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2023 वर्ल्ड कप के मैच जब बांटे गए तो वे स्टेडियम भी चर्चा में आए जिन्हें मैच नहीं मिले। एक स्टेडियम ऐसा है जिसका न तो इस मौके पर जिक्र हुआ और न ही पिछले कुछ साल से जिक्र हुआ जबकि यहां वनडे इंटरनेशनल खेले जाते थे। बीसीसीआई के पास पैसा आने के बाद न सिर्फ मौजूदा स्टेडियम की हालत में सुधार हुआ, नए स्टेडियम भी बने पर इस स्टेडियम के साथ तो उलटा हुआ। ये आज अपनी पहचान के लिए तरस रहा है और भारत के नए क्रिकेट प्रेमियों को तो शायद इसका नाम भी मालूम नहीं होगा- ये है फ़रीदाबाद (हरियाणा) का नाहर सिंह स्टेडियम (इसे ही पहले मयूर स्टेडियम कहते थे)। यहां आखिरी बार मार्च 2006 में कोई ऑफिशियल मैच खेले थे- इंग्लैंड के विरुद्ध वनडे इंटरनेशनल जिसे मेजबान टीम ने 4 विकेट से जीता था। 2007 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध मैच मिल रहा था पर राजनीति ने मैच ट्रांसफर करा दिया- मैच मिला चंडीगढ़ के सेक्टर-16 स्टेडियम को और उस दिन से खुद हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन के सौतेले व्यवहार का शिकार होता गया ये स्टेडियम।

कई ख़ास यादें हैं नाहर सिंह स्टेडियम की-

  • 22 नवंबर 1982 से पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेले
  • जनवरी 1987 में इंडियन बोर्ड प्रेसीडेंट्स इलेवन-पाकिस्तान अंडर-25 मैच खेले।
  • नवंबर 1988 में, हरियाणा के खिलाड़ी सरकार तलवार और स्पिनर राजिंदर गोयल न्यूज़ीलैंड-नार्थ जोन मैच में खेले थे।
  • ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट स्टार एडम गिलक्रिस्ट और वेस्टइंडीज के दिग्गज चंद्रपाल ने यहीं डेब्यू किया।
  • कपिल देव ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच यहीं खेला।
  • मशहूर स्कूप शॉट यहां के एक मैच से ही चर्चा में आया था- जिम्बाब्वे के डगलस मैरिलियर ने 2002 में इसी से भारत से जीत को छीन लिया था।

असल में इस स्टेडियम को भी नए सिरे से बनाने का प्रोजेक्ट तो शुरू हुआ था पर 4 साल से भी ज्यादा हो गए और काम अभी भी अधूरा पड़ा है। कुछ फैक्ट :

  • 1981 में बना था स्टेडियम। 1986 में, तब मुख्यमंत्री भजन लाल ने मंजूरी दी तो पहला रिनोवेशन हुआ और ये बन गया  25,000 सीट का- एक समय इसे भारत के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में से एक गिनते थे।
  • सब आधुनिक सुविधाएं थीं यहां। 3 प्रैक्टिस और 6 सेंट्रल पिच थीं। बड़ा पवेलियन, प्रेस बॉक्स, कमेंटेटर बॉक्स, प्रेसीडेंट्स बॉक्स, मीडिया बॉक्स, अंपायर रूम, एक रेस्तरां, एक हेल्थ क्लब, एक आउटडोर टेनिस कोर्ट, एक कार्ड रूम, एक बिलियर्ड रूम और एक अच्छी कॉफ़ी शॉप- सब थे यहां। बड़ी पार्किंग और ख़ास तौर पर 2 व्हीलर के लिए अलग से स्टैंड।
  • 1982 से 2006 के बीच यहां 8 वनडे और 50+ रणजी/देवधर ट्रॉफी जैसे मैच खेले और देश के टॉप स्टेडियम में से एक था।
  • 2007 में तय किया कि आउटफील्ड और पिच नए सिरे से बनाने की जरूरत है।

आज स्टेडियम की हालत बताते हुए लिखते हैं कि ये किसी कब्रिस्तान जैसा दिखता है- टूटी दीवारें, सीढ़ियां और सीटें। चारों तरफ मलबा, गंदगी और सूखी घास- बस और कुछ नहीं। अंदाजा लगाइए- दर्शकों के स्टैंड में और आसपास पेड़ उग आए हैं। यहां टीम इंडिया ने 6 इंटरनेशनल खेले और जिम्बाब्वे और इंग्लैंड के विरुद्ध तो बड़ी रोमांचक जीत हासिल की- आज वहां इनकी याद का कोई संकेत नहीं मिलता बल्कि एक भयानक नजारा और धूल है।

पहले तो क्रिकेट की पॉलिटिक्स ने इस स्टेडियम से मैच छीने और मैचों के बिना ग्राउंड और पिच बेकार होते गए। तब पूर्व भारतीय स्टंपर विजय यादव यहां चीफ क्यूरेटर थे और वे कहते हैं कि मैचों के बिना ग्राउंड को टॉप हालत में रखना बड़ा मुश्किल हो गया था।

स्टेडियम वास्तव में सरकार का है- हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन के पास लीज पर है और वे रखरखाव करते थे और अपने हिस्से के मैच आयोजित करते थे। जब धीरे-धीरे ग्राउंड की हालत खराब होती गई तो इसे नए सिरे से बनाने का फैसला हुआ। तय हुआ-

  • दर्शकों की क्षमता 40,000 करेंगे।
  • नई बिल्डिंग बनाएंगे।
  • काम जनवरी 2019 में शुरू हुआ- 2022 तक पूरा करना था। इस हिसाब से ये 2023 वर्ल्ड कप मैच के लिए दावेदार होता।
  • खर्चा था- 123 करोड़ रुपये का।
  • तय समय, चार साल में तो पहले राउंड का सिर्फ 85% काम हुआ।  इस देरी से बजट बढ़कर हो गया 222 करोड़ रुपये।
  • काम पूरा करने की नई तारीख थी 31 मार्च 2023 और उसे भी निकले कई महीने हो गए। अब कह दिया है कि 2023 में तो ये काम पूरा नहीं हो पाएगा।
  • देरी की वजह- कोरोनो वायरस महामारी तो है ही, वास्तव में गलत स्कीम/प्रोजेक्ट और काम का तरीका तथा सोने पर सुहागा ये कि जब पैसे मांगते तो देरी और खराबी कर देती।
  • अब 99 करोड़ रुपये की और जरूरत है काम पूरा करने के लिए।
  • स्टेडियम की ये हालत देखकर अक्टूबर 2016 में ‘ब्रिंग बैक क्रिकेट इन नाहर सिंह स्टेडियम, फ़रीदाबाद’ नाम से एक फेसबुक ग्रुप बना और अब इसी से स्टेडियम से जुड़ी ख़बरें मिलती हैं। ग्रुप के इंट्रो में साफ़ लिखा है- 2006 के बाद से घटिया राजनीति के कारण यहां कोई मैच नहीं हुआ लेकिन लोगों की भावनाएं अभी भी इससे जुड़ी हुई हैं।

तो नाहर सिंह स्टेडियम के लिए भविष्य क्या है- कोई नहीं जानता।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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