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सब जानते हैं कि एड और ब्रांड एम्बेसडर की दुनिया में विराट कोहली कितना महंगा और बड़ा नाम है। इस संदर्भ में अब तक जब भी किसी ने उनका नाम लिखा तो यही चर्चा की कि उनके पास कितने कॉन्ट्रैक्ट हैं, नए कॉन्ट्रैक्ट में वे अपने एक दिन की कीमत क्या ले रहे हैं? इस चर्चा के बीच, आपको इस बात पर विश्वास नहीं होगा कि ब्रांड्स अब विराट कोहली को अपना ब्रांड एंबेसडर नहीं चाहते! अचानक ही ऐसा क्या हुआ कि जिस चेहरे को सबसे प्रभावशाली, महंगा और लोकप्रियता की गारंटी मानते थे- उसकी मांग कम हो रही है। ब्रांड उनमें पहले जैसी दिलचस्पी नहीं ले रहे। ऐसा क्यों?

इस साल आईपीएल के दौरान विराट कोहली को एक एसी के विज्ञापन में देखा गया- इसे जानकार हाल के सालों का, उनका सबसे ‘कम असरदार’ एड मान रहे हैं। आईपीएल  के दौरान मौसम गर्म था पर अब उस कंपनी ने भी माना है कि किसी को वह एड याद नहीं रहा यानि कि विराट कोहली के उस ब्रांड के विज्ञापन में होने के बावजूद ज्यादातर लोगों को प्रॉडक्ट की कंपनी का नाम भी याद नहीं है। एड की दुनिया के जानकारों के हिसाब से इस एड की नाकामयाबी की सबसे बड़ी वजह है- एड में कोई स्टोरी तो थी ही नहीं और सिर्फ विराट कोहली के चेहरे के सहारे एसी बेचने की कोशिश थी। अब उनके चेहरे को किस-किस प्रॉडक्ट के लिए याद रखें?

ये सच है और बहुत से प्रॉडक्ट ऐसे हैं जो अपने एड में कोई स्टोरी नहीं- सिर्फ विराट कोहली का चेहरा बेचने की कोशिश कर रहे हैं। अब विराट कोहली के चेहरे के सहारे हर प्रॉडक्ट नहीं बिक सकता- इसलिए उनका चेहरा अपनी ‘नॉवेल्टी’ खो रहा है- वह बहुत सारे एड में हैं, दर्शक उन्हें देखने के आदी होते जा रहे हैं और इसीलिए सीधे तौर पर उनका आकर्षण कम हो रहा है। नतीजा नए ब्रांड उनसे जुड़ने में कतरा रहे हैं- जो कीमत है उसके हिसाब से रिटर्न न मिलने की आशंका से ब्रांड डर रहे हैं।

विशेषज्ञ कह रहे हैं कि विराट कोहली के चेहरे ने अपनी विशिष्टता खो दी है- इसलिए उनके एड में होने के बावजूद वह एड कम असरदार रहेगा। दूसरे शब्दों में इसी को ‘ओवर एक्सपोजर’ भी कह सकते हैं। अब एड में उनका चेहरा सामने आते ही देखने वाले में वह जोश और असर नजर नहीं आता जो पहले था। इसका मतलब, हाल-फिलहाल कतई ये नहीं है कि ब्रांड ‘विराट कोहली’ खतरे में है पर ये आगे की तरफ का इशारा है।

दर्शकों ने तो हमेशा रोनाल्डो और बड़ी-बड़ी बॉलीवुड की बड़ी हीरोइन को भी नहीं झेला। एक समय आया था जब अमिताभ बच्चन को भी एड मिलना बंद हो गया था। बॉलीवुड ही सब कुछ नहीं है- तभी तो उनसे बाहर की हस्तियों को एड मिलना शुरू हुआ। इसमें भी बंटवारा सही नहीं और अगर ज्यादातर एड में विराट कोहली ही नजर आएंगे तो उन्हें कितना देखेंगे? 

ऐसे में ये सवाल जरूर उठेगा कि सचिन तेंदुलकर और एमएस धोनी को भी तो कई ब्रांड की पहचान के तौर पर देखा है और ये दोनों तो एड के जरिए सबसे ज्यादा पेमेंट लेने वाले क्रिकेटर में से रहे हैं पर फर्क है- विराट अब तक के क्रिकेटरों में सबसे प्रभावशाली हैं। लोग ग्राउंड पर और ग्राउंड के बाहर न सिर्फ उनकी क्रिकेट के लिए, उनके स्वभाव के लिए भी उन्हें पसंद करते हैं। वह मिजाज में तेंदुलकर और धोनी से बिलकुल अलग हैं- ये दोनों शांत और सुशील जबकि विराट जोशीले और हर जगह ऐसे ही।

तो क्या करें? माहिर कहते हैं कि ऐसे में विराट एड के लिए सही ब्रांड चुनें- ऐसे जो उनके व्यक्तित्व के अनुरूप हों। इससे एड बनाने वालों को भी स्टोरी बनाने में मदद मिलती है। जब ढेरों ब्रांड के ब्रांड एंबेसडर हों तो उसमें प्रॉडक्ट दब जाता है और एड में कोई नवीनता नहीं आ पाती- ऐसे कैंपेन के हिट होने की उम्मीद तो छोड़ ही दीजिए।
 
इस संदर्भ में, सबसे अच्छा उदाहरण नॉइज़ का नया एड है जिसमें विराट छोले भटूरे के साथ एक ‘चीट डे’ का मजा ले रहे हैं। एक तरफ वे अपनी फिटनेस पर मेहनत के लिए मशहूर हैं तो दूसरी तरफ राम के छोले भटूरे के लिए उनके मुंह में पानी आने की कहानी सब जानते हैं। इस तरह एक ऐसी स्टोरी उठा ली एड के लिए जिससे सीधे विराट जुड़ते हैं।  एड हिट हो गया। इसी तरह से टू यम्म स्नैक्स का एड। जो विराट को जानते हैं उन्हें मालूम है वह अब किसी भी ऐसी चीज़ को बढ़ावा नहीं देते जो हेल्थ के लिए सही न हो- इसलिए अगर विराट इन्हें ‘हेल्दी चिप्स’ कह रहे हैं तो बात विश्वास करने योग्य है। इस तरह स्टोरी खुद विराट ने दे दी। 

विराट+अनुष्का की जबरदस्त ब्रांड वैल्यू सब जानते हैं। दोनों पहली बार,सचमुच एक विज्ञापन शूट पर ही मिले थे। तब से, भारत में किसी अन्य पावर कपल के मुकाबले उन्होंने सबसे ज्यादा एड किए हैं। मान्यवर-मोहे ने सही मौके पर, उनकी शादी से ठीक पहले, एड जारी किए जो जबरदस्त हिट रहे और इन एड को तो इस जोड़े के जल्द ही शादी के बंधन में बंधने की खबर मान लिया गया। इन एड का सीक्वल, उनकी शादी की पहली सालगिरह से ठीक पहले आया- उसमें दोनों के बीच नोक-झोंक थी जो शादी के साल बाद एक आम बात है। मान्यवर ने सही स्टोरी को पकड़ा! ये है जरूरत और जो सिर्फ विराट कोहली का चेहरा चाहते हैं ब्रांड एंबेसडर के तौर पर- उन्हें दिलचस्पी कम है।

2021 में टी20 वर्ल्ड कप में जब भारत न्यूजीलैंड से दूसरा मैच हार गया तो एक तरह से टूर्नामेंट से बाहर हो गया था। वह 31 अक्टूबर का दिन था। एक तरफ भारत मैच हारा और उसी क्षण स्टार स्पोर्ट्स पर लाइव टेलीकास्ट के बीच, अचानक ही मुस्कुराते विराट कोहली का चेहरा टीवी स्क्रीन पर आ गया और वे एक भड़कीली पीली शर्ट हिलाते और नाचते हुए, सभी से कहते हैं- चलो डिजिट डांस करते हैं …। इससे ज्यादा और गलत क्या हो सकता था- उस एड ने, उस मुकाम पर मानो ब्रांड कोहली का कत्ल कर दिया हो।

उस समय पूरा देश अपने वर्ल्ड कप जीत के सपने को निराशा के साथ टूटते देख रहा था- कई आंख में आंसू भी थे और यहां हारने वाला कप्तान, एक ब्रांड के एड में झूम रहा था- उसे तो इस एड से करोड़ों रुपये मिल गए घर के लिए पर भारतीय प्रशंसकों ने जो प्यार और स्नेह दिया उसका क्या हुआ? कई लोगों के लिए, एड में खुश विराट कोहली का नाचना खुलेआम भारतीय क्रिकेट से धोखा था। ब्रांड कोहली की कमर्शियल कामयाबी उनके लिए एंटी पब्लिसिटी बनने लगी है।

कौन बदल सकता है इस छवि को- और कोई नहीं खुद विराट कोहली। ब्रांड कोहली ओवर एक्सपोज़्ड है। निंदा करने वालों ने पहले ही कहना शुरू कर दिया है कि यह ब्रांड कोहली के अंत की शुरुआत है। अगर ब्रांड कोहली को लंबे समय तक जीवित रहना है और चमकना है, तो उनके ब्रांड को कंट्रोल करने वाले समझ लें- ‘लैस इज मोर (कम होना ही बहुत ज्यादा है) वाली कहावत सही है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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