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पिछले कुछ दिनों में, भारत में सबसे बड़ी खबर चंद्रयान 3 मिशन है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस सफल प्रोजेक्ट में शामिल महिला साइंटिस्ट की गिनती, पुरुष साइंटिस्ट से ज्यादा है और ये देश के लिए बड़े गर्व की बात है। तो क्यों न बीसीसीआई ने 2023 वर्ल्ड कप का शेड्यूल बनाने का काम काव्य मारन और नीता अंबानी जैसी क्रिकेट से जुड़ी महिलाओं को दे दिया क्योंकि सौरव गांगुली, जय शाह और रोजर बिन्नी की टीम कई महीने का समय होने के बावजूद ऐसा वर्ल्ड कप शेड्यूल नहीं बना सकी जिसे समय पर रिलीज करते और बदलने की नौबत न आती। ज़रा देखिए-

  • 27 जून- वर्ल्ड कप प्रोग्राम की घोषणा
  • 26 जुलाई- गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन ने नवरात्रि के कारण प्रोग्राम में बदलाव का अनुरोध किया
  • 5 अगस्त- क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल ने काली पूजा के कारण प्रोग्राम में बदलाव का अनुरोध किया
  • 9 अगस्त – संशोधित वर्ल्ड कप प्रोग्राम की घोषणा 
  • 20 अगस्त – हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन ने सुरक्षा कारणों से प्रोग्राम में बदलाव का अनुरोध कियाये सब क्या है?

ज्यादा पीछे नहीं जाते और पिछले दो वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप के शेड्यूल की तारीख नोट कीजिए- इंग्लैंड एंड वेल्स (2019) ने वर्ल्ड कप शेड्यूल, पहले मैच से 13 महीने पहले 26 अप्रैल, 2018 को रिलीज किया जबकि ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड (2015) ने टूर्नामेंट शेड्यूल 30 जुलाई, 2013 को रिलीज किया यानि कि पहले मैच से 18 महीने पहले। बीसीसीआई ने 2023 वर्ल्ड कप के शेड्यूल में ऐसा क्यों नहीं किया?

इतने बड़े इवेंट के आयोजन का अनुभव नहीं है क्या? ऐसा नहीं है- 1987, 1996 और 2011 में वर्ल्ड कप को-होस्ट थे और इस बार तो अन्य दूसरे को-होस्ट से दिक्कत वाली बात भी नहीं थी। किसी सरकारी रुकावट का भी जिक्र नहीं हुआ। तब भी 27 जून को, वर्ल्ड कप शुरू होने से 100 दिन पहले शेड्यूल जारी कर पाए। कई तारीख निकल गईं शेड्यूल जारी करने की- यहां तक कि जय शाह ने तो ओवल में डब्ल्यूटीसी फाइनल के दौरान शेड्यूल जारी करेंगे की स्टेटमेंट भी दी थी पर ऐसा नहीं हुआ। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने जो किया उस पर ध्यान देने की कोई जरूरत ही नहीं थी क्योंकि पीसीबी ने वनडे वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने के ‘पार्टिसिपेशन एग्रीमेंट’ पर बहुत पहले साइन कर दिए थे और इसके बाद वे खेलें या न खेलें- ये उनकी परेशानी था।  

पूरी क्रिकेट की दुनिया में वर्ल्ड कप शेड्यूल को लेकर बीसीसीआई की कोई अच्छी छवि नहीं बनी और बीसीसीआई को सबसे ज्यादा पैसे वाले बोर्ड की तारीफ़ तो मिल रही है पर सबसे बेहतर काम करने वाले बोर्ड के तौर पर नहीं। कैसा मजाक है ये कि भारत-पाकिस्तान अहमदाबाद मैच के दिक्कत वाले और महंगे इंतजाम से संभले भी नहीं थे चाहने वाले कि तारीख बदल गई। काश बीसीसीआई ने हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के अनुरोध पर, जो बदलाव न करने की जो हिम्मत दिखाई- वैसा पहला करते तो ऐसा मजाक न बनता।

बात साफ़ है कि आख़िरी प्रोग्राम पर बीसीसीआई ने वह मेहनत नहीं की जो जरूरी थी। जब आईसीसी ने वर्ल्ड कप भारत को दिया था तो उस शेड्यूल में इसका आयोजन फरवरी- मार्च 2023 में होना था। तारीख भी तय हो गई थीं पर कोरोनोवायरस ने क्रिकेट कैलेंडर खराब कर दिया और वर्ल्ड कप लगभग 6 महीने हिल गया। इतना समय होने के बावजूद, प्रोग्राम बनाने वाली कमेटी यह तक नहीं देख पाई कि देश में अलग-अलग हिस्सों में त्यौहार की तारीखें क्या हैं? बीसीसीआई के पास शेड्यूल की तारीखों पर होम वर्क का पूरा समय था जो किसी ‘हमेशा लापरवाह’ बच्चे की तरह नहीं किया- हैरानी है कि अहमदाबाद में वर्ल्ड कप के मैच की तारीख तय करते हुए गुजरात के नवरात्रि त्यौहार की तारीख नोट नहीं की। कोई भी शेड्यूल बनाते हुए हमेशा ध्यान रखा जाता है कि मैच का किसी अन्य बड़े या लोकल आयोजन से टकराव न हो।

वर्ल्ड कप एक बड़ा आयोजन है जिसमें लाखों डॉलर खर्च होते हैं- स्पांसर को भी अपनी मार्किटिंग स्कीम बनाने और लॉन्च करने के लिए समय  चाहिए- तारीखें तय नहीं तो उनकी मेहनत बेकार हो रही है। अधूरे होम वर्क में दो काम और हैं- ई टिकट का इस सदी में भी बीसीसीआई ने इंतजाम नहीं किया और आईसीसी के लिए इस आयोजन की टैक्स रियायत की फाइल की धूल भी नहीं हटाई। बीसीसीआई सेक्रेटरी का एक ‘यादगार आयोजन’ का वादा आगे क्या रंग दिखाएगा?

– चरनपाल सिंह सोबती

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