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दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध 1-2 से सीरीज में मिली करारी हार ने भारतीय क्रिकेट के सामने कई सवाल खड़े कर दिए। इनमें सबसे ख़ास है मिडिल आर्डर की नाकामयाबी और इनमें से भी ख़ास तौर पर पुजारा और रहाणे। इन दोनों का इस सीरीज में रिकॉर्ड- 6 में से 5 पारियों में नाकामयाब और सच ये है कि साल भर में, इक्का – दुक्का मौके को छोड़कर,कोई ठोस योगदान नहीं दिया है। ऐसे मिडिल आर्डर के साथ कैसे जीत सकते हैं?

सीरीज में और उससे पहले भी कप्तान विराट कोहली ने चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का पूरा बचाव किया- हालांकि उनके कप्तानी के रिकॉर्ड ने इसकी कीमत चुकाई। सब के सामने है- दोनों में दृढ़ विश्वास की कमी और ऐसे दो आउट-ऑफ-फॉर्म सीनियर बल्लेबाजों को कब तक मौका देंगे? सीरीज में मिली करारी हार के बाद क्रमश: 95 और 82 मैचों के दिग्गजों के लिए सब कुछ खत्म होता दिख रहा है।

विराट कोहली ने तो कह दिया कि वे चेतेश्वर और अजिंक्य का समर्थन जारी रखेंगे क्योंकि वे जिस तरह के खिलाड़ी हैं और सालों से भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में जो किया है, उसे नज़रंदाज़ नहीं कर सकते। इस सोच की कीमत बहुत ज्यादा है। दक्षिण अफ्रीका में सीरीज में भारत :

  • सेंचुरियन टेस्ट- दूसरी पारी : एक समय 109/4 और 174 पर आउट।
  • जोहान्सबर्ग टेस्ट- पहली पारी में 116/4 से 202 पर आउट और दूसरी पारी में 155/2 से 266 पर आउट।
  • केपटाउन टेस्ट- पहली पारी में 116/3 से 223 पर आउट और दूसरी पारी में 152/4 से 198 पर आउट।

बल्लेबाजी इस सीरीज में भारत की सबसे बड़ी कमजोरी रही। देखिए :

  • केएल राहुल : सेंचुरियन में शतक और जोहान्सबर्ग में अर्धशतक पर आखिरी तीनों पारी में नाकामयाब। 6 पारी में 226 रन और सीरीज में 200 रन बनाने वाले भारत के अकेले बल्लेबाज़।
  • मयंक अग्रवाल : कुछ उपयोगी शुरुआत के लिए काफी देर तक टिके पर अगर ओपनर 6 पारी में सिर्फ 135 रन बनाए तो कैसे काम चलेगा?
  • सीरीज में दोनों टीम के बीच सबसे बड़ा अंतर नंबर 3 थे- जहां कीगन पीटरसन ने तीन अर्धशतक (उनमें से दो निर्णायक बड़े कीमती और महत्वपूर्ण 28 वांडरर्स में) बनाए और दक्षिण अफ्रीका के लिए 38.16 औसत दर्ज की 3 नंबर ने- भारत के लिए रिकॉर्ड 19.66 रहा।
  • चेतेश्वर पुजारा : भारत के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक रहे पर अब टीम पर भारी ज्यादा हैं- 6 पारी में 124 रन 21 से भी कम औसत से।
  • अजिंक्य रहाणे : अक्सर ही निराशा रहे और चयनकर्ताओं के लिए सवाल- क्या अब भी श्रीलंका के विरुद्ध एक और योग्य युवा खिलाड़ी को बाहर रखने से कुछ हासिल किया जा सकता
    है? सीरीज में- 6 पारी में 136 रन।
  • विराट कोहली : 4 पारी में 161 रन। कोहली अब नवंबर 2019 में ईडन गार्डन में बांग्लादेश के विरुद्ध 136 रनों के बाद से बिना शतक के 27 टेस्ट पारियां खेल चुके हैं।
  • इतने बड़े दौरे पर 16 पारियों में पुजारा, कोहली और रहाणे के मिडिल आर्डर ने सिर्फ एक स्कोर बनाया 50 का- क्या एक नंबर 1 टीम को अपने मुख्य तीन बल्लेबाजों से ये उम्मीद करनी चाहिए?
  • इन तीनों ने मिलकर, हनुमा विहारी को सिडनी की बेहतरीन पारी के बाद एक साल टीम से बाहर रखा और मौका मिला भी तो तब ,जब कोहली वांडरर्स में नहीं खेले- वहां 40* के लिए शानदार बल्लेबाजी की और भारत के स्कोर को 266 तक खींच लिया।

ये सब एक सीरीज की कहानी नहीं है। आज विराट कोहली के कप्तान के तौर पर टेस्ट रिकॉर्ड का विश्लेषण करते हुए इस बात को कैसे नजर अंदाज किया जा सकता है कि उन्होंने पुजारा और रहाणे पर भरोसे की बड़ी महंगी कीमत चुकाई? जो हिम्मत कोहली ने कभी पुजारा और रहाणे को टेस्ट टीम से निकालने में दिखाई थी- पिछले लगभग दो साल में नहीं दिखाई। इसका असर कोहली की अपनी बल्लेबाजी पर भी आया- संयोग से यही वह दौर है जिसमें कोहली 100 बनाने के लिए ज्यादा जूझते नजर आए। 1 मार्च 2020 से :

  • चेतेश्वर पुजारा : नंबर 3 पर 31 पारी में 27 औसत से 810 रन और कम से कम 200 रन बनाने वालों में से सिर्फ डेविड मलन की औसत (26.92) उनसे कम।
  • विराट कोहली : नंबर 4 पर 27 पारी में 700 रन 33.33 औसत से जिसमें चार बार 0 पर आउट। कम से कम 200 रन बनाने वालों में सिर्फ रॉस टेलर की औसत (31.49) उनसे कम।
  • अजिंक्य रहाणे : नंबर 5 पर 16 पारी में 361 रन 22.56 औसत से और कम से कम 200 रन बनाने वाले 12 बल्लेबाज में सबसे नीचे।

राहुल द्रविड़ ने अपने कोच करियर में जिन चुनौती को देखा है- ये उनमें से सबसे ख़ास है क्योंकि इससे टीम कमजोर हो रही है। इसी को सुलझाना है।

  • चरनपाल सिंह सोबती
One thought on “ऐसे मिडिल आर्डर के साथ टीम इंडिया की जीत की बात कैसे करें?”

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