क्रिकेट में 13 दिसंबर 2013 का दिन एक ख़ास वजह से याद किया जाएगा- इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच टी20 सीरीज की शुरुआत के साथ ही क्रिकेट स्टॉप क्लॉक का डेब्यू होगा। वर्ल्ड कप फाइनल के फ़ौरन बाद, अहमदाबाद में आईसीसी बोर्ड की मीटिंग हुई और आगे की क्रिकेट को और बेहतर बनाने के लिए उसमें कई फैसले लिए गए। इन्हीं में सबसे ख़ास है- मैच में खेल की तेजी पर कंट्रोल के लिए स्टॉप क्लॉक के इस्तेमाल की शुरुआत। अभी प्रयोग का दौर है- दिसंबर 2023 और अप्रैल 2024 के बीच पुरुष वनडे और टी20 में और शुरुआत ब्रिजटाउन टी20 से। ये स्टॉप क्लॉक फील्डिंग टीम को नए सिरे से ओवर शुरू करने के लिए 60 सेकंड का समय देगी- ऐसा न किया तो 5 रन की पेनल्टी।
पूरी तय कंडीशन देखें तो लिखा है- यदि फील्डिंग टीम एक मिनट के अंदर नया ओवर नहीं शुरू करती तो उन्हें दो वार्निंग देंगे और इसके बाद हर गलती पर 5 रन का जुर्माना। आईसीसी ने तो उम्मीद की थी कि यह कंडीशन 3 दिसंबर से खेली वनडे सीरीज से लागू हो जाएगी लेकिन शुरू कर रहे हैं टी20 में ब्रिजटाउन से।
2022 में आईसीसी ने धीमी ओवर गति पर वनडे और टी20 में इन-प्ले जुर्माना शुरू किया था- पुरुष और महिला क्रिकेट दोनों में, अगर फील्डिंग टीम तय समय तक पारी का आख़िरी ओवर शुरू नहीं करती तो उन्हें 30-यार्ड सर्कल के अंदर एक और फील्डर लाना होगा यानि कि बल्लेबाज का फायदा। इससे फायदा हुआ पर ऐसा नहीं कि ये ओवर रेट वाली मुश्किल खत्म हो गई। इसीलिए अब नई कंडीशन बना दी है। एंटीगा के दूसरे वनडे के दौरान रिहर्सल के लिए इस स्टॉप क्लॉक को चलाया भी था- वेस्टइंडीज ने 3 बार ये गलती की यानि कि 5 रन और इंग्लैंड ने 5 बार ये गलती की यानि कि 15 रन की पेनल्टी लगती। देखें टी20 सीरीज से वास्तव में स्कोर कार्ड पर इसका असर क्या रहता है?
ये ट्रायल अभी सिर्फ सफेद गेंद क्रिकेट में है क्योंकि आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप राउंड के बीच कंडीशन नहीं बदलना चाहती। मौजूदा राउंड 2025 तक चलेगा। नोट कीजिए- ट्रायल की घोषणा से कुछ दिन पहले ही धीमे खेल का मुद्दा सुर्खियों में था वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के विरुद्ध श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज के टाइम आउट होने से। हेलमेट का स्ट्रेप टूटने के कारण मैथ्यूज तय 2 दो मिनट के अंदर गेंद खेलने के लिए तैयार नहीं थे और नतीजा- टाइम आउट होने वाले पहले इंटरनेशनल बल्लेबाज बन गए।
और दूसरे खेल भी, खेल की तेजी के लिए तरह-तरह की कंडीशन शुरू कर रहे हैं पर ज्यादातर ने मैच के दौरान ब्रेक का समय कम किया- जो बदलते दौर में लंबे लग रहे हैं। इस साल रग्बी यूनियन ने एक ‘शॉट क्लॉक’ की शुरुआत की- ये क्लॉक गोल-किकर्स को पेनल्टी लेने के लिए 60 सेकंड और कन्वर्जन लेने के लिए 90 सेकंड देता है। इंग्लैंड के कप्तान ओवेन फैरेल ने रग्बी वर्ल्ड कप में इस नई कंडीशन को तोड़ा था। मेजर लीग बेसबॉल ने बेटर्स और पिचर्स पर टाइमर लगाया।
क्रिकेट पर लौटते हैं।आईसीसी की ये नई स्टॉप क्लॉक एक क्रांतिकारी कदम मान रहे हैं। मौजूदा सिस्टम में टाइमर तीसरे अंपायर के पास है और वे ऑन-फील्ड मैच ऑफिशियल को समय रिले करने से पहले, किसी भी रुकावट को ध्यान में रखते हैं और उसी हिसाब से समय को कंट्रोल करते हैं। ये कंडीशन जनवरी में टी20 में और इस साल जून-जुलाई में वर्ल्ड कप क्वालीफायर के दौरान वनडे में लागू हुई थी और पेनल्टी नकद जुर्माने के अतिरिक्त थी।
इसी तरह टेनिस में ‘शॉट क्लॉक’ है- एक खिलाड़ी को पॉइंट के बीच सर्विस करने के लिए तैयार होने का 25 सेकंड का समय मिलता है। इसी से प्रभावित होकर, क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में धीमें ओवर रेट से निपटने के लिए 2018 में एमसीसी की वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी ने भी ‘शॉट क्लॉक’ का सुझाव दिया गया था (तब कमेटी में रिकी पोंटिंग, सौरव गांगुली और कुमार संगकारा भी थे)। पोंटिंग ने उस समय बताया था कि क्लॉक किसी ओवर के दौरान काम नहीं करेगी- यह सिर्फ ओवर के आखिर में फील्डर और गेंदबाज को अपनी स्थिति में वापस लौटने और तय समय पर गेंदबाजी के लिए तैयार होने को कंट्रोल करेगी। इस नए सुझाव पर पर बहस तो हुई पर कुछ तय नहीं हुआ। नई स्टॉप क्लॉक में भी मूल सिद्धांत वही है- बल्लेबाज का तय समय में क्रीज पर आना और जब बल्लेबाज वहां पहुंचे तो गेंदबाजी टीम तैयार हो गेंदबाजी के लिए।
आईसीसी की खेल में तेजी की हर कोशिश सीधे दर्शकों के लिए क्रिकेट को बेहतर बनाने की कोशिश का हिस्सा है। ये टाइमर, वास्तव में कुछ मदद करेगा तो साथ में अपनी मुश्किलें भी लाएगा मसलन अगर देरी फील्डिंग टीम की तरफ से नहीं, बल्लेबाजी टीम की तरफ से हो रही है (जैसे कि इक्विपमेंट/नए ग्लव्स,बैट या हेलमेट मांगने) तो उसे भी तो ध्यान में रखना होगा।
खेल को तेजी देने के लिए पिछले कुछ सालों में एमसीसी की वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी ने जो भी सुझाव दिए उनमें से ज्यादातर को पूरा समर्थन नहीं मिला है। ये भी सुझाव था कि अगर पिछले 15 मिनट में कोई विकेट गिरा था तो अगला ड्रिंक ब्रेक न लें क्योंकि विकेट गिरने के बाद आमतौर पर 12वें खिलाड़ी ड्रिंक्स ले ही आते हैं- इसलिए बहुत जल्दी अगला ब्रेक न देने से समय बचेगा। इसी तरह सब्स्टीट्यूट को नए ग्लव्स, टॉवल और नए इक्विपमेंट ग्राउंड पर लाने की इजाजत दी गई। डीआरएस प्रोटोकॉल का भी रिव्यू हुआ- अंपायर और खिलाड़ी रिव्यू में इतना समय न लें।
ये तो नहीं कहेंगे कि एंजेलो मैथ्यूज के टाइम आउट होने से ही खेल की तेजी का मुद्दा उठा पर इससे एक नया सुझाव ये जरूर आया कि स्टेडियम में बड़ी स्क्रीन पर टाइमर प्रदर्शित किया जाए ताकि बल्लेबाज की तरफ से वैसी गलती न हो जो एंजेलो ने की।
टीम ओवर रेट की कंडीशन को भले ही गंभीरता से न लें पर इस से जो नुकसान हो सकता है- उसे जरूर याद रखें। इंग्लैंड की गलती इस संदर्भ में मिसाल है। इस समर की एशेज में इसी धीमे ओवर रेट पर इंग्लैंड के जो पॉइंट कट रहे हैं उसने, उनका 2025 में फाइनल में जगह बनाना अभी से मुश्किल में डाल दिया है। उन्हें खेल से मिले 28 पॉइंट पर धीमे ओवर रेट से 19 कट गए। ऑस्ट्रेलिया को 10 पॉइंट का नुकसान हुआ।
- चरनपाल सिंह सोबती