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रणजी ट्रॉफी सीजन 2022-23 : एलीट ग्रुप बी में दिल्ली ने अपने आख़िरी मैच में हैदराबाद को हराया तो हैदराबाद का सीजन रिकॉर्ड बना- 7 मैचों में 1 पॉइंट और इससे दो बातें सामने आईं :

  • अगले सीजन में हैदराबाद टीम प्लेट डिवीजन में खेलेगी यानि कि उनकी साधारण क्रिकेट का सबूत।
  • इस सोच की धज्जियां उड़ गईं कि अगर क्रिकेटर बन जाएं एडमिनिस्ट्रेटर तो टीम की क्रिकेट बेहतर हो जाती है।

हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के मौजूदा चीफ मोहम्मद अज़हरुद्दीन हैं और वे किसी परिचय के मोहताज नहीं। न सिर्फ टीम एक ख़राब दौर में है- राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम बुरी हालत में है और मैचों के ख़राब इंतजाम की मिसाल बन रहा है।

हैदराबाद टीम प्लेट डिवीजन में थी और प्रदर्शन को कुछ सुधार कर ही एलीट डिवीज़न में आई थी पर अपने वास्तविक स्तर का सबूत दे दिया और अगले सीज़न में माइनोज़ के साथ मुकाबले के लिए प्लेट डिवीजन में वापस। साफ़ बात है- उस शहर का शर्मनाक प्रदर्शन जिसने न सिर्फ एमएल जयसिम्हा और वीवीएस लक्ष्मण, मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों को जन्म दिया। आज हैदराबाद क्रिकेट की चर्चा किसी पॉजिटिव के लिए नहीं- क्रिकेट एसोसिएशन में कथित भ्रष्टाचार और ख़राब मैनेजमेंट के लिए हो रही है। इससे ख़राब आरोप और क्या होगा कि टीम में स्पॉट बेचे गए।  
 
इसीलिए 2022-23 सीजन को आसानी से रणजी ट्रॉफी में हैदराबाद टीम के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के तौर पर गिन रहे हैं। इसकी नौबत क्यों आई? ढेरों जवाब मिल रहे हैं उनसे जो हैदराबाद क्रिकेट को गहराई से जानते हैं और उस समय को भी देखा है जब ये ‘हैदराबाद स्कूल ऑफ क्रिकेट’ के तौर पर मशहूर था। आम सोच ये है कि हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन पर पिछले 3-4 दशकों में जिन प्रभावशाली व्यक्तियों का कंट्रोल रहा- उनका ध्यान क्रिकेट को बेहतर बहाने से ज्यादा अपने स्वार्थ पर था यहां क्रिकेट को अपनी जागीर के तौर पर चलाते रहे।

हैदराबाद क्रिकेट ऐसी पहली मिसाल नहीं है जिसे वास्तव में बीसीसीआई के मीडिया अधिकारों की बदौलत मिली बड़ी ग्रांट ने नुक्सान पहुंचाया- बीसीसीआई ने तो पैसा दिया बेहतर इंफ़्रा स्ट्रक्चर जुटाने और क्रिकेट को बेहतर करने के लिए पर इसे खर्च किया गया अपनी मनमर्जी से। ऐसे में हेराफेरी कोई बड़ी बात नहीं- यहां तक कि क्रिकेट स्टेडियम अपने ‘ऑफिस’ बन गए। हैदराबाद के एक पुराने क्रिकेटर, वहां के स्टेडियम को हैदराबाद क्रिकेट का कब्रिस्तान कहते हैं।

बड़े-बड़े क्रिकेटर और  रणजी चैंपियन टीम- ये पहचान थी जो आज बदल गई है। हैदराबाद इससे पहले, आखिरी बार प्लेट डिवीजन में थे 2010-11 में (2009-10 में खराब प्रदर्शन पर डिमोट होने से)। सीजन 2015-16 में नंबर 25 और  ग्रुप सी में थे। उसके बाद 2019-20 सीजन में भी डिमोट हुए।  2021 के अच्छे प्रदर्शन से ग्रुप सी में लौटे बड़ी टीमों के बीच पर….।

दुःख इस बात का कि सुधार के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। अच्छे स्तर की एक क्रिकेट कोचिंग एकेडमी तक नहीं बनाई जो भविष्य के क्रिकेटर दे सके। देखिए ‘द हैदराबाद क्रिकेट एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस’ शुरू तो की पर वहां भी खराब इंतजाम और स्वार्थ आगे आ गए और एकेडमी के लिए मंजूर पैसा न जाने कहां गया? अब इस एकेडमी में शहर की टीमें भी ट्रेनिंग नहीं करतीं- यहां से नई टेलेंट मिलने की तो बात ही भूल जाइए।  
कुछ ख़ास बातें नोट कीजिए :

  • सीजन में रिकॉर्ड 28 खिलाड़ियों को आजमाया- 13 ने डेब्यू किया।
  • कप्तान तन्मय अग्रवाल और के रोहित रायडू के अतिरिक्त और कोई भी सीजन के सभी मैच नहीं खेला।
  • तन्मय (562 रन), रोहित रायडू (575) और कार्तिकेय काक (24 विकेट) टॉप क्रिकेटर रहे।

हैदराबाद के ज्यादातर पुराने क्रिकेटर मानते हैं कि अभी भी टेलेंट मौजूद है लेकिन कोई सही सिस्टम या लीग न होने से ये सही तरह सामने नहीं आ रही। ऐसे में मिलकर काम करने की जरूरत है। बीसीसीआई के संस्थापक सदस्य में से एक है हैदराबाद और ये देखते हुए बड़े शर्म की बात है कि टीम प्लेट डिवीजन में खेलेगी।

टीम चयन में भ्रष्टाचार के आरोप से तो मौजूदा अध्यक्ष मोहम्मद अजहरुद्दीन भी नहीं बचे। ‘टीम स्पॉट बाजार’ का आरोप कोई मामूली बात नहीं। यहां तक कि हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में खुलेआम विद्रोह और बगावत का सामना कर रहे हैं वे। एसोसिएशन के ज्यादातर सदस्य चाहते हैं नए चुनाव पर अजहरुद्दीन इसमें कोई रुचि नहीं ले रहे। उन पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए प्रतिद्वंद्वी गुट (जिसमें क्रिकेटर एन. शिवलाल यादव और अरशद अय्यूब भी हैं) ने 10 जनवरी तक चुनाव कराने की ठान ली पर करा नहीं पाए।

हालत ये हुई कि अज़हर का विरोध करने वाले सदस्यों ने राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम के बाहर, सड़क पर, एसजीएम आयोजित की, क्योंकि अज़हर के आदेश पर स्टेडियम के गेट  बंद कर  दिए गए थे। एसोसिएशन के 88 साल के इतिहास में पहली बार एसजीएम सड़क पर हुई- ये नजारा सिर्फ हैदराबाद क्रिकेट के लिए ही नहीं, भारत में क्रिकेट के लिए भी शर्मनाक है। रिपोर्ट है कि इस एसजीएम में 220 सदस्यों में से 172 मौजूद थे। इनके हिसाब से तो, अज़हर का एचसीए अध्यक्ष का टेन्योर 28 नवंबर 2022 को ही ख़त्म हो गया है और इसीलिए नई एपेक्स कॉउंसिल के लिए चुनाव कराने का फैसला किया।

शिवलाल यादव ने स्टेडियम पर ताला लगाने के लिए अजहर की आलोचना की और उन्हें याद दिलाया कि इस स्टेडियम के बनने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी- वे तब ‘बाहर’ थे और हैदराबाद क्रिकेट से कोई नाता नहीं रखा था। जिन्होंने इस स्टेडियम के लिए दिन-रात काम किया, उनके लिए इसके दरवाजे बंद कर दिए। इस पर एफआईआर भी दर्ज कराई। अजहरुद्दीन इस एसजीएम को अवैध मानते हैं और इसीलिए इसमें जो तय हुआ, उस पर किसी भी कार्रवाई से इंकार कर दिया।  

मोहम्मद अजहरुद्दीन की मुश्किलों को पिछले साल, जिमखाना ग्राउंड में मची भगदड़ और उससे कई घायल ने और बढ़ा दिया- वहां टी20 इंटरनेशनल मैच के टिकटों की बिक्री में झगड़ा हुआ- मैच था भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच। मैच तो राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया और टिकटों की बिक्री में गड़बड़ी और ब्लैक मार्केटिंग के आरोप लगे। वे इन्हें भी गलत बताते हैं।  
जो हो रहा है- हैदराबाद क्रिकेट इसके लिए मशहूर नहीं थी।  

  • चरनपाल सिंह सोबती

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