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अभी तो ऑफिशियल तौर पर अहमदाबाद ने 2036 ओलंपिक के लिए बिड भी नहीं किया है- तब भी, अहमदाबाद के ऐतिहासिक सरदार पटेल स्टेडियम को तोड़ रहे हैं, नया और भव्य बनाने के लिए। ओलंपिक की तैयारी में ये स्टेडियम सबसे ख़ास होगा। नवरंगपुरा इलाके में बने ऐतिहासिक सरदार पटेल स्टेडियम पर बुलडोजर चल रहा है- स्टेडियम को तोड़ने का आदेश दिया जा चुका है।

हैरानी की बात तो ये कि ऐसा सिर्फ भारत में नहीं होता है- विश्वास कीजिए ऑस्ट्रेलिया में भारत की क्रिकेट सीरीज के मैचों के जिक्र में जिस गाबा स्टेडियम, ब्रिस्बेन का जिक्र होता है उसे भी तोड़ रहे हैं। वजह- ओलंपिक के लिए, इसकी जगह एक नया, भव्य और आधुनिक स्टेडियम बनाना है।

जुलाई 2021 में ब्रिस्बेन को बिना किसी चुनौती, 2032 ओलंपिक का मेजबान चुना था और ये मेलबर्न और सिडनी के बाद समर ओलंपिक की मेजबानी करने वाला तीसरा ऑस्ट्रेलियाई शहर बनेगा। यहां भी ओलंपिक में क्रिकेट खेलेंगे। इन ओलंपिक का अगला क्रिकेट कनेक्शन गाबा स्टेडियम होगा। 2025 में ऑस्ट्रेलिया में अगली एशेज के टेस्ट के बाद इसे तोड़ने का काम शुरू हो जाएगा और नया स्टेडियम ब्रिस्बेन 2032 ओलंपिक खेलों का सेंटर बन जाएगा। इंग्लिश क्रिकेट फैन इसे ‘द गैबेटोइर’ कहते हैं- कई बार इंग्लैंड की वहां भारी हार की वजह से। ये विश्व का अकेला स्टेडियम है जहां क्रिकेट प्रेमी स्विमिंग पूल का मजा लेते हुए भी एशेज एक्शन देख चुके हैं। कुछ फैक्ट नोट कीजिए :

  • नए निर्माण पर खर्चा- 2.7 बिलियन ऑस्ट्रेलिया डॉलर (लगभग 14678 करोड़ रुपये)।
  • मौजूदा स्टेडियम लगभग 130 साल पुराना है पर समय के साथ इसमें बदलाव होते रहे।
  • मौजूदा क्षमता 42,000 जो बढ़कर 50,000 हो जाएगी (इस समय इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए घटकर 36,000 है)।
  • नए स्टेडियम को शुरू से ऐसा बनाएंगे ताकि यहां म्यूजिक कंसर्ट और अन्य प्रोग्राम भी हो सकें और इनके लिए 80,000 दर्शकों की मेजबानी होगी।
  • नया स्टेडियम सीधे पास के क्रॉस रिवर रेल स्टेशन से जुड़ जाएगा- ये कनेक्शन तो नए स्टेडियम के उद्घाटन से पहले ही चालू हो जाएगा।
  • ओलंपिक बिड डॉक्यूमेंट में लिखा था कि फिजूलखर्ची नहीं होगी और शहर में  पहले से ही 84% स्टेडियम और अन्य इंतजाम हैं। उसमें मौजूदा स्टेडियम तोड़कर नया बनाने का जिक्र नहीं था। 

ऐसा नहीं कि विकल्प नहीं सोचे- इनमें से एक ये भी था कि मौजूदा स्टेडियम को ही, कुछ बदलाव के बाद, ओलंपिक की जरूरत में फिट कर दें और सिर्फ क्षमता बढ़ा दें। बहरहाल आखिर में तय हुआ कि नया स्टेडियम बनाना ही अच्छा, सस्ता और शहर के अन्य बदलाव में फिट रहेगा। ये भी हो सकता है कि बाद में ये गाबा की जगह ‘ईस्ट बैंक’ बन जाए।

स्टेडियम स्थानीय काउंसिल का है और सबसे बड़े किराएदार क्वींसलैंड क्रिकेट, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और फ़ुटबाल लीग क्लब ब्रिस्बेन लायंस हैं। निर्माण में 4 साल लगेंगे और तब तक के लिए इन सभी को किसी नई जगह का इंतजाम करना होगा- संभव है इससे होने वाली टिकटों की बिक्री में कमी के मुआवजे के तौर पर सरकार कुछ मदद कर दे पर हाल-फिलहाल तो ये इस बात से परेशान हैं कि इन्हें नए निर्माण में हिस्सा डालने के लिए कहा जा रहा है। इन्हें लाखों डॉलर देने के लिए कहा है और उसी पर सबसे ज्यादा हंगामा/विरोध हो रहा है- यहां तक कि सड़कों पर भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पूरी दुनिया में चर्चा है क्योंकि एक प्रतिष्ठित/एतिहासिक क्रिकेट स्टेडियम को ध्वस्त किया जाना तय है।

खर्चे में क्वींसलैंड सरकार का हिस्सा लगभग 252 करोड़ और कमी के लगभग 500 करोड़ रुपये ब्रिस्बेन सिटी काउंसिल, एएफएल और क्रिकेट एसोसिएशन और रॉयल नेशनल एग्रीकल्चरल एंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के नाम लिख दिए हैं। यही खर्चा विरोध की वजह में से एक है।

ठीक है मौजूदा स्टेडियम की कमियां सामने आ रही थीं- मार्च 2022 में ब्रिस्बेन और मेलबर्न के बीच एएफएल मुकाबला लाइट्स बंद होने से रोकना पड़ा था, बिजली कटौती ने हाल के सालों में वहां कई क्रिकेट मैच को भी प्रभावित किया है पर इसके साथ यादें और भावनाएं जुड़ी हैं। गाबा में पहली बार 1931 में टेस्ट क्रिकेट खेले थे और आमतौर पर एशेज सीरीज का शुरुआती मैच यहीं खेलते हैं।

टेस्ट स्टार उस्मान ख्वाजा भी विरोध की मुहिम में शामिल हैं और विरोध में ओलंपिक से जुड़े कई ऑफिशियल भी अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। 
क्वींसलैंड क्रिकेट ने तो ये सलाह भी दी थी कि इस स्टेडियम को तोड़ने की जगह एलन बॉर्डर फील्ड को अपग्रेड कर वहां नया स्टेडियम बना दें। इसे किसी ने न सुना। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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