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ये लगभग तय सा लग रहा था कि चंडीगढ़ के करीब मोहाली में जब इस सीजन में आईपीएल मैच खेले जाएंगे तो पंजाब किंग्स का होम ग्राउंड- मोहाली के करीब मुल्लांपुर गांव में बना एक नया स्टेडियम होगा, न कि वह पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम जिसे बनाने में आईएस बिंद्रा का नाम जुड़ा है। अभी जो पहला शेड्यूल घोषित हुआ है उसमें तो मैच पुराने स्टेडियम में ही लिखा है पर सीजन के दौरान ही नए स्टेडियम के आईपीएल डेब्यू के पूरे आसार हैं। रोहित शर्मा की टीम ने अफगानिस्तान के विरुद्ध टी20 सीरीज का मैच यहीं खेला था पर ये लगभग तय है कि ये इस स्टेडियम में खेला आख़िरी इंटरनेशनल मैच है। एक बेहतर मौजूदा स्टेडियम के होते हुए भी पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन ने नया स्टेडियम बनाया और इंटरनेशनल क्रिकेट यहीं ट्रांसफर हो जाएगी।

देश में मैच की तुलना में बेहतर स्टेडियम की गिनती बढ़ती जा रही है और इसीलिए नियमित मैच न मिलने से वास्तव में कई स्टेडियम का रख-रखाव तक महंगा/मुश्किल होता जा रहा है। फरीदाबाद के नाहर सिंह स्टेडियम और अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम की दुर्दशा सब जानते हैं। पटना के स्टेडियम की हालत इन दिनों ‘हॉट टॉपिक’ है- तब भी जल्दबाजी में स्टेडियम बनाने की होड़ है, उनके सही इस्तेमाल की नहीं। मोहाली के नए स्टेडियम की खबर का मतलब है- पिछला स्टेडियम इतिहास बन जाएगा और खंडहर में बदलेगा। मोहाली जैसे छोटे शहर में एसोसिएशन के खर्चे से बने दो विश्व स्तर के स्टेडियम- ऐसा क्यों हुआ? सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर नए स्टडियम बना रहे हैं- वह भी तब जबकि मौजूदा स्टेडियम की सभी तारीफ़ कर रहे हों।

इसीलिए जब भी कोई नया स्टेडियम बने तो उसे इंटरनेशनल मैच बांटने से पहले बीसीसीआई की तरफ से ये ऑडिट जरूरी है कि इस स्टेडियम का भविष्य क्या है? जहां भी क्रिकेट एसोसिएशन ने सरकार से जमीन लीज या अन्य किसी एग्रीमेंट की बदौलत लेने के बाद स्टेडियम बनाए- वहां विवाद कोई हैरानी की बात नहीं। मोहाली में भी तो यही हुआ- मौजूदा स्टेडियम में इंटरनेशनल मैचों की शुरुआत से पहले ही ‘जमीन हथियाने’ की ख़बरें सामने आने लगी थीं। स्टेडियम के लिए सरकारी जमीन और खर्चे के लिए ‘मदद’ के आरोप सालों से पंजाब में चर्चा में हैं। हालात ये हो गए कि सरकार ने मौजूदा स्टेडियम की जमीन वापस मांग ली। केस कोर्ट पहुंच गया और तभी एसोसिएशन ने नए स्टेडियम के लिए अपनी जमीन खरीदी। बीसीसीआई इससे सबक ले- उन्हीं नए स्टेडियम के निर्माण के लिए ग्रांट/लोन और मैच दे जहां एसोसिएशन ने अपनी खरीदी जमीन पर स्टेडियम बनाया।

मोहाली के पुराने स्टेडियम के साथ जुड़े कुछ फैक्ट नोट कीजिए-

  • न सिर्फ राज्य सरकार ने मौजूदा स्टेडियम के निर्माण में गड़बड़ी के आरोप की जांच के लिए कमेटी बनाई- कोर्ट और सीबीआई में भी फाइल बनी।
  • 1992 में इसके लिए जो जमीन मिली वह गहरे खड्डों वाला दलदल था। उसे दो साल के भीतर, भारत के सबसे बेहतर स्टेडियम में बदल दिया।
  • पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन ने इससे पहले, इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए अपना कोई स्टेडियम न होने से जालंधर में टेस्ट और वनडे, अमृतसर में वनडे और चंडीगढ़ में भी मैच खेले।
  • जमीन पर विवाद तो स्टेडियम बनते ही शुरू हो गए थे। बात धीरे-धीरे और बिगड़ी तथा 2006 में पंजाब स्पोर्ट्स काउंसिल (जिनकी ये जमीन है) ने जमीन वापस मांगने के लिए कोर्ट से नोटिस जारी करा दिया।
  • दो ख़ास आरोप लगे- पहला : जमीन बड़े सस्ते में ले ली (कुछ सूत्रों के अनुसार सालाना लीज सिर्फ 100 रुपये थी) और इसीलिए स्पोर्ट्स काउंसिल ने बाजार भाव की दर से बकाया 150 करोड़ रुपये लीज मनी भी मांग ली। दूसरा : लीज लेने के लिए कई जरूरी मंजूरी नहीं लीं। संयोग से तब पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान परगट सिंह सरकार के स्पोर्ट्स डायरेक्टर थे और इस कार्रवाई में सबसे आगे।
  • 2009 में इस मामले की विधान सभा में भी गूंज हुई तो पंजाब सरकार से कहा गया कि मोहाली स्टेडियम को अपने कब्जे में ले लें। सीबीआई की जांच भी शुरू हो गई जिसमें और नए-नए किस्से खुलने लगे।
  • इसी सब को देखते हुए आखिरकार फ़रवरी 2011 में पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन ने तय किया कि एक और आधुनिक क्रिकेट स्टेडियम बनाएंगे- अपना।

नया स्टेडियम भी करीब है। ये संसाधन की दुर्दशा नहीं तो और क्या है? इससे भी बड़ी दुर्दशा तो ये होगी की सरकारी अधिकारी, मौजूदा स्टेडियम को उपयोग करने की जगह इसे तोड़ेंगे क्योंकि ‘जमीन’ चाहिए जो अब बेहद महंगी हो चुकी है।

  • चरनपाल सिंह सोबती

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