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आईसीसी ने पिछले दिनों की डरबन मीटिंग में यूं तो कई फैसले लिए पर टी20 लीग के लिए, टीम में, विदेशी खिलाड़ियों की गिनती पर पहली बार, हालात देखते हुए बात की और नई गाइडलाइन बनाई- हर नई टी20 लीग में, हर टीम में, अधिकतम 4 विदेशी खेलेंगे (एक्टिव या रिटायर मिलाकर) और बचे 7 लोकल खिलाड़ी होंगे।  

ध्यान से नोट करने वाली दो और कंडीशन –

  • ये फैसला, इस समय तक मंजूर हो चुकी लीग जैसे यूएई में इंटरनेशनल लीग टी20 (आईएलटी20), यूएस की मेजर लीग क्रिकेट (एमएलसी) और कनाडा के ग्लोबल टी20 (जीएलटी20) पर कोई असर नहीं डालेगा और इन सभी में प्लेइंग इलेवन में 4 से ज्यादा विदेशी खिलाड़ी खेल रहे हैं और खेलते रहेंगे। इन लीग के लिए सलाह- सही समय के अंदर तय गिनती इन पर भी लागू हो जाएगी पर कब तक, कोई नहीं जानता।
  • हर लीग, हर सीज़न में लिए, हर विदेशी खिलाड़ी के लिए, उस के होम बोर्ड को 10% रिलीज़ फीस देगी।

एक लीग में, विदेशी खिलाड़ियों की गिनती की सीमा तय करने की सिफारिश पिछले साल आईसीसी के एक वर्किंग ग्रुप (इसके सदस्य : वसीम खान- आईसीसी क्रिकेट जीएम, अरुण धूमल- आईपीएल चीफ और आईसीसी के सीईसी में बीसीसीआई प्रतिनिधि, जॉनी ग्रेव- सीडब्ल्यूआई सीईओ, निक हॉकले- क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया सीईओ और मुबाशिर उस्मानी- एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड सेक्रेटरी) ने की थी।

नई टी20 लीग, खासकर जो गैर टेस्ट देश शुरू कर रहे हैं, वहां के लिए खिलाड़ियों को छीनने और इस से  खिलाड़ियों की कमी की आशंका से निपटने के मुद्दे पर सलाह के लिए इस वर्किंग ग्रुप को बनाया था- पिछले साल बर्मिंघम में एजीएम में बढ़ती लीग पर बात करते हुए जो चिंता दिखाई दी उस में। मौजूदा गाइड लाइन में ऐसी गिनती का कोई प्रतिबंध नहीं लिखा। ग्रुप की रिपोर्ट पर अब आईसीसी में बात हुई। रिपोर्ट में तो है कि किसी भी लीग में 4 से ज्यादा  विदेशी प्लेइंग इलेवन में हो ही नहीं सकते- आईसीसी ने ये प्रस्ताव 8-6 के वोटिंग स्कोर से खारिज कर दिया। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक़-विरोध में वोट दिया- बीसीसीआई, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश और जिम्बाब्वे के साथ 3 एसोशिएट ने।  पक्ष में वोट दिया- पीसीबी, वेस्टइंडीज, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया, ईसीबी, अफगानिस्तान और क्रिकेट आयरलैंड ने।

इसके बाद, नए सिरे से बातचीत हुई और नई सहमति बनी, जो ऊपर लिखी है। एक ख़ास बात- एसोशिएट सदस्य देशों के खिलाड़ियों को लोकल गिनना है। स्पष्ट है कि इरादा उन्हें बढ़ावा देना है ताकि छोटे देशों में क्रिकेट का और विकास हो। आईसीसी ने इस पर मुहर लगा दी।

तो इस तरह आईएलटी20 और एमएलसी को राहत मिल गई- इन में प्लेइंग इलेवन में क्रमशः 9 और 6 विदेशी खिलाड़ी खेल रहे हैं। ग्लोबल टी20, जिसे क्रिकेट कनाडा ने फिर से शुरू किया- इस में प्लेइंग इलेवन में टेस्ट देशों के 5 विदेशी और कम से कम 3 लोकल खिलाड़ी खेल रहे हैं जबकि बचे स्लॉट एसोशिएट्स और अमेरिका के खिलाड़ियों के लिए हैं। कोई नहीं जानता कि नई गाइडलाइन में ये लीग कब आएंगी- हर लीग को इस मामले में अलग तरह से देखना होगा जिसमें कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट के साथ-साथ फ्रेंचाइजी कॉन्ट्रैक्ट का भी ध्यान रखना होगा।

सबसे ख़ास बात ये है कि सब मानते हैं कि क्रिकेट को ‘बचाने’ का वक्त है ये। अगर अभी से सावधान न रहे तो क्रिकेट का भी वही हाल हो सकता है जो गोल्फ का हो रहा है।हालांकि टेस्ट देश, इंटरनेशनल क्रिकेट से अभी भी जुड़े हैं पर दुनिया भर की अन्य लीग में ख़ास तौर पर आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों का बढ़ता कब्जा, बड़े बदलाव की शुरुआत कर रहा है और इससे अपने आप, एक समानांतर कैलेंडर बनता जा रहा है। एमएलसी में 6 फ्रेंचाइजी में से 4 और क्रिकेट का अमेरिकी बाजार में आना- सीधे आईपीएल फ्रेंचाइजी के मालिकों से जुड़ा है। इन में तीन मालिकों के पास आईएलटी20 में भी फ्रैंचाइज़ी है। एमएलसी इलेवन में 6 विदेशी, एक महीने से भी कम में,175,000 अमेरिकी डॉलर जैसा बड़ा पैसा ले गए। भारत को छोड़कर, विश्व स्तर पर कई बड़े खिलाड़ियों ने इस में साइन अप किया है।

एसए20 और आईएलटी20- इन दो लीग में 12 फ्रेंचाइजी में से 9 आईपीएल मालिकों की हैं। कनाडा में ग्लोबल टी20 भी शुरू हो चुकी है। इंटरनेशनल और घरेलू क्रिकेट के समानांतर चल रही टी20 लीग ने ऐसे हालात बना दिए कि ट्रेंट बोल्ट ने शुरुआत की और बोर्ड के कॉन्ट्रैक्ट को ठुकराने के बाद ‘फ्री बर्ड’ बन गए- जहां चाहे, वहां खेलो और पैसा कमाओ। इस लिस्ट में खिलाड़ी बढ़ते जा रहे हैं। इसीलिए जिन्होंने खिलाड़ी की ट्रेनिंग पर मेहनत का और पैसा खर्चा तो उनके नुकसान का सवाल उठा। तभी तो सीईसी ने, टी20 लीग के, हर सीजन में, हर खिलाड़ी के होम बोर्ड को 10% रिलीज फीस देने के वर्किंग ग्रुप के प्रस्ताव को बिना देरी मान लिया। विकल्प है- लीग आयोजक, मेजबान बोर्ड और खिलाड़ी के होम बोर्ड आपस में बातचीत से इसे बढ़ा/कम कर सकते हैं पर कोई बातचीत न हुई तो 10% वाली शर्त लागू रहेगी।

आईपीएल ने अपने आप, इस बारे में सोच लिया था और शुरू से ही रिलीज फीस दे रहे हैं- प्रति खिलाड़ी 10% रिलीज फीस। अन्य लीग ने भी खिलाड़ी का एनओसी लेने के लिए इसी रिलीज फीस को, इस बारे में कोई लॉ न होने के बावजूद, अपना लिया। इस बार सवाल ये उठा कि कि एसोशिएट बोर्ड, आईसीसी से मिलने वाली सीमित फंडिंग को देखते हुए, ये रिलीज फीस कहां से देंगे? इस समय, कॉन्ट्रैक्ट के बाद आप ये बोझ फ्रैंचाइज़ी पर नहीं डाल सकते। तो सुझाव आया कि कि खिलाड़ी की फीस से कटौती कर लो। इसलिए ये अभी तक स्पष्ट नहीं कि आखिरकार रिलीज फीस का भार कौन झेलेगा?

यहां यूएई में आईएलटी20 की ख़ास चर्चा जरूरी है- उस टूर्नामेंट के लिए तो हर टीम में 9 विदेशी खिलाड़ियों को खेलने की इजाजत दी गई थी। जब इस पर सवाल उठे तो कह दिया कि ये यूएई का कोई घरेलू टूर्नामेंट नहीं और प्रदर्शनी टूर्नामेंट जैसा है क्योंकि खेलने वाले लोकल खिलाड़ी हैं कहां? यही वजह है कि नई लीग को गिनती में रियायत दे दी और अगर कल को सऊदी अरब में भी लीग शुरू होती है तो उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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