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संयोग से एक तरफ 2023 क्रिकेट वर्ल्ड कप के भारत में आयोजन की चर्चा है तो दूसरी तरफ 1987 में एशिया में पहली बार आयोजित हुए वर्ल्ड कप से जुड़ी एक हस्ती ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के भूतपूर्व चीफ इजाज बट की बात कर रहे हैं- वे 85 साल के थे। जन्म 1938 में सियालकोट में। उनके जिक्र में उनके, बोर्ड के लिए अलग-अलग पोस्ट पर किए काम के जिक्र में कोई ये याद ही नहीं रखता कि वे 1959 और 1962 के बीच विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर 8 टेस्ट भी खेले- 279 रन बनाए जिनमें एक 50 भी था।1962 में इंग्लैंड टूर पर भी गए और वहां केंट के विरुद्ध मैच में लंच से पहले 100 बना दिया था। उस समय पाकिस्तान के पास इम्तियाज अहमद भी थे और यही वजह है कि बट सिर्फ 8 टेस्ट ही खेले। उन कुछ गिने-चुने क्रिकेटरों में से एक जो उन सालों में क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में आए।

इस समय पीसीबी मैनेजमेंट कमेटी के चीफ जका अशरफ ने पीसीबी की ओर से, उन्हें याद किया और संयोग से, यही अशरफ 2011 में पीसीबी चीफ के तौर पर बट की जगह आए थे। 1987 वर्ल्ड कप के कामयाब आयोजन में एक सबसे ख़ास फेक्टर था दोनों मेजबान देशों के बीच आपस में सहयोग- कोशिश मुश्किल बढ़ाना नहीं, उसका रास्ता निकालने की होती थी। इस संदर्भ में, तब के पीसीबी सेक्रेटरी बट का क्रिकेट को जानना बड़े काम आया था- वे कप की आयोजन कमेटी में थे और क्रिकेट मामलों पर बीसीसीआई उनसे बात करता था।

इसके बावजूद, अगर इजाज बट का एक क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर, कुल मिलाकर, दौर देखें तो कुछ और ही तस्वीर सामने आती है- विवाद, झगड़े, मुश्किलें और ये सब इतने ज्यादा कि 1987 में जो किया वह तो किसी को याद भी न रहा। उन्हें 2008 में, पाकिस्तान के उस समय के प्रेसीडेंट आसिफ अली जरदारी ने पीसीबी चीफ बनाया। सबसे ज्यादा तो वे स्पॉट फिक्सिंग कांड (जिसमें 3 पाकिस्तानी खिलाड़ियों- सलमान बट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर पर प्रतिबंध लगा) की वजह से चर्चा में रहे। दूसरी तरफ, मैच फिक्सिंग से इनकार पर उन पर ‘दोगलेपन’ का आरोप लगा। जो उनके साथ हुआ- वह शायद ही किसी देश के क्रिकेट बोर्ड चीफ के साथ किसी दूसरे देश ने किया हो।

ये सितंबर 2010 की बात है। ओवल में इंग्लैंड-पाकिस्तान वनडे इंटरनेशनल के बाद उन्होंने इंग्लिश टीम पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा दिया। जब ये मामला तूल पकड़ गया तो उनसे सबूत मांगा, सबूत न देने पर कोर्ट में घसीटने की धमकी दी तो उन्होंने अपने आरोप से ही इनकार कर दिया। बीबीसी को एक इंटरव्यू में कहा- ‘मैंने कोई आरोप नहीं लगाया है और न ही मेरे पास कोई सबूत है।’

पाकिस्तान क्रिकेट के जानकार, असल में अगस्त 2008 में बट को नसीम अशरफ की जगह बोर्ड चीफ बनाना ही गलत मानते हैं और इसकी दो वजह थीं- एक तो 70 साल की उम्र और दूसरे ये कुर्सी मिलने में डिफेंस मिनिस्टर अहमद मुख्तार के साथ नजदीकी का आरोप। वहीं से उनकी मुश्किलें शुरू हुईं- अपनी बात ही याद नहीं रहती थी, इसीलिए अपनी बात से बदल जाते थे। यहां तक कि आईसीसी को भी नाराज किया- लंदन में आईसीसी की एक मीटिंग में जो अंदरूनी बातें सुनीं (जो मीटिंग का हिस्सा नहीं थीं)- पाकिस्तान लौट कर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और सब बता दिया। आईसीसी से उस शर्मिंदगी का जवाब नहीं दिया गया। 

ये किस्सा चल ही रहा था कि सीनियर टीम के कोच ज्योफ लॉसन (ऑस्ट्रेलिया) पर अपना सुर बदल दिया। पहले तो कहा कि उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू करेंगे और कुछ ही घंटों बाद उनकी छुट्टी कर दी। बाकी की कसर मार्च 2009 में श्रीलंका टीम पर आतंकी हमले ने पूरी कर दी- तब बोर्ड चीफ वे ही थे। एक तरफ तो विदेशी मेहमानों के साथ जो हुआ उसकी बदनामी पाकिस्तान झेल रहा था और दूसरी तरफ वे मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड से झगड़ा ले बैठे- उन पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया। अपने सुरक्षा इंतजाम को सही बताने में उनकी दलील थी- ये बेहतर थी इसीलिए कोई भी खिलाड़ी नहीं मरा। जो गंभीर रूप से घायल हुए, उन्हें वे भूल ही गए।

किस्से खत्म कहां हुए? पाकिस्तान टीम के एक ऑस्ट्रेलिया टूर में निराशाजनक खेल के बाद मैच फिक्सिंग के आरोप को लगाकर खुद को मुश्किल में डाल लिया। बहुत से जानकार ये भी मानते हैं कि पाकिस्तानी क्रिकेटरों के आईपीएल में न खेलने के लिए वे बहुत कुछ जिम्मेदार हैं। उन दिनों आतंकी हमलों की वजह से माहौल बड़ा नाजुक था और यहां बड़ा जरूरी था कि जो बोलो, संभल कर बोलो- वे इस मामले में ललित मोदी से फोन पर जो प्राइवेट बात करते थे, उसे भी वहां प्रेस को बता देते थे। बात बिगड़ गई।

बट का सब बता देना उनके लिए स्पष्टवादी हो सकता है पर मीडिया को इस से मजेदार स्टोरी मिलती रहीं और सब ने उन्हीं को निशाने पर लिया। कई अच्छे काम भी किए- खर्चा बचाने के लिए, बोर्ड में काम कर रहे स्टाफ की गिनती 800 से घटाकर 300 कर दी। टीवी अधिकार से बोर्ड के लिए पैसा वसूलने में माहिर साबित हुए। ये सब उनके नाम के साथ जुड़े विवाद में कहीं चर्चा में नहीं आता। पाकिस्तान क्रिकेट की पिछले कुछ सालों की हर बड़ी स्टोरी में उनका नाम है- 1986 से 2011 तक बोर्ड में उनके 25 साल पाकिस्तान क्रिकेट के सबसे चर्चित और विवादस्पद साल रहे।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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