fbpx

सरफराज ने टेस्ट डेब्यू पारी में 62 रन बनाए और सभी उनकी तारीफ कर रहे हैं और ऐसे में इस रिकॉर्ड का जिक्र अच्छा नहीं लगेगा कि इस स्कोर से उनका फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर का औसत गिर गया। बहरहाल ये सच्चाई है क्योंकि सरफराज को ऐसे बेहतर रिकॉर्ड पर टेस्ट डेब्यू  का मौका मिला। जो 2010 से मुंबई में क्रिकेट को फॉलो कर रहे हैं और उसके बाद सरफराज और मुशीर के बारे में पढ़ा- वे उनके अब्बा नौशाद खान की मेहनत और अपने बेटों की क्रिकेट को निखारने की कोशिशों के बारे में खूब जानते हैं। इसीलिए जब टेस्ट डेब्यू को सरफराज ने अपने अब्बा को समर्पित किया तो किसी को भी हैरानी नहीं हुई। 

सरफराज के डेब्यू पर नौशाद खान ने एक शेर कहा- रात को वक्त चाहिए गुज़रने के लिए, सूरज मेरी मर्जी से नहीं निकलने वाला (अभी पूरी तसल्ली का वक्त नहीं आया, सपना अभी पूरा नहीं हुआ है,आराम करने से पहले मुझे मीलों चलना है)

जिस सुबह का उन्हें सालों से इंतजार था वह आई। अनिल कुंबले बेहतर और कोई नहीं हो सकता था डेब्यू कैप देने के लिए और वे सरफराज की पहली इंडिया कैप को चूमने से रुके नहीं- ऐसे देश में जहां हजारों, कम से कम एक बार इंडिया कैप पाना चाहते हैं, सालों तक क्रिकेट में पसीना बहाने के बाद भी ये नसीब नहीं हुई, तब भी रेड-बॉल क्रिकेट की मुश्किलों को झेलते रहे- सरफराज भाग्यशाली हैं कि आखिरकार सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट ने मौका दिया। कई नई शुरुआत हुई हैं इसके साथ :

  • इससे पहले किस डेब्यू करने वाले के परिवार को ग्राउंड पर ऐसी कवरेज मिली?
  • इससे पहले किस डेब्यू करने वाले के पिता को कमेंट्री बॉक्स में मौका दिया गया?
  • ये सब उन माता-पिता के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जो अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना देख रहे हैं। जब तेंदुलकर रिटायर हुए थे
  • उन्होंने पत्नी से पहले अपने पिता को याद किया- सरफराज ने भी यही किया।
  • जैसे ही मुंबई के बल्लेबाज ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला रन बनाया, कैमरा नौशाद और सरफराज की पत्नी रोमाना की ओर घूम गया और ये सिलसिला उनकी लगभग पूरी इनिंग में चलता रहा।

बैटिंग आर्डर में सरफराज के नंबर की भी बड़ी चर्चा हुई- 8वें ओवर में तीसरा विकेट गिरा और एक डेब्यू करने वाले के लिए ये कोई बहुत अच्छी स्थिति नहीं थी- इसीलिए जडेजा को प्रमोट किया पर पहले दिन ही सरफराज की बैटिंग देखने का मौका मिला। टेस्ट से पहले रवीन्द्र जड़ेजा से बैटिंग में अनुभव की कमी के बारे में पूछा था तो उनका जवाब था- ये सभी पके-पकाए खिलाड़ी हैं, कभी न कभी तो ये टाइम आना ही था। डेब्यू टेस्ट टेम्परामेंट का इम्तिहान होता है- ढेरों इस इम्तिहान में पास होने के बावजूद करियर को बहुत ऊंचाई तक नहीं ले जा पाए। सरफराज के मामले में क्या होगा ये समय बताएगा।

अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में 50+ स्कोर के बाद रन आउट होने वाले अकेले भारतीय खिलाड़ी- अब्बास अली बेग 1959 मैनचेस्टर में डेब्यू टेस्ट की दूसरी पारी में रन आउट हुए थे।

डेब्यू पर 48 गेंद में 50- 7 चौके और 1 छक्के के साथ।

सबसे अच्छा ये है कि यूथ ब्रिगेड यशस्वी जयसवाल और शुभमन गिल और अब सरफराज- मोर्चा संभालने के लिए तैयार है। यशस्वी ने जब 209 रन बनाए तो ये वास्तव में टीम स्कोर का 52.78 प्रतिशत थे। ठीक है हाल-फिलहाल शुभमन गिल (विशाखापत्तनम में 100 के बावजूद) का बैट उनका साथ नहीं दे रहा पर नोट कीजिए वे यहां टीम (22 टेस्ट) के लिए दूसरे सबसे अनुभवी बल्लेबाज हैं। रजत पाटीदार भी लिस्ट में हैं और टीम मौका दे रही है। केएल राहुल की जगह देवदत्त पडिक्कल आए- टीम की शक्ल बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। रजत पाटीदार, सरफराज खान और देवदत्त पडिक्कल जैसे खिलाड़ियों के टीम में आने का सबसे ख़ास मतलब ये है कि सेलेक्टर घरेलू खिलाड़ियों पर भरोसे के लिए तैयार हैं- उनका आईपीएल रिकॉर्ड चाहे कुछ भी हो।

अब्बा बोले- ‘मैंने अपने दोनों बेटों पर यह सोचकर कड़ी मेहनत की है कि वे एक दिन मेरा सपना पूरा करेंगे- देश के लिए खेलेंगे। ख्वाब का एक हिस्सा पूरा हो चुका है लेकिन दूसरा (मुशीर) बाकी है। मैं बस यही उम्मीद करता हूं कि ईश्वर सरफराज को अपने करियर में आगे बढ़ने की शक्ति दे।’ 

– चरनपाल सिंह सोबती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *