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देश के किसी भी शहर में, लोकल अथॉरिटी का किसी बिल्डिंग को सील करना कोई बड़ी या चौंका देने वाली खबर नहीं है। डीडीए का दिल्ली के रोशनआरा क्लब को सील करना भी ऐसी खबर होता पर इस खबर का क्रिकेट कनेक्शन है।

29 सितंबर 2023 का दिन और पूरी तैयारी के साथ (भारी पुलिस इंतजाम) क्लब काम्प्लेक्स सील कर दिया। वजह? क्लब के बाहर तैनात एक पुलिस स्टाफ की स्टेटमेंट ने सब बता दिया- ‘अंदर ताला लग रहा है। लीज खत्म हो गई है।’ नार्थ दिल्ली में शक्ति नगर के करीब क्लब की 22 एकड़ ज़मीन दो हिस्सों में थी और दोनों की अलग-अलग लीज थीं- पहली 2012 और दूसरी 2017 में खत्म हुई। 60 साल और लीज बढ़ाने का अनुरोध किया पर लीज रिन्यू नहीं हुई। क्लब को बचाने की कोशिश में कोर्ट चले गए- वहां भी मदद नहीं मिली और 29 सितंबर का दिन आ गया।

क्लब का क्रिकेट कनेक्शन चौंका देगा- इसी क्लब में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का गठन हुआ था 1928 में एक सोसायटी के तौर पर। इसलिए बीसीसीआई के लिए ये यादगार जमीन है पर इस कनेक्शन की किसे चिंता है?

अगर भारत में, किसी भी ब्रिटिश ग्राउंड की झलक देखनी हो तो बॉम्बे जिमखाना और रोशनआरा क्लब ग्राउंड से बेहतर कुछ नहीं है। सिर्फ ग्राउंड देखिए- भूल जाएंगे कि भारत में हैं। इसीलिए रिचर्ड एटनबरो ने ‘गांधी’ फिल्म के लिए यहां, बिना किसी बदलाव शूटिंग की थी- ब्रिटिश माहौल दिखाना था। अब से कुछ साल पहले तक, इंग्लैंड क्रिकेट टीम भारत आती थी तो पुराने क्रिकेटर जरूर जाते थे इसे देखने/यहां खेलने। सर्दियों में तो ऐसा लगता था जैसे आप इंग्लैंड में खेल रहे हों।

भारत के कई क्रिकेटर यहां खेलते रहे हैं। पहले तो रणजी ट्रॉफी मैच होते थे और जब वे रुके तो विराट कोहली, गौतम गंभीर, इशांत शर्मा और शिखर धवन जैसे क्रिकेटर प्रैक्टिस के लिए आते रहे। कोविड के दिनों में आईपीएल टीम यहां प्रैक्टिस करती थीं। सालों तक डीडीसीए ने यहां ऑफ सीजन क्रिकेट और सेलेक्शन कैंप आयोजित किए। टेनिस, स्क्वैश, टेबल टेनिस और स्विमिंग के लिए भी इंतजाम है। वर्ल्ड कप के बाद, क्लब का 100 साल पूरे होने का जश्न मनाने का प्रोग्राम था। इस समय के डीडीसीए के जॉइंट सेक्रेटरी राजन मनचंदा ही रोशनारा क्लब के सेक्रेटरी हैं और वे क्लब को ‘भारतीय क्रिकेट का मक्का’ कहते हैं। यहां भारत-इंग्लैंड अनऑफिशियल टेस्ट भी खेले थे 1951 में।

पास में रोशनआरा गार्डन है- उसी से क्लब को इसका नाम मिला और 1922 में क्लब बना। मुगल सम्राट शाहजहां की बेटी का नाम था रोशनआरा बेगम। इस क्लब को बनाने की पहल 1922 में ब्रिटिश उद्योगपति ग्रांट गोवन ने उस दौर के कुछ  संपन्न भारतीय के साथ मिलकर की थी। कहते हैं बीसीसीआई बनाने की चर्चा वहां चिमनी के पास बार में हुई थी।कई ट्राफी और यादगार वस्तुएं यहां रखी हैं। ग्राउंड के एक कोने में वह स्कोर बोर्ड लगा है जो 1930 में विजी ने क्लब को गिफ्ट किया था। तब पहला मैच रेस्ट ऑफ इंडिया इलेवन-विजयनगरम इलेवन खेले थे और जैक हॉब्स और हर्बर्ट सटक्लिफ जैसे मशहूर इंग्लिश क्रिकेटर इसमें खेले थे। जीत विजी की टीम को मिली और इस टीम में सीके नायडू, मुश्ताक अली, अमर सिंह और खुद विजी भी थे। हारने वाली टीम के लिए पहली पारी में 6/66 की गेंदबाजी की बीसीसीआई के पहले सेक्रेटरी एंथनी डी मेलो ने।

एक ओर, लगी फ्लड लाइट ने इसे आधुनिक तो बनाया पर पुरानी शान खत्म कर दी। दूसरी तरफ क्लब ने, पैसा कमाने के लिए कॉर्पोरेट और अन्य को ग्राउंड किराए पर देना शुरू कर दिया। सीजन के दौरान बुकिंग मुश्किल से मिलती है। इसीलिए शाम को अब यहां क्रिकेट की नहीं बियर और कॉन्टिनेंटल फूड की ज्यादा चर्चा होने लगी थी। बड़े-बड़े लोग अब इसके मेंबर हैं पर उस चक्कर में क्रिकेट बैक फुट पर आ गया। शायद यही वजह है कि ऑफिशियल तौर पर, अपने जन्म स्थान के सील होने की खबर पर भी, बीसीसीआई ने आंसू बहाने की औपचारिकता भी नहीं निभाई। 

  • चरनपाल सिंह सोबती

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