुके हैं। अमेरिकी अखबारों की खबर को सही मानें तो रिपोर्ट ये है कि वे तो भारतीय बाजार से बोरिया-बिस्तर बांधने की तैयारी में हैं और हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रहे हैं। तो बचा कौन- वायकॉम 18 सबसे जोरदार दावेदार है क्योंकि सोनी-ज़ी तो अपने मर्जर को फाइनल करने में लगे हैं।

इसीलिए ये खबर अगर चर्चा में रही कि बीसीसीआई ने अपने आप, इन अधिकार से जोड़ने के लिए अमेज़ॅन/गूगल से संपर्क किया तो कोई हैरानी की बात नहीं। रिकॉर्ड के लिए- अमेज़न ने कुछ साल पहले भारतीय क्रिकेट में गहरी दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन फिर पीछे हट गए और पिछली बार आईपीएल के लिए बिड तक नहीं किया। गूगल ने कोई एक्टिव रूचि कभी नहीं ली पर इसके सीईओ, सुंदर पिचाई का भारत और क्रिकेट से प्रेम, उन्हें बार-बार चर्चा में ले आता है। ऐसे संकेत हैं कि दोनों ने कोई रुचि नहीं ली।

इस समय इन अधिकार में सभी की रुचि कम होना डिज्नी की हालत की बदौलत है। प्रति मैच अधिकार खरीदे 60.18 करोड़ रुपये में और कमाए अधिकतम 38-40 करोड़ रुपये तो घाटा प्रति मैच 20-22 करोड़ रुपये का। उनके अधिकार राउंड में जो 102 मैच खेले, उन से 2000-2200 करोड़ रुपये तो गंवा ही दिए। वे तो झेल गए- हर ब्रॉडकास्टर ऐसा घाटा नहीं झेल पाएगा- इसलिए अधिकार की कीमत गिरना कोई हैरानी की बात नहीं। समय बदल रहा है। कुछ दिन पहले ही तो बीसीसीआई ने जर्सी स्पांसर अधिकार बेचे तो भी कीमत गिर कर ही मिली- ड्रीम 11 ने 150 मैचों के लिए ये अधिकार सिर्फ 358 करोड़ रुपये में खरीद लिए।

इसलिए बाजार के जानकार ये अनुमान लगा रहे हैं कि बीसीसीआई को 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं मिलेंगे। ये भी तब जबकि डिज्नी ने कई भाषा में कमेंट्री, हॉटस्टार जैसा आकर्षक ओटीटी प्लेटफॉर्म और कई एंटरटेनमेंट चैनल के साथ अपने नुकसान को कम किया पर तब भी घाटा बहुत बड़ा रहा।
ऐसे में, बीसीसीआई हालात को चेतावनी की तरह ले- बात सिर्फ उन्हें मिलने वाले पैसे की नहीं है, इस प्रतिष्ठा की भी है कि उनके जो भी अधिकार खरीदो- घाटा ही होता है। इसलिए वे खुद नए ब्रॉडकास्टर को पैसा कमाने में मदद करें- उनके स्पांसर पैसा कमाएंगे/इन्वेस्टमेंट की कीमत वसूल करेंगे तभी तो भविष्य में बिड ज्यादा रकम की लगाएंगे।

चरनपाल सिंह सोबती

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