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बड़ी चर्चा हुई स्टुअर्ट ब्रॉड के रिटायर होने की- ख़ास बात ये कि अभी टीम में उनकी जगह को कोई ख़तरा नहीं था। इसलिए उन का रिटायर होना ख़ास तारीफ़ वाला रहा- डॉन ब्रैडमैन, माइक आथर्टन और ग्रीम स्वान जैसों से बिलकुल अलग जिनका करियर निराशा के साथ खत्म हुआ। युवराज, वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह जैसों से भी बिलकुल अलग जो रिटायर होने के कई साल बाद भी और खेलने की कसक में ‘गुस्सा’ हैं।

ब्रॉड की बात करें तो यूं लग रहा था कि उनके आख़िरी टेस्ट को बेहतर तरीके से कोरियोग्राफ किया गया- टेस्ट क्रिकेट में जो आखिरी गेंद (मिचेल स्टार्क की) खेली उस पर 6, जो आख़िरी गेंद फेंकी उस पर एलेक्स कैरी का टेस्ट जीतने वाला विकेट और इसी के साथ इंग्लैंड टेस्ट इतिहास में 2-0 से पिछड़ने के बाद, ऑस्ट्रेलिया से सीरीज बराबर करने वाली पहली टीम बन गई। हालांकि आख़िरी इनिंग्स में 100 या 5 विकेट का रिकॉर्ड नहीं बनाया पर चूंकि इससे पहले टेस्ट क्रिकेट में आखिरी गेंद पर 6 और विकेट का रिकॉर्ड किसी ने नहीं बनाया था इसलिए ये ग्लेमर वाले रिकॉर्ड बन गए।

दो और क्रिकेटर ने टेस्ट में आखिरी खेली गेंद पर 6 लगाया- वेस्ट इंडीज के पेसर वेन डेनियल (1983-84, पोर्ट-ऑफ-स्पेन, विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया) और ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल (2017-18, चैटोग्राम, विरुद्ध बांग्लादेश)।आसार कम हैं पर मैक्सवेल हो सकता है आगे टेस्ट खेल लें। इस लिस्ट में वेस्टइंडीज के लेग स्पिनर टॉमी स्कॉट का नाम भी जोड़ सकते हैं- 1930-31 में मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टेस्ट के आखिरी ओवर में 6 लगाया था पर उस टेस्ट का ‘बॉल बाई बॉल’ रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं इसलिए ये गारंटी नहीं कि उन्होंने किस गेंद पर 6 मारा? इनमें से किसी ने आखिरी गेंद पर विकेट नहीं लिया।

ब्रॉड संयोग से उसी ओवल में रिटायर हुए जहां लगभग 75 साल पहले, डॉन ब्रैडमैन अपनी आख़िरी टेस्ट पारी में, 100 के बल्लेबाजी औसत के साथ रिटायर होने के लिए, सिर्फ 4 रन भी नहीं बना पाए थे। एरिक हॉलीज़ की एक गुगली पर- दूसरी गेंद पर ही 0 पर बोल्ड हो गए थे। भले ही उनके 99.94 के औसत के रिकॉर्ड के करीब भी नहीं पहुंचा है कोई पर वे भी 100 की औसत दर्ज न कर पाने की निराशा के साथ रिटायर हुए।

ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने जनवरी 2004 में सिडनी में भारत के विरुद्ध 80 रन की पारी खेली और इस तरह निराशा वाली कोई बात नहीं थी पर एक अजीब बात हुई। वॉ ने, सीरीज शुरू होने से पहले कह दिया था कि 4 टेस्ट की यह सीरीज उनके लिए विदाई वाली होगी- इसका नतीजा ये रहा कि पूरी सीरीज में उनका करियर ही चर्चा में रहा और इस रिटायर होने पर इतना कुछ हुआ कि कोच जॉन बुकानन परेशान हो गए और साफ़ कहा कि टीम का ध्यान भटक गया।

इसके उलट कई चुपचाप चले गए। 2001 में द ओवल में, माइक आथर्टन ने टेस्ट में 19वीं बार ग्लेन मैकग्रा को अपना विकेट दिया और उस से पहले सिर्फ 9 रन बनाए। अगले दिन, रिटायर होने की घोषणा और बिना किसी धूम-धाम चले गए। एक और ऑस्ट्रेलियाई, रिकी पोंटिंग, अपने 38वें जन्मदिन के करीब थे। दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध अपनी आख़िरी टेस्ट सीरीज में 0,4,16, 4 और 8 रन बनाए। बाद में उन्होंने  निराशा में लिखा-‘ मेरा काम हो गया था।’ इंग्लैंड के सबसे बेहतरीन स्पिनर में से एक ग्रीम स्वान, कोहनी की परेशानी के चलते 2013-14 के नाकामयाब एशेज टूर के बीच में रिटायर हो गए- उनकी तारीफ़ करना तो भूल ही गए, उलटे उन पर डूबते जहाज को छोड़ कर भागने का आरोप लगा दिया।

वेस्टइंडीज के बल्लेबाज शिवनारायण चंद्रपॉल ने अपने बोर्ड को बता दिया था कि 2015 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध घरेलू सीरीज के बाद रिटायर होना चाहते हैं पर उस से पहले ही जब इंग्लैंड के विरुद्ध 6 इनिंग्स में एक बार भी 50 भी नहीं बनाया तो टीम में उनकी जगह पर सवाल उठने लगे और उनके पुराने योगदान को भूल कर कोच फिल सिमंस ने उनसे साफ़ कहा- बड़ी टेस्ट सीरीज में भावुकता के लिए कोई जगह नहीं है। इस पर चंद्रपॉल नाराज हो गए।

ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क बड़े चतुर निकले- 2015 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद वनडे से रिटायर हुए और समर एशेज के दौरान टेस्ट से रिटायर हुए। कुछ महीनों बाद, साफ कह दिया- रिटायर कहां हुए हैं और पैसा कमाने टी20 फ्रेंचाइजी सर्किट में शामिल हो गए।

ब्रॉड के करीबी दोस्त एलिस्टर कुक ने 2018 में द ओवल में भारत के विरुद्ध 71 और 147 के स्कोर बनाए और टॉप पर थे। भारत के लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर का रिटायर होना तो ऐसा था कि बीसीसीआई ने उनके सम्मान में वेस्टइंडीज के विरुद्ध दो टेस्ट की सीरीज आयोजित की ताकि 200 टेस्ट पर पहुंच जाएं और वे 73 के स्कोर के साथ रिटायर हुए। दक्षिण अफ्रीका के जैक्स कैलिस ने डरबन में भारत के विरुद्ध 115 रन बनाए। शेन वार्न और मैक्ग्रा इंग्लैंड को हराकर रिटायर हुए। इसलिए जरूरी नहीं कि सभी निराशा से गए।

सबसे मजेदार और ‘महान’ किस्सा इंग्लैंड की हरफनमौला खिलाड़ी एनिड बेकवेल का है- 1979 में एजबेस्टन में वेस्टइंडीज के विरुद्ध पहली पारी में 68 रन बनाए और 14 रन देकर 3 विकेट लिए। दूसरी पारी में टीम के 164 के कुल स्कोर में से 112 रन बनाए और पारी शुरू कर आखिर तक आउट न हुईं। उसके बाद मेहमान टीम के 7 विकेट लिए 61 रन देकर। ऐसा बेहतर प्रदर्शन तो ब्रॉड का भी नहीं है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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