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संयोग किसी भी खिलाड़ी के जीवन में बड़ी ख़ास भूमिका निभाते हैं। कुछ ही घंटे पहले दक्षिण अफ्रीका टूर से लौटे जिस प्रियांक पांचाल ने अपने बैग भी सही तरह नहीं खोले थे- उसे फिर से दक्षिण अफ्रीका जाने का आर्डर मिल गया। फिर भी वह बड़ा खुश था क्योंकि जिस मौके का इंतजार लंबे समय से था, वह आ गया था- लौटे थे इंडिया ए के क्रिकेटर के तौर पर, अब गए सीनियर इंडिया के क्रिकेटर के तौर पर यानि कि प्रमोशन। चोटिल रोहित शर्मा आउट और प्रियांक इन। मौका बन गया प्रियांक के लिए।

टीम इंडिया का पिछला ऑस्ट्रेलिया टूर इस बात का गवाह है कि कोई नहीं जानता कि कब, किसे टेस्ट खेलने का मौका मिल जाए। हाल फिलहाल प्रियांक को मालूम है कि रोहित शर्मा और शुभमन गिल के टूर टीम में न होने के बावजूद वे रिजर्व ओपनर ही हैं क्योंकि पहली पसंद लोकेश राहुल और मयंक अग्रवाल होंगे ओपनर जोड़ी के तौर पर। फिर भी सीनियर टीम के दरवाजे पर दस्तक देते देते अब सीनियर टीम में जगह मिली है। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब रोहित शर्मा की जगह लेने के लिए प्रियांक के नाम की घोषणा हुई तो ज्यादातर लोगों ने पूछा था- ये प्रियांक कौन है?

आज घरेलू क्रिकेट के सबसे कामयाब क्रिकेटरों में से एक हैं प्रियांक पर सीनियर स्तर पर इतनी ज्यादा क्रिकेट हो रही है कि घरेलू क्रिकेट के बेहतर प्रदर्शन भी ज्यादा याद नहीं रहते। ख़ास तौर पर जो आईपीएल न खेल रहा हो- उसका नाम तो बिलकुल भी चर्चा में नहीं आता। तब भी, उनका इंडिया ए के कप्तान के तौर पर दक्षिण अफ्रीका टूर पर जाना इस बात का सबूत है कि वे टीम इंडिया की बेंच स्ट्रेंथ में एक ख़ास नाम थे।

विराट कोहली के नए टेस्ट उप-कप्तान बनने के कुछ दिनों बाद ट्रेनिंग सेशन के दौरान रोहित शर्मा को बाएं हैमस्ट्रिंग में चोट लग गई और उनकी जगह लेने के लिए, दक्षिण अफ्रीका टूर में तीन टेस्ट की सीरीज के लिए प्रियांक पांचाल को टीम में शामिल कर लिया। तो कौन हैं ये प्रियांक पांचाल? गुजरात के दाएं हाथ के ओपनर बल्लेबाज कोई नए क्रिकेटर नहीं- 31 साल के हैं, 13 साल से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल रहे हैं और उम्र में लोकेश राहुल और मयंक अग्रवाल से भी बड़े।

पांचाल के करियर का सबसे अच्छा परिचय 2016-17 रणजी ट्रॉफी सीजन है – इस के बाद से वे सेलेक्टर्स के रडार पर हैं। कई साल के इंतजार और कड़ी मेहनत के बाद दक्षिण अफ्रीका में चमकने का मौका मिला और अब सीनियर टीम में सेलेक्शन।

पिछले लगभग पांच साल से गुजरात और इंडिया ए के लिए लगातार रन बना रहे हैं पर टेस्ट क्रिकेट में शामिल होने के सबसे करीब अब हैं। अब तक तो टीम के दरवाजे पर दस्तक ही दे रहे थे। मसलन इस साल के शुरु में भी वे इंग्लैंड के विरुद्ध अपनी पिचों पर सीरीज के लिए टीम पूल का हिस्सा थे लेकिन पहले से रोहित, शुभमन गिल और अग्रवाल के मुख्य सेट-अप में होने से उन्हें मौका कहाँ से मिलता? सीरीज के जब आखिरी दो टेस्ट अहमदाबाद में थे तो पांचाल को विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने के लिए रिलीज कर दिया था।

दक्षिण अफ्रीका टूर पर दक्षिण अफ्रीका ए के विरुद्ध 3 चार दिवसीय मैचों में से पहले दो में इंडिया ए के कप्तान और इसी टूर के दौरान अपना 100 वां फर्स्ट क्लास मैच भी खेला। युवा देवदत्त पडिक्कल को कुछ गेम-टाइम देने के लिए तीसरे और आख़िरी मैच में नहीं खेले पर जितना खेले, वही सेलेक्टर्स के लिए रोहित की जगह के लिए प्रियांक को चुनने के लिए बहुत था।टूर में- दक्षिण अफ्रीका ए के विरुद्ध ‘टेस्ट’ में 40 की औसत से 120 रन जिसमें एक स्कोर ब्लोमफोंटेन में 96 रन का था। शायद इसी स्कोर ने सेलेक्टर्स को रोहित की जगह प्रियांक को चुनने का भरोसा दिया- ‘मैं पिछले चार-पांच साल से इंडिया ए टीम का हिस्सा हूं। दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध ‘ए’ सीरीज खेलने से नए टूर में जरूर मदद मिलेगी। वहां जो मैच खेले, उससे इस बात का सही अंदाजा हो गया कि वहां परिस्थितियां कैसी हैं? मैं पिछले कई सालों से ऐसे मौके की तैयारी कर रहा हूं। यह मेरे लिए एक बड़ा मौका है।’

करियर के कुछ ख़ास पड़ाव :

  • अपने पिता को खो दिया था जब सिर्फ 15 साल के थे। परिवार ने मुश्किलों का सामना किया पर धीरे धीरे सब ठीक हो गया।
  • 2008 में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप मिली। जब एक मैच में अजिंक्य रहाणे की जगह मौका मिला तो 60 रन बनाए और सीधे गुजरात रणजी ट्रॉफी टीम में आ गए।
  • जब जूनियर क्रिकेट के दिनों में एनसीए में थे तो वहां तकनीक में बदलाव पर बहुत जोर दिया गया पर प्रियांक के मामले में इसने भी कुछ ख़ास नहीं किया। इस पर खुद ही तय किया कि जैसा खेलते हो, वैसा ही खेलो- बस सिर्फ स्टेमिना बढ़ाना था।
  • 27 फरवरी 2008 को, विजय हजारे ट्रॉफी में महाराष्ट्र के विरुद्ध लिस्ट-ए करियर शुरु और 115 गेंदों में 17 चौकों और 1 छक्के की मदद से 123 रन बनाए।
  • अगले सीजन में सौराष्ट्र के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना शुरू किया और गुजरात ने पारी के अंतर से जीत हासिल की।
  • फर्स्ट क्लास क्रिकेट में आ तो गए लेकिन पहली 17 पारियों में 20.08 औसत से सिर्फ 457 रन ही बनाए। इसी तरह पहले पांच सीजन में कुछ ख़ास नहीं किया- सिर्फ 24.85 औसत से 2493 रन।
  • सब कुछ बदला 2016-17 सीजन से- 17 पारी में 87.33 की शानदार औसत से 1310 रन बना दिए और गुजरात की पहली रणजी ट्रॉफी टाइटल जीत में बड़ी भूमिका निभाई। इस सीजन में ख़ास :
  • सिर्फ चार बल्लेबाजों ने रणजी में एक सीजन में पांचाल से ज्यादा रन बनाए हैं। वीवीएस लक्ष्मण के एक सीजन में सबसे ज्यादा रन के रिकॉर्ड को तोड़ने से सिर्फ 105 रन से चूक गए।
  • लाहली में स्विंग को मदद दे रही पिच पर रेलवे के विरुद्ध दूसरी पारी में 138 गेंद पर 101 रन।
  • तीन सेंचुरी, एक डबल सेंचुरी (विरुद्ध मुंबई) और एक ट्रिपल सेंचुरी (विरुद्ध पंजाब 314 रन- गुजरात के लिए ये रिकॉर्ड बनाने वाले पहले खिलाड़ी)।
  • गुजरात के लिए एक रणजी सीजन में 1,000 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी।

इस बल्लेबाजी ने सबका ध्यान खींचा था और उन्हें इंडिया ए टीम में आने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। इंडिया ए के लिए ख़ास :

  • 2019 में वायनाड में इंग्लैंड ए के विरुद्ध 206 रन।
  • उसी साल के आखिर में बेलगाम में श्रीलंका के विरुद्ध 160 रन।
  • 2017 से लगातार इंडिया ए टीम में।
  • इंडिया ए के लिए 14 फर्स्ट क्लास मैचों में 51.86 औसत पर 1089 रन- चार 50 और इतने ही 100 इसमें।
  • ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, वेस्टइंडीज, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इंडिया ए के लिए खेल चुके हैं।

राहुल द्रविड़ ने प्रियांक के करियर को न सिर्फ नज़दीक से देखा है- आगे बढ़ते भी देखा है। द्रविड़ ही तब इंडिया ए के कोच थे जब प्रियांक पांचाल को पहली बार कप्तान बनाया था- श्रीलंका ए के विरुद्ध। प्रियांक बड़े जोश में और उत्साहित था लेकिन द्रविड़ ने सलाह दी- ‘सामान्य रहो, जैसा पहले कर रहे थे, करते रहो। तुम्हारे पास टेलेंट है- यही वजह है कि आपको यह भूमिका दी है।’ इन शब्दों ने प्रियांक की बड़ी मदद की।

रणजी ट्रॉफी के पिछले चार सीजन में सबसे ज्यादा रन- 2017-18 और 2018-19 में लगभग 60 औसत से रन बनाए और 2019 के आखिर तक, भारत में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में किसी ने भी उनसे ज्यादा रन नहीं बनाए।

इस रिकॉर्ड को देखकर, ये कहना ज्यादा ठीक होगा कि लगातार तीन सीज़न के ढेरों रन के बावजूद, पांचाल सीनियर टीम में नहीं आ सके- उनके रिकॉर्ड से ज्यादा रोहित, राहुल, अग्रवाल, गिल और पृथ्वी शॉ जैसे बल्लेबाज की टेस्ट सेट-अप में मौजूदगी इसके लिए जिम्मेदार थी। फिर भी प्रियांक को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि शायद एक बल्लेबाज के तौर पर उनमें ही कोई कमी है- ‘अगर मैं भारत के लिए खेलना चाहता हूं तो मुझे और अधिक प्रभावशाली बनने के लिए क्या करना चाहिए?’

अब रिकॉर्ड है – 100 फर्स्ट क्लास मैच में 45.52 के प्रभावशाली औसत से 7011 रन जिसमें 24 शतक और 25 अर्द्धशतक।आज तक, पांचाल ने डायरी लिखने की सालों पुरानी आदत को जारी रखा है- ये रोज के अनुभवों और प्रेरणादायक मिसाल की दास्तान है। कई बार इसमें ये सवाल पूछा कि टीम इंडिया में आने के लिए और क्या करने की जरूरत है? अब टीम में हैं और एकदम अकेले भी नहीं- गुजरात टीम से अक्षर पटेलऔर जसप्रीत बुमराह भी साथ हैं। फाइनेंस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है उनके पास पर साइंस के भी जानकार। अब क्रिकेट और मजबूत इरादे को आगे बढ़ाना है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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