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इंग्लैंड के नजरिए से देखें तो बल्लेबाजी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है धर्मशाला में। सीरीज तो हार ही गए हैं पर इसे 3-2 या 4-1 से हारने में बड़ा फर्क है। उनके लिए भारत में 2 टेस्ट जीतना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा। भारत 2012 के बाद से अपनी पिचों पर एक भी सीरीज में 2 टेस्ट नहीं हारा है, जबकि लगातार 17 सीरीज जीती हैं। तो इस तरह आने वाले दिन इंग्लैंड के कई बल्लेबाजों के लिए  बहुत बड़ा सवाल और तब भी रांची टेस्ट के बाद, चीफ कोच ब्रैंडन मैकुलम की बेयरस्टो के बारे में, स्टेटमेंट थी- ‘वह अपना 100वां टेस्ट खेलेंगे। हमारी सेलेक्शन पॉलिसी खिलाड़ी की लॉयल्टी पर आधारित है और जो कुछ ख़ास कर चुके हैं- जरूरी है कि उन्हें पूरा मौका दें।’

सच ये है कि अगर ये पॉलिसी न होती तो जॉनी बेयरस्टो धर्मशाला में अपना 100वां टेस्ट न खेलते। जो खिलाड़ी 99 टेस्ट तक पहुंच जाए- 100 वां टेस्ट खेलने का हकदार कह सकते हैं पर शायद बेयरस्टो ऐसे पहले हैं जिन्हें ये रिकॉर्ड टेस्ट खेलते हुए मालूम है कि अगर इसमें भी फेल हुए तो अपना 101वां टेस्ट नहीं खेलेंगे। टीम में वापस लौटने के बाद 10 टेस्ट हो चुके हैं और कुछ अच्छा नहीं खेले हैं। इंग्लैंड टीम को देखें तो ये साफ़ है कि टॉप 7 में से किसी एक की इस समर का टेस्ट प्रोग्राम शुरू होने से पहले छुट्टी होगी क्योंकि ब्रूक के लिए जगह बनानी है। इसलिए बेयरस्टो ने अगर 100वीं टेस्ट कैप के मौके पर एक बड़ा स्कोर न बनाया तो यह उनका आखिरी टेस्ट कैप हो सकता है।

जॉनी बेयरस्टो अगर 100 टेस्ट तक पहुंच रहे हैं तो टेलेंट तो है- इंग्लैंड के सबसे आकर्षक बॉल-स्ट्राइकर में से एक पर उतार-चढ़ाव से भरे करियर को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इस सीरीज में 21 औसत और 40+ का एक भी स्कोर नहीं (टॉप 7 में से सबसे खराब रिकॉर्ड) इसलिए वे जुलाई में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट में हैरी ब्रूक के लिए जगह खाली करें तो कोई हैरानी नहीं होगी। बच सकते हैं बशर्ते आईपीएल और जून में टी20 वर्ल्ड  कप में फॉर्म में लौट आएं क्योंकि इंग्लैंड वाले फार्म देखते हैं- फॉर्मेट नहीं। ऐसा हुआ तो समर में बेन फॉक्स की जगह वेस्टइंडीज और श्रीलंका के विरुद्ध वे विकेटकीपिंग कर सकते हैं। इसलिए सवालों के जवाब का सिलसिला धर्मशाला से शुरू होगा।

बेयरस्टो 100 कैप तक पहुंचने वाले इंग्लैंड के 17वें खिलाड़ी और 6000 रन तक पहुंचने वाले भी उनके 17वें बल्लेबाज के रिकॉर्ड के बिल्कुल करीब हैं (26 रन की जरूरत)। विकेटकीपिंग के मामले में इंग्लैंड की पॉलिसी अन्य देशों से बिलकुल अलग है- एलेक स्टुअर्ट विकेटकीपर के तौर पर 82 और बल्लेबाज के रोल में 51 टेस्ट खेले। अलग-अलग वक्त पर उनकी जरूरत को अलग-अलग आईने में देखा। बेयरस्टो ने ग्लव्स के साथ 55 और बल्लेबाज के तौर पर 44 टेस्ट खेले हैं। जोस बटलर ज्यादा जिम्मेदार थे इसके लिए। बेयरस्टो ने हालांकि बटलर की 29.6 औसत के मुकाबले विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर 37.6 औसत से रन बनाए लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर बटलर भारी पड़ गए। ये दोनों पिंग-पांग खेलते रहे। एक की किस्मत चमकी- दूसरे की किस्मत खराब कर। 2014 और 2022 के बीच, बेयरस्टो को बटलर के बिना 34 बार और बटलर को बेयरस्टो के बिना 25 बार चुना गया जबकि 32 टेस्ट एक साथ खेले- इनमें बेयरस्टो 16 और बटलर 13 बार विकेटकीपर थे। दोनों के बीच 50 रन की सिर्फ एक पार्टनरशिप है।

बटलर ही बेयरस्टो के टीम से बाहर होने के दो सबसे लंबे स्पैल के लिए जिम्मेदार थे- 2014-15 में 18 महीने तक (तब बेयरस्टो ने यॉर्कशायर के लिए ढेरों रन बनाकर वापसी की) और 2019-20 में 15 महीने और तब सेलेक्टर एड स्मिथ ने उन्हें कहा था कि घरेलू क्रिकेट में रन बनाएं। बेयरस्टो ने तब साबित किया कि उनमें एक बेहतर बल्लेबाज बनने का टेलेंट है। 2016-18 बेयरस्टो का गोल्डन पीरियड था- 42 औसत, 6 शतक (इनमें से 4 बने 5 पारी में और 77 गेंद पर 100 के साथ न्यूजीलैंड के विरुद्ध टेस्ट जीता) और 39 टेस्ट में 138 विकेट में योगदान। हालांकि 2017-19 में वनडे ओपनर के रोल में एक शानदार वर्ल्ड कप खेले पर कुल मिलाकर यही कहेंगे कि कभी टिक कर नहीं खेले।

बेन स्टोक्स कप्तान बने तो बज़बॉल में बेयरस्टो के करियर को लाइफ-लाइन मिली। फिर भी उतार-चढ़ाव तो चलता रहा। गोल्फ़िंग एक्सीडेंट में पैर की हड्डियां टूट गईं- 9 महीने के लिए बाहर। इसी में ब्रूक जम गए। इसके बाद मैकुलम ने कहा बल्लेबाज-विकेटकीपर रोल एक साथ निभाने होंगे यानि कि 2019 के बाद से रेड-बॉल क्रिकेट में पहली बार विकेटकीपर बने और एशेज में इंग्लैंड ने इसकी बड़ी कीमत चुकाई। इसीलिए भारत में फोक्स विकेटकीपर हैं।

अगर इंग्लैंड के लिए 100 टेस्ट खेलने वाले पिछले 16 क्रिकेटर का टेस्ट करियर देखें तो एक बड़ी मजेदार बात सामने आती है- अपने 100 टेस्ट के सफर में एलेस्टेयर कुक सिर्फ 1 टेस्ट नहीं खेले थे और इसी तरह उनके बाद जो रूट 2, एंड्रयू स्ट्रॉस 6, केविन पीटरसन 7, डेविड गॉवर 13, एलेक स्टुअर्ट और स्टुअर्ट ब्रॉड 14, माइक आथर्टन 16, इयान बेल 21, बेन स्टोक्स  28, कॉलिन काउड्रे 34, ग्राहम थोर्प 42, जेम्स एंडरसन 49, इयान बॉथम 54, ज्योफ बॉयकॉट 64 और ग्राहम गूच 77 टेस्ट नहीं खेले (गूच और बॉयकॉट पर बैन लगा था) और इस रिकॉर्ड में बेयरस्टो 51 टेस्ट (38 में नहीं चुना, 4 कोविड के कारण और 9 में चोट) की गिनती के साथ फिट होंगे यानि कि सबसे ज्यादा टीम से बाहर किए जाने वालों में से एक। 
अक्टूबर में अपना 100वां वनडे खेला और अब 100वां टेस्ट खेलेंगे। क्या ये उनका आख़िरी टेस्ट भी होगा?

चरनपाल सिंह सोबती

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