इंग्लिश क्रिकेट सीजन के सबसे ख़ास टूर्नामेंट में से एक है द हंड्रेड। टी20 लीग की भीड़ से कुछ अलग की चाह में इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने इसे शुरू किया- हर पारी 100 गेंद की। सिर्फ 3 सीजन बाद ये टूर्नामेंट इन दिनों इंग्लिश क्रिकेट की सबसे बड़ी चर्चा में से एक है और वजह है- नए टूर्नामेंट से जितना सोचा था, उतना पैसा नहीं आया। नतीजा- अब दुनिया भर की अन्य टी20 लीग की तरह, वे इसे बाजार में लाना चाहते हैं यानि कि टूर्नामेंट का प्राइवेटाइजेशन। इस पर सहमति के लिए 18 काउंटी क्लब में से दो-तिहाई (12) के वोट की जरूरत है और 10 से ज्यादा क्लब मंजूरी दे चुके हैं। सब पैसे की कमी में टूट रहे हैं। इन्वेस्टर प्रपोजल दे रहे हैं और ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं कि आईपीएल फ्रेंचाइजी इसमें सबसे आगे हैं। फैसला जल्द ही होगा और 2025 से ‘नया’ टूर्नामेंट खेलने की कोशिश है।
तो ईसीबी की इस प्राइवेटाइजेशन की मजबूरी की वजह है लगभग हर काउंटी क्लब का पैसे की कमी से जूझना/टूटना और ऐसे में पैसा लाने का सबसे आसान तरीका टूर्नामेंट का प्राइवेटाइजेशन है। एक बहुत अच्छी मिसाल यॉर्कशायर क्लब है- ये क्लब बिक रहा है और उन पर 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 125 करोड़ रुपये) का लोन है। वे तो प्राइवेटाइजेशन के लिए एकदम तैयार हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ईसीबी, भारत से इन्वेस्टर को इस टूर्नामेंट को ‘हाइजैक’ करने देंगे? वे घरेलू इन्वेस्टर तलाश रहे हैं जो मिल नहीं रहा।ब्रॉडकास्टर स्काई, जिसने पिछली भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज पर पैसा नहीं लगाया लेकिन यूके रीजन के लिए आईपीएल अधिकार पर पैसा लगा रहें हैं- द हंड्रेड पर इनवेस्टमेंट के लिए भी तैयार हैं पर ईसीबी के साथ पार्टनर के तौर पर।
न इस मॉडल को समर्थन मिल रहा है और न क्लब रियल एस्टेट डेवलपर को जमीन देने के लिए तैयार हैं तो रास्ता क्या है? इंग्लैंड की द हंड्रेड को एक ख़ास टूर्नामेंट बनाने की की कोशिश में कोई कमी नहीं है- इसे अगस्त का स्लॉट दिया और इस टाइम-स्लॉट की वजह से पिछले साल एशेज को भी जुलाई के आखिर तक खत्म कर दिया था। अब अगस्त में भी टकराव शुरू हो गया है- अमेरिका में मेजर लीग अगस्त में है यानि कि सीधा टकराव और सऊदी अरब वाले अब तक की जिस सबसे ज्यादा पैसे वाली टी20 लीग का डिजाइन बना रहे हैं- उसके लिए भी उनकी स्कीम में अगस्त का महीना है।
इसलिए ईसीबी ने उन प्रपोजल में रूचि ली जिनसे भारत का नाम जुड़ता है और विश्वास कीजिए- जिन ललित मोदी को आईपीएल शुरु करने का सबसे ज्यादा श्रेय दिया जाता है, वे द हंड्रेड को लाइफ लाइन देने की रेस में सबसे आगे हैं। इस समय वे सेंट्रल लंदन में रहते हैं।चेन्नई सुपर किंग्स के एन श्रीनिवासन भी रुचि दिखा रहे हैं। ललित मोदी के प्रपोजल से तो इंग्लिश क्रिकेट की सब मुश्किलें ख़त्म हो जाएंगी। देखिए- वे क्या कहते हैं :- टूर्नामेंट को ‘द हंड्रेड’ से टी20 फॉर्मेट में बदलेंगे। – बिजनेस मॉडल लगभग आईपीएल जैसा और इंग्लैंड वाले मान रहे हैं कि अब तक जो प्रपोजल मिले हैं ये उनमें से सबसे बढ़िया है। -10 साल में खिलाड़ियों पर 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 829 करोड़ रुपये) खर्च करेंगे और ईसीबी को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 8290 करोड़ रुपये) की कमाई की गारंटी।- 10 टीम की लीग होगी। – आईपीएल के हाईजैक को रोकने के लिए सिर्फ दो आईपीएल टीम मालिक ही इसमें टीम बना पाएंगे। इस तरह ये हमेशा इंग्लिश टूर्नामेंट बना रहेगा। – बीसीसीआई से बात करेंगे भारतीय खिलाड़ियों के खेलने की।
ईसीबी को सब पसंद तो है पर हां नहीं कर रहे है या हां कहने से डर रहे हैं। वजह- चूंकि बीसीसीआई ने ललित मोदी पर आजीवन बैन लगाया है, इसलिए आपसी संबंधों को ध्यान में रखते हुए अभी चुप हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि किसी भी सहमति से पहले, वे बीसीसीआई से बात करेंगे। बीसीसीआई और ललित मोदी के बीच कैसा संबंध बना हुआ है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आईपीएल शुरू होने से पहले पैनल के कमेंटेटर को कहा जाता है कि आईपीएल की शुरुआत की बात करते हुए भी, कोई ललित मोदी का नाम भी नहीं लेगा।
एसआरएच और सीएसके भी रेस में हैं पर इनके प्रपोजल की ज्यादा जानकारी नहीं है। इन दोनों की पहल, इनकी भारत से बाहर लीग क्रिकेट में कामयाबी की बदौलत है। एसआरएच ने तो दिल्ली कैपिटल्स के मालिकों में से एक जीएमआर ग्रुप के हैम्पशायर काउंटी में पैसा लगाने की डील न हो पाने के बाद, इसमें भी रुचि ली है।बीसीसीआई अभी तक इस सब पर चुप है पर ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि बीसीसीआई को आईपीएल टीमों का विदेशी लीग में इन्वेस्टमेंट पसंद नहीं आ रहा है और वे आईपीएल टीम बेचने के कॉन्ट्रैक्ट डॉक्युमेंट में ऐसी कोई भी शर्त/बीसीसीआई से एनओसी लेने की शर्त न डालने की शुरू की गलती को कोस रहे हैं।
बॉल अब ईसीबी के पाले में है। ललित मोदी के लिए समर्थन बढ़ रहा है- वे 800 मिलियन पौंड (लगभग 8500 करोड़ रुपये) खर्च करने के लिए तैयार हैं। एक और प्रपोजल ब्रिजपॉइंट ग्रुप का है- वे 75 प्रतिशत इक्विटी के बदले 400 मिलियन पौंड (लगभग 4250 करोड़ रुपये) देने के लिए तैयार हैं। ललित मोदी पर विश्वास है और सब मान रहे हैं कि वे इसे फ्रेंचाइजी क्रिकेट की एक विशाल कंपनी में बदल सकते हैं। क्या ईसीबी की सोच बदलेगी?
- चरनपाल सिंह सोबती