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क्या आपने नोट किया कि 2023 को अलविदा कहते हुए, 2024 के लिए शुभमन गिल का रेजोल्यूशन क्या था- वर्ल्ड कप जीतें और आईपीएल में ऑरेंज कैप मिले। सोच उनकी अपनी है पर ये इस बात का सबूत है कि वाइट बॉल क्रिकेट, इंटरनेशनल कैलेंडर पर किस तरह हावी है। साल को साधारण टेस्ट रिकॉर्ड के साथ खत्म करते हुए भी शुभमन के लिए पहली वरीयता टेस्ट क्रिकेट नहीं।

बहुत जल्दी 2024 में अपने इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट रिकॉर्ड को और बेहतर करने की चुनौती के साथ टीम इंडिया टेस्ट सीरीज खेल रही है। शुभमन के लिए ये दिन बड़े तनाव वाले हैं- चुनौती यह साबित करने की कि उनके साथ, भारत के भविष्य के टेस्ट स्टार की जो उम्मीद लगाई थी, वह गलत नहीं थी। कुछ बात थी, तभी तो विराट कोहली ने भी कहा- ’19 साल की उम्र में जितना टेलेंट शुभमन गिल में है- मेरे पास उसका 10 प्रतिशत हिस्सा भी नहीं था।’

दक्षिण अफ्रीका में दोनों टेस्ट में शुभमन की नाकामयाबी ने ये सवाल न सिर्फ उनके लिए, टीम इंडिया के लिए भी बड़ा जरूरी बना दिया है। शुभमन गिल के टेस्ट प्रदर्शन पर उठे सवाल पर ये रिकॉर्ड देखिए-

  • अपनी पहली टेस्ट सीरीज के बाद से, रिकॉर्ड 17 टेस्ट में 27 से भी कम औसत से 781 रन- इस दौरान, उन टॉप 6 में खेलने वालों में से जो कम से कम 25 पारी खेले, सिर्फ हेनरी निकोल्स और अजिंक्य रहाणे का बल्लेबाजी औसत उनसे कम है। इनमें से रहाणे अब टेस्ट स्कीम से बाहर हैं।
  • 2 शतक तो बनाए पर ऐसे नहीं जो मैच जीतने/बचाने में बने हों- चट्टोग्राम में जब भारत ने 264 रन की लीड के बावजूद बल्लेबाजी की और अहमदाबाद में जहां 5 दिन में सिर्फ 22 विकेट गिरे।
  • इस समय, टेस्ट करियर औसत 30.58- इस शताब्दी में टॉप 6 में खेलने वाले भारतीय बल्लेबाजों (कम से कम 37 पारी) में सबसे कम।
  • भारतीय बल्लेबाजों में 37 टेस्ट पारी में इरफान पठान ने 1041 रन बना लिए थे- शुभमन ने 1040 रन ही बनाए हैं।

क्या इस रिकॉर्ड पर गर्व करें? ये रिकॉर्ड उस बल्लेबाज पर कतई फिट नहीं जिसने टेस्ट डेब्यू पर मेलबर्न में 45 और 35* और आगे सीरीज ऐतिहासिक बनाने में सिडनी में 50 और 31 तथा ब्रिस्बेन में 7 और 91 बनाए। सीरीज रिकॉर्ड- 51.80 औसत पर 259 रन। तब से ऐसी और किसी सीरीज का इंतजार है। सबसे बड़ी निराशा ये कि हर किसी ने माना कि गजब का टेलेंट है शुभमन गिल में।

इस खराब दौर में चेतेश्वर पुजारा की जगह लेने वाले नंबर 3 की तलाश का भी योगदान रहा। वेस्टइंडीज टूर में यशस्वी जायसवाल को रोहित शर्मा का ओपनिंग पार्टनर बनाकर, राहुल द्रविड़ की स्कीम ने गिल को नंबर 3 बना दिया। वहां टेस्ट में शुभमन ने 6*, 10 और 29 रन बनाए तो सेंचुरियन में 2 और 26 तथा केप टाउन में  36 और 10 रन। ये वे टेस्ट थे जिसमें अच्छे स्कोर गिल को टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर एक नई पहचान देते।

एक और नोट करने वाली बात- घरेलू पिचों का भी कोई ख़ास फायदा नहीं उठाया (अहमदाबाद के 128 मिलाकर भी 32.07 औसत से 417 रन)। इसलिए जब इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज शुरू होगी तो शुभमन दबाव में होंगे और जिस तरह से नई टेलेंट सामने आ रही है- प्लेइंग इलेवन में उन की जगह पर भी आंच आ सकती है।

क्या फिर से शुभमन को ओपनिंग में वापस करें? इस सवाल की पहेली टीम की जरूरत से ही सुलझेगी। तब तक शुभमन के आलोचक बढ़ते जा रहे हैं और लिमिटेड ओवर क्रिकेट में फार्म की बदौलत, टेस्ट में मौका देने की वकालत करने वाले कम हो रहे हैं। 20 टेस्ट खेलने के बाद भी औसत 35 न हो और तब भी  क्रिकेटर भाग्यशाली है कि लगातार टेस्ट खेल रहा है।

अहमदाबाद की सपाट पिच पर ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 100 के बाद पहली बार 30 को पार किया केप टाउन में। इस रिकॉर्ड में अब टेक्निकल कमी की चर्चा हो रही है और आम सोच ये है कि सही टेंपरामेंट के साथ टेस्ट नहीं खेल रहे। गाबा, 2021 में भी 328 के उस असंभव लग रहे लक्ष्य का पीछा करते हुए जब खोने के लिए कुछ भी नहीं था तो वे वास्तव में अपने शॉट्स खेलते रहे। सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर ने भी अब यही कहा है- वह टेस्ट क्रिकेट में कुछ ज्यादा ही आक्रामक तरीके से खेल रहे हैं जबकि टी20ई और वनडे की तुलना में टेस्ट खेलना फर्क है। इस मुश्किल से और किसी को नहीं, खुद शुभमन को बाहर निकलना होगा। अजीब समस्या ये है कि उन जैसे युवा बल्लेबाजों की इस मौजूदा  पीढ़ी के पास, सुधार के लिए घरेलू रेड-बॉल क्रिकेट में वापस जाने का समय नहीं है।

चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे को सेट-अप से हटाने के साथ, भारत में बदलाव का दौर शुरू हो  चुका है और नए सेट-अप में शुभमन की भूमिका बड़ी ख़ास है- उन्हें अगला सुपरस्टार और शायद तीनों फॉर्मेट में अगला कप्तान गईं रहे थे पर अभी तो रन बनाना ही सवाल बना हुआ है।

चरनपाल सिंह सोबती

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