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आईपीएल मेगा नीलाम नज़दीक है और नीलाम के दिन टाटा ग्रुप का नाम आईपीएल 2022 के टाइटल स्पांसर के तौर पर सामने होगा- वे वीवो की जगह ले रहे हैं। इस रिपोर्ट के लिखने
तक, टाटा ग्रुप ने ये तय नहीं किया है कि स्पांसर के तौर पर वे अपनी किस कंपनी का नाम सामने रखेंगे। इस तरह आखिरकार आईपीएल टाइटल स्पांसर के तौर पर चीनी मोबाइल निर्माता वीवो आउट और भारत का बड़ा व्यापार ग्रुप टाटा इन। एयर इंडिया को फिर से अपने बैनर के तले लेने के कुछ ही दिन बाद टाटा ग्रुप फिर से बाज़ार में चर्चा में है क्रिकेट की बदौलत लेकिन एक नए अंदाज़ में।

जितना रोचक है आईपीएल का इतिहास, उतना ही रोचक है इसके स्पांसर का नाता। जिस तरह शुरू में टीम सस्ते में बिकीं- वैसे ही टाइटल स्पांसर भी सस्ते में जुड़े। अब नज़ारा बदल गया है। देखिए :

पहले स्पांसर : रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ 2008-12 तक और स्पॉन्सरशिप फीस दी सिर्फ 40 करोड़ रुपए सालाना।
दूसरे स्पांसर : 2013 से 2015 तक दिग्गज मल्टी नेशनल कंपनी पेप्सी ने आईपीएल स्पांसर के तौर पर 79.2 करोड़ रूपए हर साल दिए।
तीसरे स्पांसर : चीन की मोबाइल फोन कंपनी वीवो- 2016 और 2017 में स्पांसर थे और हर साल लगभग 95 करोड़ रूपए दिए।

इसके बाद बीसीसीआई ने तय किया कि लंबा कॉन्ट्रेक्ट देंगे तो 5 साल यानि कि 2018 से 2022 तक के स्पांसर अधिकार वीवो ने 438.8 करोड़ रूपए हर साल की कीमत पर खरीद लिए- आम तौर पर इस रकम को 440 करोड़ रुपए लिखा जाता है।

इस तरह वीवो के पास 2018-2022 तक के टाइटल स्पॉन्सरशिप अधिकार के लिए 2200 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रेक्ट था। इसे झटका 2020 में तब लगा जब लाइन ऑफ कंट्रोल पर चीन ने घुसपैठ से माहौल बिगाड़ा। उसके बाद जब भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गलवान वैली में टकराव हुआ तब तो माहौल बिलकुल ही चीन विरोधी बन गया। भारत में व्यापार कर रहीं चीन की कंपनी और उनके प्रॉडक्ट एंटी पब्लिसिटी के घेरे में आ गए। ऐसे में बोर्ड पर भी ये दबाव था कि वे वीवो को टाइटल स्पांसर के तौर पर हटाएं। हालांकि बोर्ड ने दलील दी कि वास्तव में टाइटल स्पांसर बनकर चीन की कंपनी पैसा दे रही है- ले नहीं रही पर इससे माहौल में कोई बदलाव नहीं हुआ। आईपीएल के लिए भी भलाई इसी में थी कि वीवो का नाम हटे। वीवो ने स्पांसर अधिकार ट्रांसफर करने की इजाजत माँगी जो बोर्ड ने दे दी।

चीनी स्मार्टफोन वीवो ने कोशिश की कि किसी अन्य ब्रैंड को पूरा कॉन्ट्रेक्ट ट्रांसफर कर दें पर कामयाबी नहीं मिली। गणित ये था कि

वीवो का बीसीसीआई के साथ 5 साल का कॉन्ट्रेक्ट : 2199 करोड़ रुपए
वीवो ने बोर्ड को दिए 2018 में : 363 करोड़ रुपए
वीवो ने बोर्ड को दिए 2019 में : 400 करोड़ रुपए
बची रकम : 3 साल में 1436 करोड़ रुपए (हर साल क्रमशः 440, 484 और 512 करोड़ रुपए)

आईपीएल बिलकुल नज़दीक था और इतनी जल्दी नया स्पांसर कहाँ से मिलता? एक समय ऐसा लग रहा था कि आईपीएल को बिना स्पांसर खेलेंगे। तब तक हवा में कोविड का जिक्र शुरू हो गया था। इस का फायदा उठाया क्रिकेट गेमिंग ब्रैंड ड्रीम 11 ने। वे एक साल के लिए स्पांसर बने और दिए आधे पैसे यानि कि 220 करोड़ रूपए। ये बोर्ड के लिए बहुत बड़ा घाटा था पर उस माहौल में कुछ न मिलने से तो अच्छा था। 2021 में वीवो लौट आए।

वैसे ये सवाल भी महत्वपूर्ण है कि कॉन्ट्रेक्ट के इस आख़िरी साल में और तब जबकि माहौल पहले जैसा चीन विरोधी नहीं है तो वीवो ने टाइटल स्पांसर कॉन्ट्रेक्ट क्यों छोड़ा? बाजार के सूत्रों के अनुसार ये सीधा पैसे का मामला है और वे आईपीएल से वह वसूली नहीं कर पा रहे थे जिसकी उन्हें उम्मीद थी। इसकी एक बड़ी वजह थी कॉन्ट्रेक्ट की वह शर्त जिसमें लिखा था कि वे टाइटल स्पांसर करने के साथ-साथ, हर सीज़न में विज्ञापन और मार्केटिंग पर भी पैसा खर्चेंगे- नए लॉन्च तो लाने ही थे। और हिसाब ये है कि जितना पैसा बोर्ड को दिया इससे दो गुना मीडिया पर खर्च कर दिया। यह बहुत बड़ी रकम बन गई।

आईपीएल के पिछले दो सीजन वास्तव में वीवो इंडिया के लिए अच्छा नहीं रहे। ऐसे में वीवो, पिछले 6 महीनों में बाहर निकलने का रास्ता निकालने के लिए नए स्पांसर की तलाश कर रहे थे। रिपोर्ट ये है कि बीसीसीआई ने वीवो और टाटा दोनों को समझौते पर आने और सौदे को सील करने में मदद की। सौदे की वित्तीय शर्तों का अभी तक खुलासा नहीं किया गया है।

टाटा ग्रुप खेलों के लिए कोई नया नहीं है। टाटा ग्रुप की कंपनियां एथलेटिक्स, कुश्ती, रेसिंग और अन्य दूसरे खेलों से जुड़ी रही हैं। टीसीएस ने न्यूयॉर्क, एम्सटर्डम और लंदन मैराथन सहित कई मैराथन के लिए टॉप स्पांसर अधिकार खरीदे। पिछले साल, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने ब्रिटिश रेसिंग टीम, जगुआर रेसिंग के साथ आगामी 2021/22 ABB FIA फॉर्मूला ई वर्ल्ड चैंपियनशिप का टाइटल पार्टनर बनने के लिए समझौता किया। अब, टीम को जगुआर टीसीएस रेसिंग के नाम से जाना जाएगा। टाटा ग्रुप पहले भी टाटा मोटर्स और टीसीएस के जरिए आईपीएल में शामिल रहा है- क्रमशः लीग और राजस्थान रॉयल्स फ्रैंचाइज़ी के साथ पार्टनरशिप। 2020 में, टाटा ग्रुप ने आईपीएल स्पांसर के तौर पर बोर्ड में आने में रुचि दिखाई थी, लेकिन आखिर में बात नहीं बनी।आईपीएल का टॉप स्पांसर बनना उनकी छवि बदलेगा- वे कूल, आधुनिक और ट्रेंडिंग दिखाई देंगे।

आपकी जानकारी के लिए- स्पांसर से जो पैसा बोर्ड को मिलता है उस का आधा हिस्सा फ्रेंचाइजी के बीच बराबर बांटा जाता है। अब हिस्सेदार 10 हो गए पर नए कॉन्ट्रेक्ट में बोर्ड ने जरूर इसका ध्यान रखा होगा।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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