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रणजी ट्रॉफी के 2023-24 सीजन के दौरान यूं तो कई रिकॉर्ड बने पर जिस एक रिकॉर्ड को क्रिकेट इतिहास में एक ख़ास चर्चा मिलेगी वह तब बना जब मुंबई के ऑलराउंडर तनुश कोटियन और तुषार देशपांडे ने बड़ौदा के विरुद्ध क्वार्टर फाइनल में एक ही पारी में अपने 100 बनाए और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ऐसा करने वाली नंबर 10 और नंबर 11 की सिर्फ दूसरी जोड़ी बन गए।

मुंबई के 384 के जवाब में बड़ौदा ने पहली पारी में 348 रन बनाए और 36 रन की लीड के साथ मुंबई की स्थिति बेहतर हो ही चुकी थी। ‘मुंबई स्कूल ऑफ़ क्रिकेट’ तो ऐसे में मैच को स्पष्ट जीतने की कोशिश का नाम है पर अजिंक्य रहाणे की टीम ने दूसरी पारी को खींचा- उनके 337-9 के स्कोर पर भी बड़ौदा को लगा होगा कि उनके लिए उम्मीद बाकी है पर यहां से आखिरी विकेट के लिए जो तनुश कोटियन-तुषार देशपांडे पार्टनरशिप शुरू हुई उसने बड़ौदा को मैच से बाहर कर दिया। देखिए इन दोनों ने क्या किया :

  • नंबर 10 कोटियन के 100 रन 115 गेंद में- 9 चौके और 3 छक्के। स्कोर- 120* जो इस नंबर पर किसी भी भारतीय का 5वां और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 14वां सबसे बड़ा स्कोर है।
  • नंबर 11 देशपांडे के 100 रन 112 गेंद में- 8 चौके और 6 छक्के और नंबर 11 पर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 100 बनाने वाले तीसरे भारतीय।
  • स्कोर बनाया 123 का- किसी भी भारतीय नंबर 11 का टॉप स्कोर (पिछला रिकॉर्ड : शूते बनर्जी 121) और कुल मिलाकर चौथा सबसे बड़ा स्कोर। रणजी ट्रॉफी में पिछला रिकॉर्ड : 115- वी शिवरामकृष्णन, तमिलनाडु-दिल्ली, 2001 था।
  • दोनों का फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पहला 100 था ये।
  • चंदू सरवटे (124*) और शूते बनर्जी (121) के बाद, एक ही पारी में नंबर 10 और नंबर 11 के फर्स्ट क्लास 100 का रिकॉर्ड दर्ज करने वाली सिर्फ दूसरी जोड़ी- सरवटे और बनर्जी का रिकॉर्ड 1946 में ओवल में इंडियंस-सरे मैच में बना था।
  • सिर्फ तीसरी बार किसी भारतीय जोड़ी ने 10वें विकेट के लिए 200+ की पार्टनरशिप की। रिकॉर्ड रहा 234 गेंद में 232 रन का- रणजी ट्रॉफी में नंबर 2 (रिकॉर्ड : 233 रन, अजय शर्मा-मनिंदर सिंह, 1991-92 रणजी सेमीफाइनल में दिल्ली-मुंबई, वानखेड़े स्टेडियम)।
  • तब अजय शर्मा का स्कोर 259* और मनिंदर ने 78 रन बनाए थे।
  • आखिरी विकेट के लिए 6वीं सबसे बड़ी पार्टनरशिप का रिकॉर्ड बनाया कोटियन-देशपांडे पार्टनरशिप ने। वर्ल्ड रिकॉर्ड- एलन किपैक्स-हैल हुकर, 1928/29 में मेलबर्न में विक्टोरिया के विरुद्ध न्यू साउथ वेल्स के लिए 307 रन।
  • फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मुंबई के लिए 10वें विकेट की सबसे बड़ी पार्टनरशिप (पिछला रिकॉर्ड : 2015-16 में रणजी ट्रॉफी फाइनल में सिद्धेश लाड-बलविंदर सिंह संधू जूनियर 103 रन)।

इस कोटियन-देशपांडे 232 रन की पार्टनरशिप का नतीजा ये रहा कि मुंबई ने 569 रन बनाए। 606 रन का टारगेट मिला बड़ौदा को और स्कोर 121-3 रहा। मैच बिना मतलब का बन गया था- ड्रा रहा और मुंबई ने पहली पारी में लीड की बदौलत सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया।

जो रिकॉर्ड बना वह तो तारीफ़ की बात है ही पर सवाल ये भी है कि सिर्फ रिकॉर्ड के लिए मैच को बोरियत में बदल देना कितना सही है? मुंबई ने पहली पारी की लीड की प्लेइंग कंडीशन का फायदा उठाया और बड़ौदा को किसी भी चमत्कार का कोई मौका ही नहीं दिया और बल्लेबाजी करते रहे। अगर किसी टेस्ट में ऐसा हो तो क्या टेलेंडर की तारीफ़ करेंगे या कप्तान की आलोचना? यहां तो मुंबई को इस क्रिकेट का इनाम मिला और सेमीफाइनल में खेलना पका हो गया। क्या इस प्लेइंग कंडीशन को सुधारने की जरूरत नहीं?

ये चर्चा भारतीय क्रिकेट में कोई नई नहीं। रणजी ट्रॉफी में सबसे एकतरफा मैचों में से एक में झारखंड ने 1008 रन की लीड बनाने के बाद पारी घोषित की और मैच ड्रा रहा। झारखंड की पहली पारी में लीड 591 रन थी जिससे क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया। नवंबर 2022: अंडर 19 कूच बेहार ट्रॉफी में पंजाब ने अरुणाचल प्रदेश को एक पारी और 797 रन से हराया। 2023/24 अंडर 19 कूच बेहार ट्रॉफी फाइनल में कर्नाटक ने 223 ओवर की बल्लेबाजी में 890 रन बनाए और  510 रन की लीड ली। इस बेमतलब बल्लेबाजी से निराश मुंबई ने पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन का बॉयकॉट करने का इरादा बना लिया था पर आयोजकों के बार-बार के अनुरोध पर वे रनर अप अवार्ड लेने आए।

ऐसा नहीं कि तनुष कोटियन और तुषार देशपांडे की कोशिश तारीफ योग्य नहीं। एक मजेदार बात ये कि दोनों में काफी समानताएं हैं- दोनों क्लब क्रिकेटरों के बेटे और दोनों के पिता ने सपना देखा कि उनके बेटे वह हासिल करेंगे जो वे खुद नहीं कर सके। और देखिए- दोनों भले ही टीम में गेंदबाज पर वास्तव में क्रिकेट बल्लेबाज के तौर पर ही शुरु की। कोटियन ने पिछले दो सीजन में 93 और 98 जैसे स्कोर बनाए थे और इस बार नर्वस नाइंटीज को पार कर लिया। मुंबई  के करीब कल्याण में बल्लेबाज के तौर पर शुरुआत करने के बाद, देशपांडे (34वां फर्स्ट क्लास मैच और इससे पहले एक 50- 62 रन) को किस्मत ने तेज गेंदबाज बनाया। 12 साल के थे तो समर कैंप ट्रायल के लिए शिवाजी पार्क गए जहां गेंदबाजों की लाइन में सिर्फ 8-10 खिलाड़ी थे जबकि बल्लेबाजों की लाइन में 50 से ज्यादा। बन गए तेज गेंदबाज। कोटियन भी करीब के विक्रोली के हैं और पिता टेनिस-बॉल क्रिकेट में मशहूर हुए। इस तरह वास्तव में ये दोनों टेलेंडर नहीं हैं।

इसका सबूत अगले ही मैच यानि कि तमिलनाडु के विरुद्ध सेमीफाइनल में मिला और इस मैच में तनुष कोटियन और तुषार देशपांडे फिर से 10वें विकेट के लिए 100 रन की पार्टनरशिप के रिकॉर्ड के बहुत करीब थे। इस बार तमिलनाडु के 146 के जवाब में इन दोनों की पार्टनरशिप 290-9 पर शुरू हुई और 88 रन जोड़े- कोटियन (89*) नंबर 10 पर अपना दूसरा 100 बनाने से चूक गए जबकि देशपांडे ने 26 रन बनाए। लगातार दो फर्स्ट क्लास मैच में 100- ऐसा रिकॉर्ड इससे पहले कभी नहीं बना है। खैर, इन्हें आगे भी मौके मिलेंगे। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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