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खबर है वेस्टइंडीज के क्रिकेटर रहकीम कॉर्नवाल ने अमेरिका में एक टी20 मैच में दोहरा शतक बना दिया- अटलांटा ओपन टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट में अटलांटा फायर के लिए खेलते हुए 22 छक्कों की मदद से सिर्फ 77 गेंदों में 205* रन। इंटरनेशनल क्रिकेट में, इसी तरह पिछले कुछ दिनों में डेविड मिलर, संजू सैमसन और हरमनप्रीत कौर जैसे बैटर ने ताबड़-तोड़ बल्लेबाजी की। इन सभी या इन जैसी और मिसाल में क्या किसी ने ये जानने की कोशिश की कि जिस बैट से धड़ाधड़ चौके-छक्के लगाए जा रहे हैं- वह सही साइज का है? कहीं बड़ा तो नहीं?
क्रिकेट लॉ में बैट का सही साइज लिखा है पर हर पारी में, हर बल्लेबाज के बैट के साइज की जांच नहीं होती। अंपायर को शक हो या शिकायत हो या अन्य किन्हीं ख़ास हालात में ऐसी जांच होती है। आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि आज जबकि बैट बनाने वाले इनके साइज पर खुद ही निगरानी रखते हैं तो गलत साइज के बैट इस्तेमाल नहीं किए जाते। अब आप पिछले दिनों ख़त्म हुए इंग्लिश क्रिकेट सीजन से दो मिसाल देखिए :   

अगस्त 2022 : डर्बीशायर के ऑलराउंडर मैटी मैककिर्नन ने गलत साइज के बैट से बैटिंग की- उसके बाद, उनका बैट-गेज टेस्ट में भी फेल हुआ। उनकी इस गलती का नुकसान टीम ने भरा और सजा के तौर पर डर्बीशायर के रॉयल लंदन कप टैली से दो पॉइंट कट गए। मैच था  हैम्पशायर के विरुद्ध। मैककिर्नन ने अपनी गलती मानी और माफी भी मांगी।
सितंबर 2022 : डरहम के बल्लेबाज निक मैडिन्सन ने डर्बीशायर के विरुद्ध काउंटी चैंपियनशिप मैच के दौरान गलत साइज का बैट प्रयोग किया। उसी वक्त अंपायर ने बैट ले लिया और निक को किसी दूसरे बैट से बल्लेबाजी के लिए कहा। बाद में ये बैट गेज टेस्ट में भी फेल हुआ। डरहम के लिए विदेशी खिलाड़ी के तौर पर खेल रहे ऑस्ट्रेलियाई इंटरनेशनल क्रिकेटर मैडिनसन, डर्बी में मैच के दूसरे दिन 1* पर थे और उसी वक्त अंपायर हसन अदनान ने उनके बैट की जांच की थी। इस पारी में निक ने कुल 8 रन बनाए। डरहम पर 16 पॉइंट तक का जुर्माना लग सकता था पर आखिर में 10 रन का जुर्माना लगा।  
मैडिनसन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 2016 में 3 टेस्ट और 6 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। अपने करियर में कुल 107 फर्स्ट क्लास मैच  जिसमें 15 शतक बनाए।
तो इसका मतलब है, ये सोच गलत है कि आज के समय में गलत साइज के बैट बन नहीं रहे या बल्लेबाज गलत साइज के बैट का इस्तेमाल नहीं कर रहे। मान्यता प्राप्त सीनियर क्रिकेट में प्रयोग होते हैं ‘टाइप ए’ बैट- इनका साइज एमसीसी के क्रिकेट लॉज़ के लॉ 5 में लिखे साइज के अनुसार होता है। इस लॉ कोड के मुताबिक़ बैट में हैंडल से नीचे के हिस्से की लंबाई 96.52 सेमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और अन्य अधिकतम नाप : चौड़ाई 10.8 सेमी, गहराई 6.7 सेमी और किनारे 4 सेमी। गेज टेस्ट का मतलब है कि तय साइज का एक ऐसा खांचा जिसके अंदर से बैट निकल सके। जहां भी नाप में गड़बड़ होगी- बैट इस गेज से नहीं निकलेगा।

जिस दिन से क्रिकेट खेल रहे हैं- बैट चर्चा में हैं, और अलग-अलग घटनाओं ने बैट पर चर्चा कभी खत्म नहीं होने दी। यहां तक कि तीनों तरह की क्रिकेट में बन रहे बड़े स्कोर पर भी ये सवाल उठा कि क्या इसके लिए बन रहे बैट जिम्मेदार हैं? ये भी कहा गया कि गेंद और बैट के बीच सही संतुलन के लिए बैट के साइज पर फिर से चर्चा करनी चाहिए। ये 2016 की बात है और ये सुझाव आईसीसी क्रिकेट कमेटी ने दिया था।  कमेटी ने कहा था कि इस समय क्रिकेट में बल्लेबाज का जोर है। रिकी पोंटिंग और इयान चैपल जैसे पुराने क्रिकेट खिलाड़ियों ने बैट के साइज पर नई नजर डालने की जरूरत पर जोर दिया जबकि डेविड वार्नर और ब्रेंडन मैकुलम जैसे कई बल्लेबाज ने कहा- इसकी कोई जरूरत नहीं।  
लॉर्ड्स में एमसीसी म्यूजियम में पुराने बैट रखे हैं- सबसे पुराना बैट किसी हॉकी स्टिक जैसा दिखता है। तब खेलने की शैली, आज की क्रिकेट से बहुत अलग थी। खेले जाने वाले शॉट, गेंदबाजी पर निर्भर करते थे। लंबे समय तक अंडरआर्म गेंदबाजी होती रही।

क्रिकेट के बैट के साइज को तय करने की जरूरत और इसका लॉ बनाना भी एक दिलचस्प घटना का नतीजा है- इसे ‘1771 की मॉन्स्टर बैट इंसिडेंट’ के तौर पर याद किया जाता है। तब एक इंग्लिश क्रिकेटर ने एक काउंटी मैच में ऐसा बैट इस्तेमाल किया जिसने स्टंप्स को पूरा ढक लिया- अब उसे कैसे आउट करेंगे? इस किस्से ने हंगामा खड़ा कर दिया और तब बैट की अधिकतम चौड़ाई 10.8 सेंटीमीटर तय की गई। ये साइज आज तक लागू है।
इसी तरह बैट सिर्फ लकड़ी (पारंपरिक रूप से विलो) से बने ब्लेड का हो और उसमें चिपका हुआ एक हैंडल शामिल हो- ये भी अलग अलग बैट के बढ़ते प्रयोग की वजह से लिखा गया। और भी कई बातें हैं मसलन कवरिंग, वजन, स्वीट स्पॉट (वह स्पॉट जहां से गेंद को हिट करने पर सबसे पावरफुल शॉट खेल सकते हैं) और साथ-साथ डिजाइन।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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