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देबाशीष मोहंती और अबे कुरुविला के साथ मिलकर क्रिकेटर चेतन शर्मा की अध्यक्षता वाली सेलेक्शन कमेटी ने दक्षिण अफ्रीका में 3 टेस्ट की सीरीज के लिए जो टीम चुनी उसमें विकेटकीपर ऋषभ पंत और रिद्धिमान साहा हैं। एक आम अनुमान के अनुसार, इसमें कुछ भी गलत नहीं। फिर भी इसके विश्लेषण की जरूरत है।

अभी ख़त्म हुई न्यूजीलैंड के विरुद्ध सीरीज में सेलेक्टर्स ने पंत को ‘रेस्ट’ दिया और विकेटकीपिंग ड्यूटी साहा के पास थी। पहले टेस्ट के तीसरे दिन की शुरुआत : गर्दन में अकड़न के कारण साहा फिट नहीं और उनकी गैरमौजूदगी में केएस भरत ग्राउंड पर आए।

साहा की उम्र 37 साल और फिटनेस के मामले में कोई बहुत अच्छा रिकॉर्ड नहीं। उस पर इस कानपुर टेस्ट की पहली पारी में सिर्फ 1 रन बनाया- सच ये कि पिछले कुछ समय से बहुत अच्छी फॉर्म में नहीं हैं। अपने 11 साल के इंटरनेशनल करियर में रिद्धिमान साहा की सबसे बड़ी पूंजी रही है शानदार कीपिंग जो अभी भी बेदाग़ है लेकिन हुआ ये कि सब्स्टीट्यूट कीपर के तौर पर श्रीकर भरत ने जिस तरह, बिना ख़ास प्रेक्टिस, ग्लव्स को संभाला- वह बंगाल के विकेटकीपर की नींद हराम करने के लिए बहुत था ।

भरत ने 85.3 ओवर स्टंप्स के पीछे ड्यूटी दी- दो कैच और एक स्मार्ट रिफ्लेक्स स्टंपिंग। उनकी उम्र : 28 साल और कुछ तो है तभी तो पिछले लगभग तीन साल से इंडिया ए के नियमित कीपर हैं। खेल शुरू होने से सिर्फ 10 मिनट पहले अचानक ही उन्हें बताया गया ग्राउंड में जाने के लिए- एक बड़े मैच के लिए इसे कौन सही तैयारी कहेगा? तब भी हर किसी ने आंध्र के इस विकेटकीपर की जमकर तारीफ की। अश्विन और अक्षर की स्पिन पर विकेटकीपिंग आसान नहीं थी। इस सबके बावजूद उनके रिकॉर्ड में इन दो कैच और एक स्टंप का कहीं जिक्र नहीं होगा।

भरत का रिकॉर्ड : 78 फर्स्ट क्लास मैच, 4283 रन, 9 सेंचुरी, 37.24 औसत- साथ में 270 कैच और 31 स्टंप। टॉप स्कोर- गोवा के विरुद्ध 308 रन (रणजी में ऐसा करने वाले पहले विकेटकीपर बल्लेबाज), ओपनर थे और लगभग साढ़े आठ घंटे क्रीज पर रहे। उसके बाद दो पारियों में 130 से ज्यादा ओवरों के लिए विकेटकीपिंग करते हुए 8 आउट में योगदान। चूंकि ओपनर हैं- इसलिए टीम को एक और विकल्प भी मिलता है।

जो बंगाल क्रिकेट से जुड़े हैं और रिद्धिमान को अंडर-19 और अंडर-22 खेलने के समय से अब तक देखा है, उन्हें लगता है कि साहा की सबसे बड़ी कमी है अपनी टेलेंट में नयापन लाने की कोशिश न करना। चूंकि सिर्फ एक तरह की क्रिकेट खेलते हैं, जब भी बंगाल का कप्तान बनने के लिए कहा गया- हमेशा यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सिर्फ अपने खेल पर ध्यान लगाना चाहते हैं। जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है, जैसे 2007 में हैदराबाद के विरुद्ध पहली बार रणजी ट्रॉफी में खेले, उसमें थोड़ा भी सुधार नहीं और ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर तकनीकी खामियां अभी भी मौजूद हैं। साहा- पुराने स्कूल के कीपर जिनके लिए कीपिंग पहले, बल्लेबाजी बोनस। टीम इंडिया में भी कुछ समय पहले तक रवींद्र जडेजा से पहले बैटिंग करते थे- अब उनसे नीचे।

ये सब लिखने का मतलब ये नहीं कि उनके योगदान को नज़रअंदाज़ कर दें- टीम जानती है कि वह विश्व स्तरीय कीपर हैं। महेंद्र सिंह धोनी के बाद टेस्ट में जिस तरह ग्लव्स को संभाला उसने, कुछ हद तक, धोनी की कमी महसूस नहीं होने दी। गड़बड़ हुई बैटिंग में- न वे धोनी बने और न ही एक सेशन में मैच का नजारा बदलने वाले ऋषभ पंत। फिर भी अपनी सीमित योग्यता में 40 टेस्ट में 1353 रन बनाए 29.41 औसत से जिसमें 3 सेंचुरी। इतना ही नहीं, न्यूजीलैंड के विरुद्ध जिस सीरीज का जिक्र हो रहा है, उसमें कानपूर की दूसरी पारी में कीमती 61* बनाए और जब मुंबई में पिच पर टिकना जरूरी था तो 106 मिनट में 27 रन बनाए।

सच ये है कि मुंबई टेस्ट के लिए ही साहा की जगह भरत को खिलाने की चर्चा शुरू हो गई थी। कानपुर में भरत ने दिखा दिया कि वे सीनियर क्रिकेट के लिए तैयार हैं। एक बड़े मजेदार रिकॉर्ड पर किसी ने ध्यान नहीं दिया : भरत ने टॉम लैथम को स्टंप किया- क्या इससे पहले किसी सब्स्टीट्यूट ने टेस्ट में कोई स्टंप आउट किया है? सच ये है कि श्रीकर भरत ये रिकॉर्ड बनाने वाले तीसरे विकेटकीपर हैं। उनसे पहले :

  • 1909-10 में डरबन में इंग्लैंड के विरुद्ध दूसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीकी सिबली “टिप” स्नूक को नेविल टफनेल ने स्टंप किया (हर्बर्ट स्ट्रडविक के चेहरे पर चोट लगी थी)। टफ़नेल ने तब तक कोई टेस्ट नहीं खेला था लेकिन उसी सीरीज के केपटाउन टेस्ट में डेब्यू किया।
  • लाहौर में 1964-65 में न्यूजीलैंड के बेवन कांगडन ने पाकिस्तान के विरुद्ध बीमार आर्टी डिक की जगह कीपिंग करते हुए परवेज सज्जाद को स्टंप आउट किया- मैच की आखिरी गेंद पर। न्यूजीलैंड के कप्तान जॉन रीड ने भी पहले इसी पारी में विकेटकीपिंग की थी और स्टंप्स के पीछे दो कैच लिए।

बहरहाल केएस भरत को मुंबई में टेस्ट कैप नहीं मिली। अब ऋषभ पंत टीम के नंबर 1 विकेटकीपर के तौर पर लौट आए हैं और अगर सब सही रहा तो दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट में वे विकेटकीपिंग करेंगे न कि साहा। इसका मतलब साहा नंबर 2 और बेंच पर बैठेंगे। इस तरह 28 साल के भरत को 24 साल के पंत और 37 साल के साहा ने टीम से बाहर कर दिया। सवाल ये है कि उम्र को देखते हुए, साहा कब तक नंबर 2 के तौर पर टीम के साथ रहेंगे? अगर एमएस धोनी नहीं होते तो साहा कहीं ज्यादा टेस्ट खेलते पर अब भविष्य को देखना है।

टीम के साथ अंडर स्टडी के तौर पर भरत को मौका देना,अब टीम के ज्यादा काम आएगा- ठीक वैसे ही जैसे बार बार पार्थिव पटेल या दिनेश कार्तिक को मौका देते रहने से कोई फायदा नहीं हुआ। पंत के विकल्प के तौर पर उसे तैयार करना भारतीय क्रिकेट के लिए ज्यादा फायदे वाला होगा। साहा टेस्ट में गज़ब के विकेटकीपर हैं पर अगर न्यूजीलैंड के विरुद्ध भी अगर सेलेक्टर्स पंत को ‘रेस्ट’ न देते तो क्या साहा खेलते?

दक्षिण अफ्रीका में पंत के लिए बैक-अप के साथ साथ भविष्य के लिए लाइन अप भी स्पष्ट हो जाती। ये होना तो है ही- सिर्फ ऐसी देरी की जिससे कोई फायदा नहीं होगा।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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